Iran-Israel War: ईरान के हमले से भारतीयों ने बचाई हजारों इजराइलियों की जान, अंदर की कहानी जानकर चौंक जाएंगे
Iran-Israel War : ईरान के मिसाइल अटैक के बाद जिन बंकरों में छिपकर इजराइल के लोग शरण ले रहे हैं, वह किसी और ने नहीं, भारतीयों ने ही बनाए हैं. भारत से यहां पहुंचे तमाम ट्रेंड वर्कर्स को अलग-अलग कई कामों में लगाया गया है, जिनमें से कुछ का काम बंकर बनाना भी है. इजराइल में नौकरी कर रहे एक युवा, जयप्रकाश (बदला हुआ नाम) ने बताया कि “हम जब से यहां आए हैं, बंकर बनाने का ही काम कर रहे हैं. हमारे बनाए बंकर जंग के दौरान यहां की आर्मी और आम लोगों के काम आते हैं. पहले यह सीमा पर भेजे जाते हैं.” वह बताते हैं कि ये बंकर सीमेंट के ही होते हैं, लेकिन काफी मजबूत होते हैं. इनके अंदर स्टील की प्लेटे डली होती हैं. इन्हें बड़ी-बड़ी क्रेनों से उठाकर बड़ी मालवाहक गाड़ियों में भरकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है. जयप्रकाश कहते हैं कि ये बंकर बिल्कुल कमरे की तरह होते हैं, जैसे घर का एक कमरा समझिए, लेकिन इनकी बनावट और इनमें जो मैटेरियल उपयोग किए जाते हैं, वे अलग होते हैं. सार्वजनिक जगहों पर हजारों लोगों के छिपने के लिए जगह जगह बंकर बनाए गए हैं. जिससे कोई खतरा होने पर कोई भी छिपकर अपनी जान बचा सकता है. इसके अलावा हर मकान में तीन मीटर नीचे एक बंकर बना है, जिसमें किसी तरह के हमला होने पर छिपा जा सकता है.
यूपी से भेजे गए थे हजारों वर्कर्स इजराइल और हमास के बीच जंग के दौरान जो इमारतें क्षतिग्रस्त हुई थीं, उन्हें सजाने-संवारने के लिए इजराइल ने भारत से एक लाख श्रमिकों की मांग की थी. याद कीजिए, भारत में कुछ समय पहले इजराइल से एक समझौता हुआ था, जिसके तहत तमाम भारतीयों को नौकरी के लिए इजराइल भेजने का निर्णय लिया गया. सबसे पहले इसके लिए उत्तर प्रदेश तैयार हुआ. उत्तर प्रदेश में हर जिले में इजराइल जाने वाले ट्रेंड वर्कर्स के लिए वैकेंसी निकाली गई. उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में फेम वर्क/शटरिंग कारपेंटर और सिरेमिक टाइल का काम करने वाले युवाओं को इजराइल भेजा गया. यहां पर इन श्रमिकों को 1,37,500 रुपये प्रति माह की सैलरी दी जाती है.
एक साथ आए थे सैकड़ों लोग लेकिन… इजराइल में काम करने वाले रामदास बताते हैं कि “जब दिल्ली एयरपोर्ट से इजराइल के लिए फ्लाइट पकड़ी थी, तो वह स्पेशल फ्लाइट सिर्फ हम श्रमिकों के लिए ही थी. उसमें जितनी सीटें थीं, सब इजराइल में काम करने वाले लोग ही बैठे थे, लेकिन जब हम यहां की राजधानी पहुंचे, तो सब एक-दूसरे से बिछड़ गए. दो-दो, चार-चार की संख्या में हमें इजराइल के अलग-अलग इलाकों में भेज दिया गया. कोई किसी इलाके में है, कोई किसी में. आते ही हममें से बहुत सारे लोगों को बंकर बनाने के काम में ही लगाया गया था. उस समय हमें यह बताया गया था कि ये बंकर सीमा पर यहां की आर्मी के जवानों के लिए जाते हैं. बाद में पता चला कि मिसाइल अटैक के दौरान यही बंकर आम लोगों के छिपने के काम आ रहे हैं. किसी और की क्या कहें, हम लोग भी तो बंकर में छिपकर कल बचे थे.”
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 16:12 IST