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Indian Army NDA Story: सीमित साधन, असीम सपने, किसान के बेटे ने रचा इतिहास, सेना में अब बनेंगे अधिकारी

Last Updated:May 04, 2025, 18:01 IST

Indian Army Story: जब जुनून दिशा बन जाए, तो सीमित संसाधनों में भी सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी एक लड़के की है, जिन्होंने चौथे प्रयास में NDA की परीक्षा को पास करने में सफल …और पढ़ेंसीमित साधन, असीम सपने, किसान के बेटे ने रचा इतिहास, सेना में अब बनेंगे अधिकारी

Indian Army Story: किसान का बेटा सेना में बनेगा ऑफिसर

Indian Army Story: अगर मन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती है. फिर UPSC NDA की परीक्षा ही क्यों न हो उसे भी पास कर लिया जाता है. आज एक ऐसे लड़के के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने चौथे प्रयास में NDA की परीक्षा को पास करने में सफल रहे हैं. सशस्त्र बलों में अधिकारी बनने का सपना केवल उनका नहीं, बल्कि उनके माता-पिता की भी आशा थी. उन्होंने एनडीए 153 कोर्स में सफल होकर अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने में कामयाब रहे हैं. जिनकी हम बात कर रहे हैं, उनका नाम हरीश वशिष्ठ (Harish Vashishth) है.

माता-पिता का था सपनाहरीश वशिष्ठ हरियाणा के भिवानी के रहने वाले हैं. वह एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं.हरीश ने कई बार एनडीए की परीक्षा दी और लिखित परीक्षा में सफलता पाने के बावजूद शुरुआती प्रयासों में SSB में असफल रहे. परंतु उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हर असफलता उनके भीतर और अधिक मेहनत करने का संकल्प जगा गई. उन्होंने अनुभवों से सीखा, खुद को निखारा और अंततः वह दिन आया जब उन्होंने चयनित उम्मीदवारों की सूची में अपना नाम पाया.

परिवार की प्रेरणा बनी हिम्मत की ढालहरीश का यह सफर सिर्फ उनका नहीं था, बल्कि उनके पूरे परिवार का सपना था. माता-पिता की आशाओं ने उनके सपनों को उड़ान दी. जब उनका चयन हुआ, तो वह केवल अपने गांव के लिए नहीं बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं. एनडीए 153 में चयनित होकर हरीश न केवल अपने परिवार के पहले सशस्त्र बल अधिकारी बने, बल्कि उन्होंने यह संदेश भी दिया कि कठिन मेहनत, धैर्य और लगन से कोई भी युवा अपने सपनों को साकार कर सकता है.

संघर्ष ही सफलता की है असली कहानीहरीश की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अच्छी चीजें कभी भी आराम क्षेत्र से नहीं आतीं. उनकी यात्रा उन सभी युवाओं को प्रेरित करती है जो देश सेवा का सपना देखते हैं. उनकी सफलता यह इस बात को बताती है कि अगर आप ठान लें, तो रास्ता खुद-ब-खुद बन जाता है.

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