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Internet Shoutdown alternatives | साइबर क्राइम में बढ़ रहा ‘चीटिंग ट्रेंड’, इंटरनेट बंदी के ‘विकल्पों’ पर क्यों नहीं हो रहा काम?

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बदलते समय के साथ ये भी कई बार देखने में आया है कि अब सरकार प्रतियोगी परीक्षा होने पर भी इंटरनेट शटडाउन करने लगी हैं, जबकि पहले ये सिर्फ शांति-व्यवस्था के नाम पर होता था।

परीक्षाओं के समय इंटरनेट शटडाउन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित में याचिका दाखिल हुई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकारें इंटरनेट बंद करके लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही हैं। अदालत ने इस पर इलेक्ट्रॉनिक और आईटी डिपार्टमेंट को भी नोटिस भेजा था। साल 2020 में कोर्ट ने सरकार को जैमर्स लगाने की सलाह दी थी पर सरकार उन नियमों का पालन नहीं कर रही हैं।

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क्या बदल गई है ‘ इंटरनेट इमरजेंसी’ की परिभाषा ?

कुछ महीनों से परीक्षा को लेकर कई जिलों में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गईं। सबसे पहले ऐसा असम में देखने को मिला जब ग्रेड-3 और 4 की परीक्षा के दौरान 25 जिलों में इंटरनेट बंदी की गई। फिर जुलाई में रीट परीक्षा के वक़्त भी इंटरनेट शटडाउन किया गया था। ऐसे में कहा जा सकता है कि परीक्षाओं में इंटरनेट शटडाउन का ट्रेंड चलन में आ रहा है। इसके अलावा जनभावनाएं ना भड़के इसलिए इसी साल राजस्थान के उदयपुर जिले में कन्हैया लाल मर्डर केस के बाद 3 दिन तक इंटरनेट सेवाऐं बंद रहीं

कैसे सुधरेगी स्थिति?

इंटरनेट सेवाओं को स्थगित करने के कई विकल्प हो सकते हैं। परीक्षाओं के दौरान जैमर्स लगाकर परीक्षा में नक़ल पर रोक लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा इंटरनेट सेवाओं की जगह सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफॉर्म्स को चंद घंटे बंद करना भी इस समस्या का बेहतर विकल्प हो सकता है।

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इंटरनेट बंदी से आम लोगों को होती है कई परेशानियां

इंटरनेट सेवाओं के स्थगित होने से कई व्यापारियों के साथ ही आमजन को रोजमर्रा के कामों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, कैब सर्विस ऍप्लिकेशन्स बंद होने से इन पर निर्भर लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

जानिए इंटरनेट बंदी पर सरकार का जवाब

साइबर स्पेस द्वारा कई चुनौतियां उत्पन्न की जा रही हैं, जो इसके ब्रॉड नेचर की वजह से आती हैं। सरकार ने यह भी कहा कि साइबर स्पेस में सूचना बहुत तेजी से चलती है और इसके दुरूपयोग की आशंका होती है इसलिए परीक्षा के समय इंटरनेट सेवाएं बंद की जाती है।

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