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India China Enemy Russia game plan against US: भारत-चीन में दुश्मनी के लिए पश्चिमी देश जिम्मेदार, क्या है रूस के इस बयान का मतलब?

मॉस्को. रूस ने अमेरिका के खिलाफ एक नया खेल खेलना शुरू कर दिया है. वह चाहता है कि एशिया में चीन और भारत दोस्ताना माहौल में रहे, जिससे ना सिर्फ अमेरिका को नुकसान होगा बल्कि यह मॉस्को के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा. इतना ही नहीं, रूस ने सीधे शब्दों में भारत और चीन के बीच दुश्मनी फैलना के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बृहस्पतिवार को कहा कि पश्चिमी देश भारत और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस की खबर के मुताबिक, लावरोव ने मॉस्को में ‘सीमाओं के बिना संस्कृति : सांस्कृतिक कूटनीति की भूमिका और विकास’ विषय पर आयोजित डिप्लोमैटिक क्लब की बैठक में यह टिप्पणी की.

रूसी विदेश मंत्री ने कहा, “एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हालिया घटनाक्रमों पर गौर करें, जिसे पश्चिम ने अपनी नीति को स्पष्ट रूप से चीन विरोधी रुझान देने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र कहना शुरू कर दिया है-इस उम्मीद के साथ भी कि इससे हमारे महान मित्रों और पड़ोसी देशों भारत व चीन के बीच टकराव पैदा किया जा सकेगा.”

क्वाड की हमेशा रूस ने की है निंदाचीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए स्थापित चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) के मुखर आलोचक लावरोव ने ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के सैन्य गठबंधन एयूकेयूएस के गठन के बाद इसकी आलोचना कम कर दी है. क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और अमेरिका शामिल हैं. लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश एशिया में आसियान (दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की भूमिका को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.

‘आसियान में भी घुसना चाहते हैं पश्चिमी देश’उन्होंने कहा, “पश्चिमी सहयोगी दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी प्रभावशाली भूमिका में आना चाहते हैं. वे आसियान की केंद्रीय भूमिका को कमजोर करना चाहते हैं, जो कई दशकों से सभी के लिए अनुकूल थी और जो आसियान देशों और उनके सहयोगियों की ओर से राजनीति के क्षेत्र में, सैन्य सहयोग के क्षेत्र में और रक्षा के क्षेत्र में बातचीत में कायम एकमत पर आधारित थी.”

10 देशों का समूह है आसियानआसियान दक्षिण-पूर्वी एशिया के 10 देशों का एक क्षेत्रीय समूह है, जिसका उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है. इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, म्यांमा, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम इसके सदस्य देश हैं. रूसी विदेश मंत्री ने कहा, “आम सहमति के नियम, साझा आधार की तलाश-इन सभी को हमारे पश्चिमी सहयोगी धीरे-धीरे दरकिनार करना शुरू कर रहे हैं और कुछ आसियान देशों को एकीकृत मंचों के बजाय खुले तौर पर प्रतिरोधी मंचों से जुड़ने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.”

‘यूरेशिया जैसा कोई दूसरा महाद्वीप नहीं’उन्होंने यूरेशिया में सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था का भी आह्वान किया. लावरोव ने कहा, “यूरेशिया जैसा कोई दूसरा महाद्वीप नहीं है, जहां इतनी सारी सभ्यताएं एक साथ रहती हैं और जिन्होंने आधुनिक युग में भी अपनी पहचान एवं प्रासंगिकता बनाए रखी है. हालांकि, यूरेशिया एकमात्र ऐसा महाद्वीप भी है, जहां कोई महाद्वीप-व्यापी मंच नहीं है. यूरेशिया में इस तरह के एकीकृत मंच की जरूरत है, ताकि कई बड़ी, वास्तव में महान शक्तियों और सभ्यताओं के हितों में सामंजस्य स्थापित किया जा सके.”

उन्होंने याद दिलाया कि अफ्रीका में जहां उप-क्षेत्रीय मंचों के अलावा अफ्रीकी संघ मौजूद है, वहीं लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में लातिन अमेरिकी और कैरीबियाई राज्यों का समुदाय (सीईएलएसी) है, जबकि यूरेशिया में अभी तक ऐसा कोई मंच नहीं बनाया जा सका है.

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