8वीं फेल किसान का कमाल, अब-तक 500 झाड़ियों की बदल चुका है नस्ल, जानें देसी झाड़ियां कैसे बनती हैं विदेशी

नरेश पारीक/चूरू. राजस्थान में 8वीं फेल किसान का कमाल देखने को मिला है. यहां चूरू जिले के 8वीं एक फेल किसान ने अब-तक एक दो नहीं बल्कि 500 से अधिक बेर की झाड़ियों की नस्ल बदल दी हैं. जी हां, जिले की रतनगढ़ तहसील के किसान डूंगरमल गौड़ न सिर्फ आधुनिक खेती और नवाचारों के दम पर खुद मालामाल हो रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों को भी अपने इस नवाचार के दम पर मालामाल करने में जुटे हैं.
गौड़ बताते हैं कि उनके इस आइडिया से किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ एक्स्ट्रा इनकम कर सकते हैं. उनके इस नवाचार के कारनामे के चर्चे आसपास के इलाकों में इतने हैं कि लोग उन्हें अपने यहां फोन करके बुलाते हैं. गौड़ बताते हैं कि वे 8वीं फेल हैं लेकिन खेती, किसानी में नित नवाचार करते रहते हैं और उसी के दम पर आज वह एक प्रगतिशील किसान हैं.
गौड़ बताते हैं कि उन्होंने देसी से विदेशी प्लांट तैयार करने की यह कला सोशल मीडिया पर देखी थी और उससे इतना प्रभावित हुआ कि उन्होंने डूंगर कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर श्याम सुंदर ज्याणी से मुलाकात की और इस कला को सीखा. इसके बाद वह पिछले चार साल में 500 से अधिक देसी कंटीली झाड़ियों की नस्ल बदल चुके हैं. गौड़ बताते हैं कि जहां देसी कंटीली झाड़ी के बेर 30 से 50 रुपए प्रति किलो बिकते हैं तो थाई एप्पल और गोला वैरायटी और कश्मीरी रेड एप्पल 100 से 150 रुपए प्रति किलो बिकते हैं.
गौड़ बताते हैं देसी कंटीली झाड़ियों की छाल में चीरा लगाकर थाई एप्पल या गोला वैरायटी की छाल को फिट कर दिया जाता है और वहां प्लास्टिक पन्नी बांधकर उसको प्रॉपर रूप से कनेक्ट करके छोड़ दिया जाता है. 20 से 25 दिन के अंदर इस जोड़ी गई जगह से फुटान हो जाता है और 4 से 6 महीने के अंदर काफी अच्छी साइज ले लेता है. 1 साल में 40 से 50 किलो बेर प्रति प्लांट का एवरेज दे सकता है. इस तरीके से तैयार पौधे नर्सरी के पौधों से 4 गुना जल्दी ग्रो करते हैं. साथ ही प्रोडक्शन भी 1 साल में मिल जाता है. यह किसान के लिए आमदनी का एक अच्छा स्रोत है और बहुत ही कम समय में मिलना शुरू हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : July 18, 2023, 10:02 IST