क्या नवजोत सिंह सिद्धू जैसा ही फैसला सचिन पालयट के लिये होगा। Situation of Sidhu in Punjab and Pilot in Rajasthan similar- will solution be same– News18 Hindi

दरअसल राजस्थान कांग्रेस के नेताओं की पंजाब की राजनीति में दिलचस्पी इसलिए भी है कि अब यहां पार्टी में चर्चा शुरू हो गई कि अगर पंजाब में ये फॉर्मूला लागू होता है तो राजस्थान के सियासी संकट का समाधान भी इसी तर्ज पर किया जा सकता है. कांग्रेस में राजस्थान और पंजाब का संकट एक जैसा है. जैसे पंजाब में कैप्टन पावरफुल सीएम हैं. उनकी विधायकों पर पकड़ है. इतने बड़े क्षत्रप है कि इससे पहले कांग्रेस हाईकमान ने भी दखल की कोशिश नहीं की. ठीक ऐसे ही राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्थिति है. लेकिन पंजाब में जमीन पर लोकप्रिय नेता नवजोत सिंह सिद्धू हैं. एक रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया कि सिद्धू के बिना वहां कांग्रेस की वापसी बेहद कठिन है. लेकिन कैप्टन अमरिंंदर सिंह सिद्धू को पसंद नहीं करते. उपमुख्यमंत्री पद से भी हटा दिया था.
पायलट और सिद्धू दोनों की अपनी खूबियां और कमियां हैं
राजस्थान में भी कमोबेश ये ही स्थिति है. सचिन पायलट क्राउड पुलर हैं. युवाओं में लोकप्रिय हैं. पायलट को भी गहलोत ने बगावत करने पर डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से एक साल पहले हटा दिया था. जैसे कैप्टन सिद्धू को साथ लेने को तैयार नहीं थे. ठीक वैसे ही गहलोत पायलट को अपनी सरकार और कांग्रेस संगठन में हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं हैं. कांग्रेस हाईकमान जानता है कि पंजाब में जिस तरह वापसी के लिए सिद्धू की जरूरत है वैसे ही राजस्थान में वापसी के लिए पायलट चाहिए. लेकिन पंजाब में कैप्टन और सिद्धू दोनों चाहिए वैसे ही राजस्थान में भी गहलोत और पायलट दोनों जरूरी हैं. दोनों की अपनी खूबियां और कमियां हैं.
प्रशांत किशोर से लिये जा रहे हैं संकट सुलझाने के फॉमूले
कांग्रेस को पंजाब में इस समाधान का फार्मूला दिया है चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने. कुछ दिन से प्रशांत किशोर की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है. प्रशांत किशोर कैप्टन अमरिंंदर सिंह के भी एडवाइजर की भूमिका में हैं. ऐसे में कांग्रेस प्रशांत किशोर के जरिये अमरिंंदर सिंह को नए फार्मूले पर तैयार कर रही है. माना जा रहा है कि तकरीबन सहमति बन चुकी है. सोनिया गांधी की मुहर के बाद सिद्धू पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष हो सकते हैं. जैसे ही पंजाब का संकट सुलझा कांग्रेस हाईकमान का फोकस राजस्थान पर होगा.
राजस्थान में भी पूरे हालात पंजाब जैसे ही हैं
राजस्थान में गहलोत-पायलट के बीच जंग के चलते न मंत्रिमंडल विस्तार हो पा रहा है न ही राजनीतिक नियुक्तियां. ढाई साल बीत चुके हैं. कांग्रेस विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है. पायलट फिलहाल किसी पद पर नहीं हैं. न ही उनके समर्थक सरकार में हैं. प्रशांत किशोर को सिर्फ पंजाब नहीं कांग्रेस में राजस्थान संकट से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का मसला सुलझाने के लिए फार्मूले की सलाह मांगे जाने की चर्चा है. जैसे पंजाब में कांग्रेस पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंंदर सिंह की उम्र को देखते हुए भी दूसरी पीढ़ी के नेता को आगे बढ़ाने का दबाव है. ठीक ऐसा ही राजस्थान में है. गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं. पायलट के रूप में पार्टी के सामने उर्जावान और लोकप्रिय चेहरा है. अगर पंजाब में सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो राजस्थान में भी सचिन पायलट को फिर से पार्टी की कमान सौंपने पर विचार कर सकती है और अगले चुनाव में पंजाब का ही फार्मूला अपना सकते हैं. लेकिन सोनिया गांधी ये सब कैप्टन और गहलोत को रजामंद किए बिना नहीं करना चाहेगी.
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