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बरसाने की लट्ठमार से भी खतरनाक है ‘पत्थरमार होली’, जानें कहां खेली जाती है ये? तरीका जान हैरान रह जाएंगे आप

Last Updated:March 13, 2025, 12:56 IST

Ajab gajab Holi : राजस्थान के डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गांव में खेली जाने वाली ‘पत्थरमार होली’ बरसाने की लट्ठ मार होली से भी ज्यादा खतरनाक है. आदिवासी समाज के लोग यह होली खेलते हैं.जानें क्या है यह परंपरा. बरसाने की लट्ठमार से भी खतरनाक है 'पत्थरमार होली', जानें कहां खेली जाती है ये?

पत्थरमार होली में शरीर से खून निकलने को शुभ माना जाता है.

हाइलाइट्स

डूंगरपुर के भीलूड़ा गांव में पत्थरमार होली खेली जाती है.इस होली में आदिवासी एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं.खून बहने को शुभ मानकर प्रतिभागी उत्साहित होते हैं.

डूंगरपुर. होली रंगों का त्योहार है. इसमें लाल, पीला, नीला हरा, नारंगी और न जाने कितने रंगों का संगम होता है. लेकिन रंगों का यह त्योहार क्या खूनी भी हो सकता है? एक सामान्य इंसान के नजरिये से इसका जवाब ‘ना’ में होगा. लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि राजस्थान के आदिवासी इलाके वागड़ में खूनी होली भी खेली जाती है. इस होली में आदिवासी एक दूसरे को रंग लगाने के बजाय पत्थर मारते हैं. इस दौरान शरीर से खून बहना शुभ माना जाता है.

देशभर में कोड़ामार और लट्ठमार समेत अन्य कई तरह होली खेली जाती है. लेकिन डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गांव में पत्थर मार होली खेली जाती है. इसमें आदिवासी लोग एक दूसरे को पत्थर मारकर होली खेलते हैं. डूंगरपुर के देवल और जेठाना गांव में गेर खेलने की अलग परंपरा है. वहीं जिले कोकापुर गांव में होली दहन के बाद दहकते अंगारों पर चलने की परंपरा है. आदिवासी आज भी बिना किसी झिझक के इन परंपराओं को निभाते हैं.

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स्थानीय भाषा में इसे ‘पत्थरों की राड़’ कहा जाता हैडूंगरपुर भीलूड़ा गांव में बीते करीब 200 बरसों से धुलंडी पर खूनी होली खेलने की परंपरा है. यह देश का एकमात्र क्षेत्र है जहां बरसाने की लट्ठमार होली से भी खतरनाक पत्थर मार होली खेली जाती है. होली पर रंगों की जगह पत्थर बरसाकर खून बहाने को शुभ माना जाता है. इसे स्थानीय बोली में ‘पत्थरों की राड़’ कहा जाता है. इस परंपरा में भीलूड़ा और आसपास के गांवों से लगभग 400 लोग रघुनाथ मंदिर परिसर में एकत्रित होते हैं.

खून बहने पर प्रतिभागी विचलित नहीं होते बल्कि उत्साहित होते हैंखेल शुरू होते ही ये लोग दो टोलियों में बंट जाते हैं और एक-दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू कर देते हैं. पत्थरों की बारिश और बचाव करते दोनों पक्षों को देखकर हजारों दर्शक रोमांचित हो जाते हैं. प्रतिभागियों के पास ढालें भी होती हैं. वे पत्थरों की बौछारों को रोकती हैं. चोट लगने और खून बहने पर भी प्रतिभागी विचलित नहीं होते. बल्कि इसे शुभ संकेत मानकर दुगुने उत्साह से खेलते हैं. गंभीर रूप से घायल प्रतिभागियों को इलाज के लिए पास के अस्पताल ले जाया जाता है. वहां डॉक्टर्स का एक दल विशेष रूप से तैनात रहता है.


Location :

Dungarpur,Dungarpur,Rajasthan

First Published :

March 13, 2025, 12:56 IST

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बरसाने की लट्ठमार से भी खतरनाक है ‘पत्थरमार होली’, जानें कहां खेली जाती है ये?

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