सूर्यकुमार या हार्दिक पंड्या, क्या गौतम गंभीर के पहले बड़े फैसले का हो रहा विरोध, क्यों हो रही टीम चुनने में देरी

नई दिल्ली. भारत को श्रीलंका दौरे पर 10 दिन बाद टी20 मैच खेलना है लेकिन टीम की घोषणा अभी नहीं हुई है. टीम इंडिया के चयन में हो रही देरी कई सवाल खड़े कर रही है. क्या यह गौतम गंभीर के हेड कोच बनने का असर है. क्या रोहित शर्मा के टी20 संन्यास के बाद नया कप्तान चुनने में कोई उलझन है. क्या नए कप्तान और हेड कोच का भी कोई समीकरण है, जो बीसीसीआई नही सुलझा पा रहा है. क्रिकेट की तमाम कयासबाजियों के बीच नए कप्तान और हेड कोच के समीकरण की बात ही सच के सबसे करीब लग रही है. आइए जानते हैं कैसे.
बीसीसीआई सूत्रों की मानें तो हार्दिक पंड्या भारतीय टी20 टीम के कप्तान के तौर पर चयनकर्ताओं की पहली पसंद हैं. पंड्या का दावा भी बहुत स्वाभाविक है. वे टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के उप कप्तान थे. कप्तान (रोहित शर्मा) के संन्यास के बाद उप कप्तान का दावा पहला होता है. खासकर, यदि उस खिलाड़ी को दो साल पहले यही सोचकर उप कप्तान बनाया गया हो कि वह कप्तान को रिप्लेस करेगा.
काबिलियत साबित कर चुके हैं पंड्याहार्दिक पंड्या 16 टी20 मैचों में भारत की कप्तानी कर चुके हैं. आईपीएल में नई नवेली टीम गुजरात टाइटंस को चैंपियन बना अपनी काबिलियत का सबूत दे चुके हैं. हार्दिक की कप्तानी देखकर ही मुंबई इंडियंस ने गुजरात टाइटंस से इस खिलाड़ी को ट्रेड किया. टीम में रिप्लेसमेंट की बात करें तो हार्दिक के मुकाबले कोई प्लेयर नहीं फिट बैठता. वे देश के एकमात्र ऑलराउंडर हैं, जो किसी भी फॉर्मेट और किसी भी मैदान पर खेलने के लिए फिट होते हैं.
सूर्यकुमार का नाम अचानक उभराआखिर जब हार्दिक पंड्या कप्तानी के जरूरी सभी पैमानों पर खरे हैं, तो उन्हें कप्तान बनने से कौन सी बात रोक रही है. इसी जवाब को तलाशने पर गौतम गंभीर का नाम उभरता है. बीसीसीआई के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि पिछले दिनों तक कप्तानी की रेस में पंड्या सबसे आगे थे. एक तरह से सबकी पसंद भी थे. लेकिन सूर्यकुमार का नाम अचानक और बड़ी तेजी से इस रेस में उभरा है. वे डार्क हॉर्स साबित हो सकते हैं.
पंड्या की चोट का इतिहास पुरानामाना जा रहा है कि गौतम गंभीर टी20 टीम के लिए हार्दिक पंड्या की बजाय सूर्यकुमार यादव का नाम आगे बढ़ा रहे हैं. इसके पीछे कोई राजनीति भी नहीं है. गंभीर ऐसा कप्तान चाहते हैं, जिसके टी20 वर्ल्ड कप 2026 में खेलने को लेकर संशय नहीं हो. गंभीर इस रेस में सूर्या को पंड्या से आगे देखते हैं. वजह- पंड्या का खेल नहीं, उनकी चोट का इतिहास है. पंड्या आईपीएल से लेकर वर्ल्ड कप तक में चोट के कारण बीच से हट चुके हैं. टीम मैनेजमेंट से लेकर क्रिकेटफैंस को यह बात पता है. यही कारण है कि चयनकर्ता पंड्या के प्रति सतर्क रहते हैं और उन्हें बड़े मैचों में ही उतारा जाता है.
