Jails Are Sacrifices Of Repentance And Refinement: Prof. Sharma – special lecture- जेलें पश्चाताप और परिष्करण की यज्ञशालाएं : प्रो. शर्मा

special lecture- जयपुर। महात्मा गांधी ने यरवडा जेल को मंदिर कहा और श्रम आधारित जीवन के कारण जेलों को आश्रम की संज्ञा दी । स्वतंत्रता संग्राम में जेल चिंतन. मनन .सृजनात्मकता और रचनात्मकता का प्रमुख केंद्र रहीं । इन्हीं जेलों में महान साहित्य लिखा गया ।

बंदी सुधार दिवस पर केंद्रीय कारागार में विशिष्ट व्याख्यान
जयपुर। महात्मा गांधी ने यरवडा जेल को मंदिर कहा और श्रम आधारित जीवन के कारण जेलों को आश्रम की संज्ञा दी । स्वतंत्रता संग्राम में जेल चिंतन. मनन .सृजनात्मकता और रचनात्मकता का प्रमुख केंद्र रहीं । इन्हीं जेलों में महान साहित्य लिखा गया । सही अर्थों में जेलें पश्चाताप के साथ ही व्यक्तित्व शोधन और परिशोधन की यज्ञशालाएं हैं।यह कहना है आपीएससी के पूर्व अध्यक्ष एवं महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ़ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज के नव नियुक्त निदेशक प्रोफेसर बीएम शर्मा का। जो राजस्थान संस्कृत अकादमी,राजस्थान सिंधी अकादमी और महानिदेशालय कारागार की ओर से बंदी सुधार दिवस के अवसर पर संस्कृत एवं संस्कृति के आलोक में गांधी और जीवन बोध विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के साहित्याचार्य प्रोफेसर रमाकांत पांडेय ने कहा कि किसी भी अपराध के मूल में क्रोध और आवेश होता है। काम, क्रोध,लोभ,मोह यजो अपराध के कारक हैं,अगर व्यक्ति इन पर काबू पा ले तो वह सदैव बंधन मुक्त रहता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ गांधीवादी विचारक धर्मवीर कटेवा ने कहा कि वह काल, वह समय. चक्र महत्वपूर्ण है यजिस क्षण में अपराध घटित. अथवा कारित हुआ । उसी काल के वशीभूत होकर भगवान राम को लंबा वनवास काटना पड़ा। यह कारावास भी उसी वनवास की तरह है, जहां से आदमी तपकर,निखर कर,सुधर कर बाहर आता है। कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवर्तन केंद्रीय कारागार जयपुर के अधीक्षक राकेश कुमार शर्मा ने किया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों एवं बंदियों ने गांधी वृद्ध सेवा संकल्प पत्र का सामूहिक वाचन किया।