Rajasthan

Intercaste love marriage story | Sanjeev Shailja love story | Shailja Shalu Sanjeev Monu | 32 years love story | intercaste marriage success

कोटा: कहते हैं कि कुछ रिश्ते अचानक बने हालातों से जन्म लेते हैं और समय के साथ अटूट विश्वास में बदल जाते हैं. ऐसी ही एक प्रेरक और भावनात्मक प्रेम कहानी है संजीव शर्मा (मोनू) और शैलजा (शालू) की, जो आज भी नई पीढ़ी के लिए मिसाल बनी हुई है.

यह कहानी शुरू होती है साल 1991 से, जब संजीव शर्मा दसवीं कक्षा में पढ़ते समय एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे. उसी दौरान शैलजा के पिता ने रास्ते में उनकी मदद की. इस मानवीय सहयोग का धन्यवाद करने जब संजीव शैलजा के घर पहुंचे, तभी पहली बार उन्होंने शैलजा को बैडमिंटन खेलते देखा — और यहीं से किस्मत ने अपना रास्ता तय कर लिया.

उस समय शैलजा सेंट्रल एकेडमी स्कूल में पढ़ती थीं. संजीव ने पढ़ाई के साथ-साथ एक और कारण से उसी स्कूल में दाखिला ले लिया — वह कारण था शैलजा. हालांकि पहले एक साल तक दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.

एक दिन शैलजा का रूमाल गिर गया. संजीव ने उसे उठाकर उस पर लिखा —“I Love You”और नीचे Yes / No का विकल्प बना दिया.शैलजा पढ़ाई में बेहद होशियार थीं, उन्होंने लगभग एक महीने तक कोई जवाब नहीं दिया.फिर आया बसंत पंचमी का दिन. स्कूल की ओर से छात्र चंबल गार्डन घूमने गए थे. वहीं संजीव ने हिम्मत कर शैलजा का हाथ पकड़ा और जवाब मांगा. शैलजा उस पल कुछ कह नहीं पाईं, लेकिन यहीं से रिश्ते की नींव मजबूत हो गई. इसके बाद गुलाब के फूल, लव लेटर्स और स्कूल की छुट्टी के बाद रास्ते की बातचीत उस दौर की मासूम मोहब्बत परवान चढ़ती गई.

आपसी बातचीत और समझदारी से सभी राज़ी हो गएदसवीं के बाद दोनों के बीच खुलकर बातचीत होने लगी. लव लेटर का जमाना था, शाम को घर के बाहर खेलते-खेलते मुलाकातें होतीं और पढ़ाई के साथ-साथ रिश्ता भी गहराता गया. आख़िरकार 2 दिसंबर 1997 को दोनों ने इंटरकास्ट मैरिज की. संजीव के परिवार को पहले से सब कुछ पता था और पूरा सहयोग मिला. शैलजा के परिवार में शुरुआत में थोड़ा विरोध हुआ, लेकिन आपसी बातचीत और समझदारी से सभी राज़ी हो गए. शादी दिल्ली में संपन्न हुई, जहां संजीव का परिवार बारात लेकर पहुंचा.

आज शैलजा पल्स स्कूल में प्रिंसिपल हैं और संजीव व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. उनके दो बच्चे हैं, जो मल्टीनेशनल कंपनियों में कार्यरत हैं. दोनों परिवारों के बीच आज भी गहरा अपनापन और नियमित आना-जाना बना हुआ है.संजीव कहते हैं- “भगवान के आशीर्वाद से हमारा परिवार प्रेम, सम्मान और विश्वास से भरा हुआ है.”शौक की बात करें तो शैलजा और संजीव दोनों को लॉन्ग ड्राइव और घूमना बेहद पसंद है. शैलजा खाने की शौकीन हैं और संजीव भी हर मोड़ पर उनका साथ निभाते हैं.

दोनों आध्यात्मिक रूप से भी जुड़े हुए हैं. भगवान की भक्ति, शिव अभिषेक, पूजा-पाठ और साप्ताहिक व्रत उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. दोनों अपने इष्ट पर अटूट विश्वास रखते हैं और साथ-साथ पूजा करना पसंद करते हैं.संजू बताते हैं कि “जीवन में पहली लड़की जिसे देखा, वही मेरी जीवनसाथी बनी. आज भी मैं उनसे उतना ही प्यार करता हूं.”

वहीं शालू कहती हैं कि वे एक दिन भी संजीव से दूर रहना पसंद नहीं करतीं. यदि संजीव कहीं बाहर जाते भी हैं, तो शाम तक घर लौट आना उनकी आदत और प्राथमिकता है. तीन दशकों से अधिक समय बाद भी शैलजा–संजीव की यह प्रेम कहानी साबित करती है कि सच्चा प्यार जाति, समाज और समय की सीमाओं से परे होता है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj