Indo Pakistan War 1965 Lahore Sector Indian Army Batapur asal uttar Ichhogil Dograi nodakm

नई दिल्ली: Indo Pakistan War 1965: कश्मीर पर कब्जे की बदनियत से पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम की शुरूआत की थी. इस ऑपरेशन के तहत, पाकिस्तान ने पूरी ताकत से जम्मू और कश्मीर के छंब सेक्टर पर हमला बोल दिया था. जिसके बाद, ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम को नेस्तेनाबूद करने और पाकिस्तान पर नकेल कसने के मकसद से भारतीय सेना ने दुश्मन को चारो तरफ से घेरने की रणनीति बनाई थी.
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ घेरेबंदी की शुरुआत पंजाब के रास्ते लाहौर सेक्टर से की. इस सेक्टर पर जीत का परचम फहराने की जिम्मेदारी इंडियन इलेवन कोर की तीन डिवीजन को दी गई. रणनीति के तहत, पंजाब के उत्तर में स्थित पठानकोट से लेकर दक्षिण में स्थित सूरजगढ़ तक के इलाके को तीन सेक्टर में बांटा गया. जीटी रोड एक्सिस के साथ उत्तरी क्षेत्र इंडियन इलेवन कोर की 15वीं डिवीजन को सौंपा गया.
वहीं, इंडियन इलेवन कोर की 7वीं डिवीजन को खलरा-बकरी एक्सिस के साथ केंद्रीय क्षेत्र और खेमकरण-कसर एक्सिस के साथ दक्षिणी क्षेत्र 4 माउंटेन डिवीजन के पास था. सभी डिवीजन को इछोगिल नहर के पूर्व के सभी पाकिस्तानी इलाकों में भारतीय विजय पताका फहराने का लक्ष्य दिया गया था. विजय अभियान पर निकली इन तीनों डिवीजन को पर्याप्त आर्टलरी (तोपखाने) और आर्रमर सपोर्ट दिया गया था.

पाकिस्तान के बरखी स्थिति एक पुलिस स्टेशन पर लहराता भारतीय तिरंगा.
15 डिवीजन ने लाहौर के बाहरी इलाके में फहराया तिरंगा
रणनीति के तहत, इंडियन इलेवन कोर की 15वीं डिवीजन ने 6 सितंबर 1965 की सुबह करीब 4 बजे हमले की शुरूआत की. पहले ही स्वीप में भारतीय सेना ने डोगराई पर कब्जा कर लिया और इछोगिल के पार एक ब्रिजहेड की स्थापना ली गई. भारतीय सेना लाहौर के बाहरी इलाके बाटापुर तक अपना विजय पताका फहरा चुकी थी. इस इलाके में 21 सितंबर 1965 की रात हुई कार्रवाई में भारतीय सेना ने दुश्मन सेना के 150 जवानों को मौत की नींद सुला, 100 को बंदी बना लिया था.
7 इंफेंट्री डिवीजन ने बरकी फहराया भारतीय परचम
भारतीय सेना की 7वीं इन्फैंट्री डिवीजन बड़ी तेजी के साथ खलरा-बरकी एक्सिस पर आगे बढ़ रही थी. डिवीजन ने 11 सितंबर 1965 तक अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक हासिल कर लिया. उल्लेखनीय है कि डि एडवांस के दौरान सबसे मुश्किल लड़ाई बरकी में 7वीं डिवीजन द्वारा लड़ी गई थी. इस पूरे इलाके को पाकिस्तानी सेना ने अतिसुरक्षित बंकरों से संरक्षित किया था. भारतीय सेना ने दुश्मन द्वारा खड़े किए गए प्रतिरोधों को खत्म कर 10 सितंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे बरकी पर भारतीय परमच लहरा दिया था.

भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान दुश्मन सेना के 5899 जवानो को मार गिराया गया था.
टैंकों के कब्रिस्तान में तब्दील हुआ असल उत्तर का रण
भारतीय सेना की चौथी डिवीजन दक्षिणी क्षेत्र में दोगुना जिम्मेदारी उठा रही थी. डिवीजन ने सफलता के साथ इछोगिल के पूर्व में स्थित पाक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और कसूर-खेमकरण अक्ष पर संभावित दुश्मन के हमले को रोक दिया था. इस क्षेत्र में सबसे मुश्किल लड़ाई असल उत्तर में लड़ी गई, जिसे टैंकों का कब्रिस्तान कहा गया. इस लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान ने 72 पैटन सहित 97 टैंक को नेस्तनाबूद कर दिया. इस क्षेत्र में पाकिस्तान सेना को मामूली बढ़त जरूर मिली, लेकिन बहुत बड़ा खामियाजा उठाना पड़ा.
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