Rajasthan

Anta by-election । Anta assembly by-election । Anta politics । अंता उपचुनाव

बारां. बारां जिले की अंता विधानसभा उपचुनाव अब रोचक मोड़ पर पहुंच गया है. उपचुनाव में यह रोचक मोड बीजेपी के पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल की धमाकेदार और औचक ‘एंट्री’ से आया है. उपचुनाव में मेघवाल की उपस्थिति बीजेपी के साथ ही कांग्रेस के लिए भी सिरदर्द बन गई है. दोनों ही पार्टियों को खतरा है कि मेघवाल उनके एससी वोटर्स में सेंध लगाएंगे. एससी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत कोर वोट बैंक रहा है. वहीं बीजेपी के लिए एससी वोटों के साथ मेघवाल के समर्थक अन्य जातियों के वोटर्स को खिसकने का डर लग रहा है.

रामपाल मेघवाल 2013 में बारां-अटरू सीट से लगभग 20 हजार मतों से जीते थे. पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने कहा कि वे जिले में सबसे अधिक मतों से जीते थे. लेकिन भाजपा ने मेरी अनदेखी की है. अंता से टिकिट नहीं दिया है. अब वे अपने विवेक से स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे और दलित, शोषित तथा प्रताड़ित लोगों की पीड़ा को दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य दलित को उत्साहित करना है. मैं सदा आमजन के लिए खड़ा रहूंगा.

कुल 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया हैअंता सीट पर होने जा रहे इस उपचुनाव में कुल 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है. इन उम्मीदवारों ने कुल 32 फार्म जमा कराए हैं. इस उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय दावेदारों भी अपना दमखम दिखा रहे हैं. निर्दलियों में नरेश मीणा ने पहले ही बीजेपी और कांग्रेस को टेंशन में ला रखा है. अब रामपाल मेघवाल ने उपचुनाव में उतरकर दोनों पार्टियों की टेंशन को और बढ़ा दिया है. अंता में कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया और बीजेपी ने मोरपाल सुमन को चुनाव मैदान में उतार रखा है.

मीणा पहले भी अच्छे खासे वोट बटोर चुके हैंप्रमोद जैन यहां से दो बार चुनाव जीत कर दोनों ही बार अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बने थे. वहीं मोरपाल सुमन बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता हैं. वे वर्तमान में बारां पंचायत समिति के प्रधान हैं. उनकी पत्नी सरपंच रह चुकी है. निर्दलीय नरेश मीणा पहले भी यहां से पहले चुनाव लड़कर अच्छे खासे वोट बटोर चुके हैं. उसके बाद नरेश मीणा ने टोंक के देवली उनियारा में उपचुनाव लड़ा था. वहां भी अच्छे खासे वोटे बटोरे थे. नरेश ने वहां भी कांग्रेस से टिकट मांगा था. लेकिन कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दिया था. इसका परिणाम यह हुआ था नरेश ने वहां निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस की जमानत जब्त करवा दी थी.

थप्पड़कांड के बाद मीणा मजबूत होकर उभरे हैंअब नरेश मीणा ने यहां भी कांग्रेस से टिकट मांगा था. लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने फिर निर्दलीय ताल ठोक दी. देवली उनियारा में हुए थप्पड़ कांड के बाद नरेश मीणा जेल में रहे लेकिन वे राजनीतिक रूप ज्यादा मजबूत होकर उभरे. उनसे कांग्रेस और बीजेपी दोनों को टेंशन हो रही है. अब रामपाल के चुनाव मैदान में उतर जाने से कांग्रेस की सिरदर्दी और बढ़ गई उसे एससी वोट खिसकने का भी डर सताने लगा है.

दोनों निर्दलीयों ने मुकाबला चतुष्कोणीय बना दिया हैवहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि रामपाल को बीजेपी की गूढ़ रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतारा गया है ताकि वे कांग्रेस के कोर वोटर एससी वर्ग के वोट काटकर उसके मजबूत वोट बैंक की धार को कमजोर कर सके. लेकिन इसके साथ ही बीजेपी का भी थोड़ा बहुत वोट बैंक खिसकने के आसार बन गए हैं. चूंकि रामपाल पहले बारां-अटरू से विधायक रह चुके हैं. लिहाजा उनके समर्थक उनके साथ जाएंगे तो बीजेपी को भी नुकसान होने की संभावना है. हर बार यहां बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला होता रहा है. लेकिन इस बार नरेश मीणा और रामपाल मेघवाल ने इसे चतुष्कोणीय बना दिया है.

निर्दलीय उम्मीदवार मीणा, एससी और युवा वोटों को प्रभावित कर सकते हैंनरेश मीणा मीणा और युवा वोट बैंक पर असर डाल सकते हैं. वहीं एससी वर्ग से आने वाले रामपाल मेघवाल भी एससी और भाजपा के वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में दोनों ही प्रमुख पार्टियों को नए सिरे से अपनी गणित बनानी होगी. हालांकि 23 अक्टूबर को नामांकन-पत्रों की जांच की जाएगी. उसके बाद सही पाए गए उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी. 27 अक्टूबर तक नाम वापसी का समय रखा गया है. इस बीच नाम वापसी के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के मान मनुव्वल का दौर चलेगा. 27 तारीख की शाम को अंता के मैदान में उतरे सभी दावेदारों का नाम सामने आ जाएंगे. अगर उस समय तक बीजेपी रामपाल को बिठाने में सफल रही तो ठीक अन्यथा एससी वोटों का बंटवारा होना तय है.

अंता विधानसभा सीट का यह रहा है हार जीत का इतिहासअंता विधानसभा में कुल 2 लाख 27 हजार 563 मतदाता है. इनमें 1 लाख 16 हजार 405 पुरुष और 1 लाख 11 हजार 154 महिला मतदाता है. इनके साथ ही 4 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल है. उपचुनाव के लिए जिले में कुल 268 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. विधानसभा क्षेत्र के इतिहास की बात करें 2023 में भाजपा के कंवरलाल मीणा ने कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को 5,861 मतों के अंतर से हराया था. 2018 में कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने भाजपा के प्रभुलाल सैनी को 34,063 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. 2013 में भाजपा के प्रभुलाल सैनी ने कांग्रेस के प्रमोद भाया को 3,399 वोटों के अंतर से हराया था. उससे पहले 2008 में कांग्रेस के प्रमोद जैन ने भाजपा के रघुवीर सिंह कौशल को 29,668 वोटों के अंतर से हराया था.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj