बीकानेर में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का एथलेटिक्स ट्रैक, सेंसर से मिलेगी खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस की जानकारी
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बीकानेर: बीकानेर संभाग में अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एथलेटिक्स खिलाड़ी तैयार होंगे. बीकानेर के सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में 400 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक बनकर तैयार हो गया है. यह ट्रैक वर्ल्ड एथलेटिक्स मानकों पर आधारित है और इसके निर्माण के लिए स्पोर्ट्स काउंसिल ने 8.61 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था. अब जिले के खिलाड़ियों को एथलेटिक्स से संबंधित प्रैक्टिस के लिए दूसरे जिलों में नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें महंगे संस्थानों का सहारा भी नहीं लेना पड़ेगा. वे बीकानेर में ही इस अंतरराष्ट्रीय मानकों के ट्रैक पर अभ्यास कर सकेंगे. ट्रैक को सिंथेटिक पद्धति से बनाया गया है और इसमें सेंसर लगाए गए हैं जो खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे. इन सेंसर की मदद से खिलाड़ियों की शुरुआत और अंतिम स्थिति की जानकारी आसानी से मिल सकेगी.
एथलेटिक्स ट्रैक का निर्माण सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के प्रधानाचार्य अजयपाल सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान सरकार की योजना के तहत संभाग स्तर पर एक एथलेटिक्स ट्रैक का निर्माण किया गया है. इसी योजना के तहत स्पोर्ट्स काउंसिल ने बीकानेर संभाग के एथलेटिक्स ट्रैक का निर्माण सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में करवाया है. इस ट्रैक के निर्माण में लगभग एक साल का समय लगा है और यह महीने के अंत तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. शेखावत ने बताया कि वर्तमान में सभी एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं इसी प्रकार के ट्रैक पर आयोजित की जाती हैं और बीकानेर संभाग के एथलेटिक्स खिलाड़ी अब इस ट्रैक पर अभ्यास कर सकेंगे, जिससे उनके परिणाम में सुधार की संभावना है.
वार्मर ट्रैक भी बनाया गया हैयह ट्रैक किसी भी मौसम में उपयोग किया जा सकता है और क्लब तथा स्कूल प्रतियोगिताओं के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है. इसमें क्षैतिज कूद के लैंडिंग क्षेत्रों के आयाम, टेक-ऑफ बोर्ड की दूरी, रनवे की लंबाई आदि को आवश्यकतानुसार समायोजित किया जा सकता है. इसके पास एक वार्मर ट्रैक भी बनाया गया है, जिससे कम उम्र के खिलाड़ियों को अभ्यास में आसानी हो सके. इस ट्रैक का निर्माण शिव नरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली द्वारा किया गया है.
एथलेटिक्स ट्रैक की विशेषताएं और लाभएथलेटिक्स ट्रैक में कई विशेषताए शामिल हैं. सबसे नीचे एक पत्थर की परत लगाई गई है, इसके ऊपर काले रबड़ के दाने केमिकल के साथ चिपकाए गए हैं जो लगभग दस एमएम मोटे हैं. इसके ऊपर लाल रबड़ के दाने लगाए गए हैं. काले रबड़ के दाने से जंप मिलता है और लाल रबड़ के दाने कठोर होते हैं, जो ट्रैक की मजबूती को बढ़ाते हैं.
चोटिल होने का खतरा कम अजयपाल सिंह ने बताया कि इस ट्रैक पर दौड़ने से खिलाड़ियों को कई फायदे होते हैं. इस ट्रैक की सतह से पैरों के ज्वाइंट्स पर कम दबाव पड़ता है, जिससे दर्द की संभावना कम होती है. काले रबड़ के दाने खिलाड़ियों को बेहतर जंप देने में मदद करते हैं, जिससे उनकी गति बढ़ती है और चोटिल होने का खतरा कम होता है.
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FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 19:06 IST