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गिजा पिरामिड के नीचे विशाल भूमिगत शहर का दावा, इटली के वैज्ञानिकों का खुलासा

Last Updated:March 25, 2025, 12:50 IST

इटली के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें गिजा पिरामिडों के नीचे 4000 फीट गहरा ‘रहस्यमयी शहर’ मिला है, जो पिरामिडों से 10 गुना बड़ा है. इसके लिए उन्होंने रडार का इस्तेमाल किया, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे नकार रहे…और पढ़ेंगिजा पिरामिड के नीचे 'रहस्यमयी शहर' मिलने का दावा, खुलेगा 4500 साल पुराना राज?

Canva से ली गई सांकेतिक तस्वीर.

मिस्र (Egypt) के गिजा पिरामिड (Giza Pyramids) पिछले 4500 साल से दुनिया के लिए एक रहस्य बने हुए हैं, लेकिन अब एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया है. इटली (Italy) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इन पिरामिडों के नीचे एक ‘विशाल भूमिगत रहस्यमयी शहर’ छिपा है, जो 4000 फीट से भी ज्यादा गहरा है और पिरामिडों से 10 गुना बड़ा है! ये दावा सुनते ही दुनिया भर में हंगामा मच गया है. कोई इसे इतिहास बदलने वाली खोज बता रहा है, तो कई बड़े विशेषज्ञ इसे कोरी कल्पना कहकर खारिज कर रहे हैं. आपको बता दें कि ये चौंकाने वाला दावा इटली की पीसा यूनिवर्सिटी (University of Pisa) के कॉराडो मालंगा (Corrado Malanga), स्कॉटलैंड की स्ट्रैथक्लाइड यूनिवर्सिटी (University of Strathclyde) के फिलिपो बियोन्डी (Filippo Biondi) और मिस्रशास्त्री अरमांडो मेई (Armando Mei) की टीम ने किया है.

वैज्ञानिकों की इस टीम ने खफरे पिरामिड (Khafre Pyramid) के नीचे एक खास रडार तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसे सैटेलाइट से चलाया जाता है. इस तकनीक में रडार सिग्नल जमीन के अंदर भेजे जाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे समुद्र की गहराई नापने के लिए सोनार काम करता है. रडार सिग्नल से मिले निष्कर्षों के बाद टीम का कहना है कि उन्हें 8 बेलनाकार ढांचे (cylinder-shaped structures) मिले, जो 2100 फीट गहरे हैं और इससे भी नीचे 4000 फीट पर कुछ और अनजान संरचनाएं दिखीं. प्रोजेक्ट की प्रवक्ता निकोल सिकोलो (Nicole Ciccolo) ने इसे ‘क्रांतिकारी’ बताते हुए कहा कि ये तीनों पिरामिड खुफु (Khufu), खफरे (Khafre) और मेनकौरे (Menkaure) के नीचे एक-दूसरे से जुड़ा हुआ नेटवर्क हो सकता है. निकोल के मुताबिक, “ये बेलनाकार ढांचे दो समानांतर पंक्तियों में हैं, जिनके चारों ओर सर्पिल रास्ते (spiral pathways) हैं. ये एक विशाल भूमिगत सिस्टम के प्रवेश द्वार हो सकते हैं, जो पिरामिडों जितना बड़ा है.”

टीम का दावा है कि ये खोज मिस्र की पौराणिक ‘हॉल्स ऑफ अमेंटी’ (Halls of Amenti) से मिलती-जुलती है, जो प्राचीन कहानियों में एक गुप्त ज्ञान का खजाना मानी जाती है. ये खबर 15 मार्च को इटली में एक प्रेस ब्रीफिंग में सामने आई. फ्लोरिडा की सांसद अन्ना पॉलिना लूना (Anna Paulina Luna) ने भी इसकी तस्वीरें शेयर की हैं. लेकिन क्या ये सचमुच इतना बड़ा खुलासा है? हर कोई इस दावे से सहमत नहीं है. डेनवर यूनिवर्सिटी (University of Denver) के रडार विशेषज्ञ प्रोफेसर लॉरेंस कॉनियर्स (Lawrence Conyers) ने कहा, “ये तकनीक इतनी गहराई तक नहीं जा सकती. 4000 फीट नीचे शहर का दावा बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है.” उनके मुताबिक, पिरामिडों के नीचे छोटे-मोटे ढांचे जैसे शाफ्ट या चैंबर हो सकते हैं, जो पहले से मौजूद थे, क्योंकि ये जगह प्राचीन लोगों के लिए खास थी. वो कहते हैं, “मायन सभ्यता (Mayan Civilization) में भी पिरामिड गुफाओं के ऊपर बनाए गए थे, लेकिन इतना विशाल शहर नामुमकिन है.”

कॉनियर्स का मानना है कि सच जानने के लिए खुदाई ही एकमात्र रास्ता है, लेकिन अभी ये स्टडी किसी वैज्ञानिक जर्नल में छपी नहीं है. इस वजह से इसकी सच्चाई पर सवाल उठ रहे हैं. बता दें कि पिरामिड के नीचे रहस्यमयी शहर का दावा करने वाले एक्सपर्ट कॉराडो मालंगा एक यूएफओ विशेषज्ञ (UFOlogist) हैं और पहले एलियंस पर यूट्यूब शो कर चुके हैं, जबकि बियोन्डी रडार तकनीक के माहिर हैं. वहीं, मेई प्राचीन मिस्र पर शोध करते हैं. इनकी टीम ने 2022 में ‘रिमोट सेंसिंग’ जर्नल में एक पेपर छापा था, जिसमें खफरे पिरामिड के अंदर छिपे कमरे और रैंप मिलने का दावा किया गया था. इस बार सैटेलाइट और भूकंपीय कंपन (seismic movements) से बनी 3D तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है. टीम 2025 तक शोध जारी रखेगी, लेकिन कई लोग इसे सनसनी मान रहे हैं. क्या ये खोज मिस्र के इतिहास को नया मोड़ देगी, ये तो वक्त ही बताएगा!


First Published :

March 25, 2025, 12:50 IST

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