Rajasthan

400 साल पुराना है हिंगलाज भवानी माता का मंदिर, औरंगजेब भी यहां हुआ था नतमस्तक

कृष्ण कुमार/नागौर : कहते हैं कि चमत्कार के आगे नमस्कार है जी हां आज आपको नागौर के डीडवाना के पास स्थित आदि सिद्ध स्थान जोगामंडी मे स्थित हिंगलाज माता के मंदिर के बारे में बताएंगे. यहां पर मुगल बादशाह औरगजेब को नतमस्तक होना पड़ा था. दरअसल इस मंदिर के इतिहास की बात करे तो मंदिर के पुजारी सुखनाथ महराज के अनुसार यह मंदिर 400 वर्ष पूर्व की थी राजा भर्तृहरि ने बलूचिस्तान से लाकर हिगलाज भवानी की स्थापना .

राजा भर्तृहरि ने यहां की 60 वर्ष तक तपस्या

सुखनाथ महराज बताते है कि राजा भर्तृहरि यहां पर उज्जैन से जोगा मंडी धाम आए थे. जहां पर एक गुफा स्थित है उस गुफा के माध्यम से राजा भर्तृहरि आए थे. वहीं यह गुफा डीडवाना से उज्जैन तक जाती है. 60 वर्षों तक राजा भर्तृहरि ने जोगा मंडी धाम में तपस्या की थी. यहां पर ऐसा माना जाता है कि यह नाथ संप्रदाय का सबसे प्राचीन धाम बताया जाता है.

यहां से उज्जैन तक गुफा जाती है लेकिन वर्तमान समय में सुरक्षा दृष्टि के कारण बंद कर दी गई है. जोगा मंडी धाम डीडवाना शहर के सालासर रोड पर स्थित है. जहां पर हिंगलाज भवानी का मंदिर भी स्थित है. मां हिंगलाज भवानी की स्थापना की थी. इससे पूर्व यहां पर कई नाथ संप्रदाय के साधु संत यहां पर पूजा अर्चना करते थे.

ऐसे दिया मुगल बादशाह को चमत्कार

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मुगल शासन में औरंगजेब भी इस स्थान का चमत्कार मान चुका था. दरअसल हुआ यूं कि जब गोशाला से पान चराई कर लेने आया तब गोशाला की गायों ने सिंह का रुप धारण कर लिया तो औरंगजेब स्वयं यहां पर आया तो शिवजी की शिवलिंग खंडित कर दी तो यहां पर विराजित संत ने तन के वस्त्र को छोड़ा तो भंवरे की उत्पति हुई और औरगजेब को अचेत कर दिया. तीन दिन बाद होश में आने के बाद औरंगजेब ने यहां पर ताम्रपत्र जारी किया गया.

यह हिंगलाज भवानी का मंदिर भारत में यहां स्थित है. वहीं प्रथम मंदिर बलूचिस्तान पाकिस्तान में स्थित है. वहां से लाकर राजा भर्तृहरि ने यहां मां हिंगलाज भवानी की स्थापना की थी. वही नाथ संप्रदाय देवियों में हिंगलाज भवानी को मानता है.

यहां पर हैं कई साधुओं की समाधि

वहीं इस जोगा मंडी धाम स्थान के अंदर अनेक साधु संतों की जीवित समाधि स्थित है. इन समाधियों कि अगर कोई गिनती करता है. तो वह हर बार गिनती करने पर अलग गणित निकाल कर आती है . यहां पर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस धाम में भेरुनाथ का मंदिर भी स्थित है जिसकी भी स्थापना राजा भर्तृहरि के द्वारा की गई थी.

Tags: Local18, Nagaur News, Rajasthan news

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