केकेआर के लिए गंभीर और सूर्या साथ खेलेगौतम गंभीर और सूर्यकुमार का कोलकाता नाइटराइडर्स का कनेक्शन भी इस समीकरण का एक पहलू है. सूर्यकुमार यादव केकेआर के लिए खेलते हुए ही पहली बार चर्चा में आए थे. तब टीम के कप्तान गौतम गंभीर थे. बताया जाता है कि सूर्या को स्काई (SKY) नाम गौतम ने ही दिया था. गौतम का यही भरोसा अब सूर्या को कप्तानी की रेस में आगे कर रहा है. लेकिन बात सिर्फ भरोसे की नहीं है. सूर्यकुमार यादव रणजी से लेकर विजय हजार ट्रॉफी तक में मुंबई की कप्तानी करते है. उनके पास कप्तानी का काफी अनुभव है, जो टीम इंडिया के काम आ सकता है.
क्या सिर्फ चोट की आशंका से किसी खिलाड़ी का कप्तानी पाने का हक छीना जाना चाहिए. इसका सीधा जवाब है- नहीं. किस खिलाड़ी को कब चोट लग जाए, यह कोई नहीं जानता. और फिर हार्दिक की जगह जिन सूर्या को कप्तानी की रेस में आगे किया जा रहा है, वह खुद ही तकरीबन 5 महीने की चोट के बाद टीम इंडिया में लौटे हैं.
नए कप्तान के साथ कोच को होती है सहूलियतचोट की आशंका, टीम कॉम्बिनेशन, एक्सपीरियंस के अलावा भी एक बात है, जिस पर कोई भी जानबूझकर बात नहीं करना चाहता. यह बात है एक नए कोच के टीम में आने और पहचान बनाने की, जो अपना एक प्लान लेकर आ रहा है. कोच बनने से पहले गंभीर ने क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी (सीएसी) को फ्यूचर प्लान जरूर बताया होगा. अब टीम इंडिया हो या कोई और, किसी भी नए कोच के लिए प्लान लागू करना और करवाना तब आसान होता है जब कप्तान नया हो. अगर कप्तान पुराना हो, दबंग और कामयाब हो, तो कोच उस पर हावी नहीं हो पाता. तब कोच सलाहकार या बड़े भाई की भूमिका में ही होता है. अब यह जरूरी तो नहीं कि हर कोच सलाहकार या बड़ा भाई ही बनना चाहे. हमने भारतीय क्रिकेट में दो तरह के अनुभव देखे हैं. एक गैरी कर्स्टन से लेकर रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ तक, जो बड़े भाई की भूमिका में खुश रहते हैं. परदे के पीछे से काम करते हैं. दूसरे ग्रेग चैपल क्लब वाले कोच होते हैं, जो कप्तान को डॉमिनेट करते हैं. हम सबने देखा है कि चैपल के कार्यकाल में तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ ने ऐसे कई फैसले लिए, जो उनसे उम्मीद नहीं की जाती थी.
कप्तान पर हावी होना जानते हैं कोच गंभीरगौतम गंभीर बतौर कोच या मेंटोर अभी तक चैपल की शैली के करीब दिखते हैं. जब वे लखनऊ सुपरजायंट्स के कोच थे, तब उनकी सक्रियता अन्य कोच के मुकाबले ज्यादा होती थी. डगआउट पर बैठे गंभीर को खिलाड़ियों पर गुस्सा करते देखा गया. एक बार तो वे विरोधी टीम के खिलाड़ी, जो उनकी दिल्ली टीम के जूनियर (विराट कोहली) भी हैं, उनसे भिड़ने के लिए उठकर चले गए थे. कोलकाता नाइटराइडर्स में भी खिताब जीत का श्रेय कप्तान श्रेयस अय्यर से ज्यादा गौतम गंभीर ले गए. ऐसे में यह मानना गलत नहीं होगा कि गंभीर किसी ऐसे खिलाड़ी का नाम कप्तानी के लिए आगे बढ़ाएं, जो उनकी बात ज्यादा सुने.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड इसी ऊहापोह में फंस गया है. एक तरफ हार्दिक पंड्या का वाजिब हक है और दूसरी तरह नएनवेले कोच की अपनी खास पसंद. देखना है कि बोर्ड इस उलझन का क्या रास्ता निकालता है.
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FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 12:14 IST