Rajasthan

jaipur | दिखावटी बने रेडियो कॉलर, बोझ ढो रहे सरिस्का के बाघ

वन अधिकारी बोले- बाघों के लिए अब कॉलर की जरुरत नहीं, विशेषज्ञ बोले- कॉलर चालू होता तो, अब तक एसटी 13 ढूंढ लेेते

जयपुर

Published: February 08, 2022 08:52:00 pm

देवेंद्र सिंह राठौड़/ जयपुर. बाघों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे वन महकमे के अफसरों के दावे महज कागजी साबित हो रहे हैं। उनके सुस्त रवैये की सजा अब बाघ भुगत रहे हैं। फेल मॉनिटरिंग व खराब रेडियो कॉलर से वह शिकारियों को भी शह दे रहे हैं। अब तो, उन्होंनेे व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बजाय ईनाम देने की नई परिपाटी भी शुरू कर दी है। वर्ष-2005 बाघ विहीन हुए सरिस्का के जंगल को फिर से बाघों से आबाद करने के लिए रणथंभौर से बाघ लाकर छोड़े गए। नई टेरेटरी के चलते बाघों की लोकेशन व मूवमेंट की सटीक जानकारी मिलते रहे इसके लिए वीएचएफ रेडियो कॉलर लगाए गए। खासकर उन बाघों के लगाए गए जो कि कम दिखाई देते हैं या फिर बार-बार जंगल से बाहर विचरण करते हैं। वर्तमान में बाघ एसटी 2, एसटी 3, एसटी 6, एसटी 9, एसटी 10 व एसटी 13 के रेडियो कॉलर लगा हुआ है। हालांकि यह कोई फायदेमंद साबित नहीं हो रहे हैं। कारण कि यह लंबे समय से खराब पड़े हैं। यही वजह है कि इन दिनों गायब बाघ एसटी 13 को ढूंढ नहीं पा रहे है। एसटी 13 पहले भी राजगढ़ तक पहुंच गया था। उसे के ट्रेंकुलाइज करके यहां लाया गया था। इस स्थिति में उसके कॉलर को दुरुस्त किए जाना जरूरी था। साफ है अफसरों की सुस्ती के कारण न केवल बाघ बंद रेडियो कॉलर का भार ढो रहे हैं, बल्कि उन पर खतरा भी मंडरा रहा है।

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ताक में बैठे शिकारी प्रदेश के वन क्षेत्रों में शिकारी ताक में बैठे हैं। यहां अलवर जिले में गत दिनों तीन पैंथर के शव मिल चुके हैं। इसके अलावा उदयपुर, अजमेर समेत कई इलाकों में फंदे भी लगाए जा रहे हैं। गत वर्ष मुकुंदरा में भी ऐसे हालात देखे गए। वहां दो बाघ संदिग्ध हालात में मृत मिले। उन्हें भी ढूंढने में काफी समय लगा, जबकि उनके भी कॉलर लगे हुए थे और वे भी बंद थे। इन हालात को देखते हुए बाघों के रेडियो कॉलर दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

यों उपयोगी साबित बाघों के सेटेलाइट व रेडियो बेस्ड (वीएचएफ ) रेडियो कॉलर लगाए गए थे। इससे सेटेलाइट सिस्टम के तहत बाघ के विचरण क्षेत्र समेत पूरी गतिविधियां की जानकारी मिल सके। खासकर नर बाघों के लिए कॉलर की ज्यादा जरूरत है। कारण कि उनकी जंगल से बाहर आवाजाही ज्यादा होती है।

….तो ऐसे हालात न होते वर्तमान स्थिति को देखते हुए न केवल बाघों के खराब पड़े रेडियो कॉलर को ठीक कराने बल्कि नए कॉलर लगाने की भी जरूरत है। कई बार मांग उठी लेकिन अभी तक इसका ठोस समाधान नहीं हुआ। अभी गायब बाघ एसटी 13 को कॉलर ठीक होता तो, ऐसे हालात नहीं होते।
दिनेश दुर्रानी, फाउंडर सचिव, सरिस्का टाइगर फाउंडेशन

प्रस्ताव बनाकर भेजा
प्रस्ताव बनाकर भेजा रेडियो कॉलर को ठीक कराने को लेकर प्रयास किए जाएंगे। नए कॉलर के लिए एनटीसीए को प्रस्ताव भी भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद लगाए जाएंगे। सुदर्शन शर्मा, डीएफओ सरिस्का

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