Rajasthan

नागौर के बाबूलाल यादव का खेती और पशुपालन में नवाचार, आमदनी दोगुनी.

Last Updated:October 31, 2025, 16:13 IST

Agriculture Success Story: मुंडिया गांव के प्रगतिशील किसान बाबूलाल यादव ने खेती और पशुपालन में नवाचार करके अपनी आमदनी दोगुनी कर दी है. उन्होंने तरबूज, खरबूज और सब्जियों की खेती में प्राकृतिक कीटनाशक अपनाए, जिससे उत्पादन बढ़ा और खर्च घटा. पशुपालन में उन्होंने साइलेज तकनीक अपनाकर सूखे चारे पर होने वाला खर्च आधा कर दिया और दूध उत्पादन बढ़ा. अब बाबूलाल और उनके भाई डेयरी फार्म और दूध प्रोसेसिंग यूनिट चलाकर छाछ और देशी घी भी बेच रहे हैं. उनका यह मॉडल गांव के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्पद साबित हो रहा है.

नागौर. जालसू क्षेत्र के मुंडिया गांव के प्रगतिशील किसान बाबूलाल यादव ने खेती और पशुपालन में ऐसा नवाचार किया है, जिसने उनकी आमदनी दोगुनी कर दी है. बाबूलाल पहले परंपरागत खेती और पशुपालन करते थे, जिसमें सूखे चारे और कीटनाशकों पर भारी खर्च होता था. लेकिन अब उन्होंने देसी नुस्खे और वैज्ञानिक तरीकों से खर्च घटाकर उत्पादन और लाभ दोनों बढ़ा लिए हैं, बाबूलाल यादव बताते हैं कि पहले उनके पिता लालचंद खेती संभालते थे. अब वह अपने दो भाइयों के साथ मिलकर तरबूज, खरबूज और विभिन्न सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

इन फसलों में कीट और बीमारियों की समस्या आम रहती थी, जिससे उत्पादन घट जाता था. इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने प्राकृतिक कीटनाशक तैयार करना शुरू किया. इसके अलावा नीम, आकड़े के पत्तों और गुड़ से बना यह देसी घोल खेतों में छिड़कने पर पत्ता छेदन, जड़ गलन और झुलसा रोग जैसी समस्याओं से फसलों को बचाता है. इस प्राकृतिक उपाय से फसलों की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार हुआ है, साथ ही रासायनिक कीटनाशकों का खर्च भी बचा है.

साइलेज तकनीक अपनाई

खेती के साथ-साथ बाबूलाल ने पशुपालन में भी बड़ा परिवर्तन किया, पहले उन्हें हर छह महीने में करीब 3 से 4 लाख रुपए का सूखा चारा खरीदना पड़ता था, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती थी और पशुओं का दूध उत्पादन घट जाता था. इस समस्या का स्थायी समाधान उन्होंने साइलेज तकनीक अपनाकर निकाला. इस तकनीक में मक्का, बाजरा और सरसों जैसी हरी फसलों को काटकर खेत में बनाए गए गहरे गड्ढों में तिरपाल बिछाकर भर दिया जाता है, फिर इसे एयरटाइट कर 45 से 60 दिन तक रखा जाता है, जिसके बाद तैयार साइलेज सालभर हरे चारे की तरह उपयोग किया जा सकता है.

अपना डेयरी फार्म शुरू किया

साइलेज में मौजूद प्राकृतिक शर्करा और पोषक तत्व पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन दोनों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. इस तकनीक से बाबूलाल का सूखे चारे पर होने वाला खर्च लगभग आधा रह गया है. अब उन्हें केवल डेढ़ लाख रुपए का ही सूखा चारा खरीदना पड़ता है, बेहतर चारा मिलने से दूध उत्पादन बढ़ा, तो तीनों भाइयों ने पशुओं की संख्या भी बढ़ा दी और अपना डेयरी फार्म शुरू किया. डेयरी फार्म से बढ़े दूध उत्पादन को देखते हुए उन्होंने दूध प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की है. अब वे सिर्फ दूध ही नहीं, बल्कि छाछ और शुद्ध देशी घी भी बाजार में बेच रहे हैं. इससे न केवल उनकी कमाई में वृद्धि हुई है, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है कि खेती और पशुपालन को साथ लेकर चलने से कमाई के नए रास्ते खुल सकते हैं. आज बाबूलाल यादव खेती में प्राकृतिक नवाचार और पशुपालन में तकनीकी प्रयोग का सफल उदाहरण बन चुके हैं.

Monali Paul

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें

Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें

Location :

Nagaur,Rajasthan

First Published :

October 31, 2025, 16:13 IST

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नागौर के किसान ने खेती और पशुपालन में नवाचार करके आमदनी की दोगुनी, जाने कैसे

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