ICC WWC: ट्रॉफी के लिए टोटका जरूरी है, क्या हरमनप्रीत के हाथ में है फाइनल,

Last Updated:November 01, 2025, 14:21 IST
सिर्फ 24 घंटे में भारतीय महिला टीम अपने जीवन के सबसे अहम मैच में उतरेगी. दांव ऊँचे हैं और पूरे देश की निगाहें इस मुकाबले पर टिकी हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में मिली अप्रत्याशित जीत ने फैन्स के जोश को नई ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है और फाइनल से पहले टूर्नामेंट में जान डाल दी है.
फाइनल से पहले दबाव हटाने का फॉर्मूला खोज कर लाएगी हरमनप्रीत कौर
नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया जैसी “रेड-हॉट फेवरेट” टीम को हराने के बाद अब सवाल यही है क्या भारत अब उसी फेवरेट टैग के साथ दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खरा उतर पाएगा.ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन अब, जब फाइनल में उनके साथ पूरे देश का समर्थन और स्टेडियम की भीड़ होगी, टीम इंडिया फेवरेट के रूप में उतरेगी. सवाल यह है कि क्या हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम इस उम्मीदों के दबाव को झेल पाएगी.
सिर्फ 24 घंटे में भारतीय महिला टीम अपने जीवन के सबसे अहम मैच में उतरेगी. दांव ऊँचे हैं और पूरे देश की निगाहें इस मुकाबले पर टिकी हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में मिली अप्रत्याशित जीत ने फैन्स के जोश को नई ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है और फाइनल से पहले टूर्नामेंट में जान डाल दी है. इसे उलटफेर कहना बिल्कुल सही है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया वह टीम थी जिसे हराना सबसे मुश्किल था उन्होंने बार-बार यह साबित किया है और महिला क्रिकेट में मानक तय किए हैं.
गलतियों के गलियारें में नहीं जाना
भारत की बल्लेबाजी उम्मीद से बेहतर रही. 339 रन के लक्ष्य के सामने किसी ने नहीं सोचा था कि भारत मैच जीत जाएगा लेकिन सच्चाई यह है कि गेंदबाज़ी और फील्डिंग कमजोर रही और कप्तानी भी खास नहीं थी. रेनुका ठाकुर को गेंदबाज़ी न देना हमारी नजर में गलती थी फील्डिंग भी औसत से नीचे थी, और इस पर बात करना जरूरी था.भारत में या तो कोई खिलाड़ी सबसे अच्छा होता है या सबसे बुरा. अब जब भारत जीत गया है, हरमनप्रीत फिर से “सर्वश्रेष्ठ कप्तान” बन गई हैं लेकिन सच्चाई यह है कि वह इस टूर्नामेंट में कप्तान के तौर पर औसत रही हैं कभी-कभी कमजोर भी. बतौर बल्लेबाज़ उन्होंने शानदार खेल दिखाया, लेकिन कप्तान के तौर पर उन्हें फाइनल में और बेहतर होना होगा.
फाइनल का दबाव
नॉकआउट मैचों की प्रकृति ही ऐसी होती है कि वे कई कमियों को छिपा देते हैं. ऑस्ट्रेलिया पर जीत के बाद अब इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से मिली हारें भुला दी गई हैं. हकीकत यह है कि भारत ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मुश्किल से जीत हासिल की थी और टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन अब तक केवल औसत रहा है. फाइनल से पहले इन कमियों को पहचानना और सुधारना जरूरी है यही कप्तान और कोच का लक्ष्य होना चाहिए.
अफ्रीका के पास असलहे है
दक्षिण अफ्रीका ने, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ समूह मैचों को छोड़कर, पूरे टूर्नामेंट में शानदार क्रिकेट खेला है. लौरा वोल्वार्ड्ट सेमीफाइनल में बेहतरीन रहीं और वह फाइनल में भी अहम भूमिका निभा सकती हैं नादिन डी क्लर्क ने भारत के खिलाफ शानदार पारी खेली थी और क्लोई ट्रायन पूरे टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. दक्षिण अफ्रीका को हराने के लिए भारत को अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाना होगा क्योंकि अब भारत अंडरडॉग नहीं है.ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कहानी अलग थी तब सबका ध्यान सिर्फ उन पर था और भारत को कोई उम्मीद नहीं थी. लेकिन अब, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत फेवरेट के रूप में उतरेगा और यह “फेवरेट” टैग अपने साथ एक अलग तरह का दबाव लाता है उम्मीदों का दबाव यही वह चीज़ है जिससे भारत को सावधान रहना होगा. इस दबाव को स्वीकार करें, और इसे जीत में बदल दें.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 01, 2025, 14:21 IST
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