Indian Railway : आधुनिक तकनीकी युक्त सिग्नलिंग व्यवस्था से संरक्षा होगी और मजबूत
जयपुर
भारतीय सैन्य महत्व की फलोदी से जैसेलमेर रलखंड की सिग्नल व्यवस्था बदलने जा रहा है। यह लगाए गए पारंपरिक भुजा वाले सिग्नल को हटाकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक के साथ बहु संकेतीय कलर लाइट सिग्नलिंग लगाएगा। इससे न केवल रेलवे की संरक्षा में बढ़ोतरी होगी बल्कि समय की भी बचत होगी। टोकन लेने-देेने में लगने वाले समय में बचत के साथ ही ट्रेनों का संचालन अधिक संरक्षित एवं सुरक्षित हो जाएगा। आगमन और प्रस्थान के सभी कार्य का मैनुअल कामकाज को समाप्त कर आटोमैटिक कर दिया जाएगा। इस प्रकार नवीनतम सिग्नलिंग प्रणाली के प्रावधान से सुरक्षा कई गुना बढ़ जाएगी और ट्रेन के संचालन के समय में भी कमी होगी।
जैसलमेर-फलोदी खंड का सिग्नल होगा शानदार
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि अभी जैसलमेर-फलोदी खंड के 09 स्टेशनों पर यांत्रिक सिंग्नलिंग प्रणाली कार्यरत है। इसमें तार का उपयोग कर सिग्नल लीवर संचालित किया जाता है। इस प्रणाली में अगले स्टेशन तक जाने के लिए लोको पायलट को बॉल टोकन दिया जाता है। यह प्रणाली विद्युतीकरण के लिए भी उपयुक्त नहीं है। उत्तर पश्चिम रेलवे के रेलखण्डों में यही पारंपरिक सिग्नलिंग वाला खंड है।
क्रॉसिंग पर नहीं अटकेगी ट्रेन
उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबन्धक विजय शर्मा ने बताया कि नवीन सिंग्नलिंग व्यवस्था से 50 किमी प्रति घंटे की मौजूदा गति की तुलना में यार्ड में ट्रेनों की अधिकतम गति को भी बढ़ाकर 100 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। सभी स्टेशनों पर दो रेलगाड़ियों को एक साथ आगमन एवं प्रस्थान सुविधा प्रदान होगी और इससे स्टेशनों पर क्रॉसिंग का समय कम हो जाएगा।
4 स्टेशनों पर होगा आधुनिकीकरण
इस रेलखंड के दो स्टेशनों मारवाड़ बीठडी और मारवाड़ खारा पर यह कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। 04 स्टेशनों पर आधुनिकीकरण के इसको मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। तीन स्टेशनों को अगले वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इसके पूर्ण हो जाने के बाद उत्तर पश्चिम रेलवे के समस्त ब्रॉड गेज खण्ड पर कोई सेमाफोर सिगनलिंग नहीं रहेगी और नवीनतम आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक के साथ बहु संकेतीय कलर लाइट सिग्नलिंग व्यवस्था हो जायेगी।