JAIPUR JDA KISHANBAGH DESERT PARK | अब किशनबाग पार्क में सप्ताह में हर मंगलवार नो—एंट्री

Jaipur JDA Kishanbagh Park जयपुर। विद्याधर नगर में किशनबाग में नाहरगढ की तलहटी में विकसित किशनबाग पार्क अब प्रत्येक मंगलवार को बंद रहेगा। वहीं विजिटर्स ऑनलाइन प्रीमियम स्लॉट बुक करा सकेंगे। सुबह का प्रथम स्लॉट 3 घण्टे प्रीमियम स्लॉट के रूप में निर्धारित किया गया है। इसमें एक साथ 100 विजिटर्स को प्रवेश दिया जाएगा। वहीं अब किशनबाग में नियमों का उल्लंघन करने पर 500 रूपए का जुर्माना भी देना पड़ेगा।
जयपुर
Published: February 27, 2022 02:38:47 pm
Jaipur JDA Kishanbagh Park जयपुर। विद्याधर नगर में किशनबाग में नाहरगढ की तलहटी में विकसित किशनबाग पार्क अब प्रत्येक मंगलवार को बंद रहेगा। वहीं विजिटर्स ऑनलाइन प्रीमियम स्लॉट बुक करा सकेंगे। सुबह का प्रथम स्लॉट 3 घण्टे प्रीमियम स्लॉट के रूप में निर्धारित किया गया है। इसमें एक साथ 100 विजिटर्स को प्रवेश दिया जाएगा। वहीं अब किशनबाग में नियमों का उल्लंघन करने पर 500 रूपए का जुर्माना भी देना पड़ेगा। यह निर्णय किशन बाग परियोजना की समीक्षा बैठक में लिए गए।

अब किशनबाग पार्क में सप्ताह में हर मंगलवार नो—एंट्री
जेडीए आयुक्त गौरव गोयल ने बताया कि किशनबाग परियोजना की प्रबंधन एजेंसी की ओर से किशनबाग परियोजना में प्रीमियम स्लॉट का प्रस्ताव रखा गया, जिसका अनुमोदन करते हुए सुबह का प्रथम स्लॉट 3 घण्टे प्रीमियम स्लॉट के रूप में निर्धारित किया गया है, जिसे ऑनलाईन (बुक माई शो आदि) के माध्यम से बुक किया जा सकेगा। प्रीमियम स्लॉट में प्रथम 100 विजिटर्स किशनबाग परियोजना में भ्रमण का आनंद ले सकेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक मंगलवार को किशनबाग पार्क को बंद रखने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। किशनबाग परियोजना के संचालन के लिए बनाई गई नियमावली के उल्लंघन करने पर 500 रूपये का जुर्माना रखे जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। किशनबाग पार्क होली (धुलण्डी) के दिन अवकाश रखा जायेगा।
जेडीए अधिकारियों के अनुसार किशनबाग को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य नाहरगढ़ के मौजूद रेतीले टीलों को स्थाई कर वहाँ पर पाये जाने वाले जीव जन्तुओं के प्राकृतिक वास को सुरक्षित कर संधारित करना एवं रेगिस्थान में प्राकृृतिक रूप से पनपने वाली वनस्पती की प्रजातियों को विकसित कर जयपुर में एक सम्पूर्ण रेगिस्थान क्षेत्र का स्वरूप विकसित कर संधारित करना है। राजस्थान में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के बलुआ चट्टानों के बनने के बारे में जानकारी तथा राजस्थान की विषम परिस्थितियों (जैसे बलुआ एवं ग्रेनाईट की चट्टानों व आद्र भूमि) में उगने वाले पौधो को मौके पर माईक्रो क्लस्टर के रूप में विकसित कर दर्शकों में वैज्ञानिक एवं शिक्षकीय अभिरूचि पैदा करना है।
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