Jaipur News: यूडी टैक्स विवाद निपटाने को जयपुर नगर निगम की नई योजना, अदालतों के चक्कर लगाने से मिलेगी निजात

जयपुर. प्रदेश में सम्पत्तियों पर निकायों (Local body) की ओर से लगाया जाने वाला नगरीय विकास कर (Urban development tax ) कई बार निकायों के लिए ही मुसीबत की जड़ बन जाता हैं और मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है. ऐसे में जयपुर के ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) ने इस विवाद से निपटने के लिए नई रणनीति बनाई है. अब जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने नगरीय विकास कर का नाम बदलकर सम्पत्ति कर करने के लिए कवायद शुरू की हैं.
दरअसल, सम्पत्तियों पर कर लगाने का अधिकार यूं तो सभी निकायों को है. राजस्थान में भी नगरीय निकाय व्यावसायिक और आवासीय सम्पत्तियों से एक निश्चित क्षेत्रफल के बाद कर की वसूली करते हैं. जिसे प्रदेश में नगरीय विकास कर के नाम से जाना जाता हैं.
क्षेत्र में विकास का अधिकार नहीं तो कर क्यों
आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार नगरीय विकास कर वसूली के मामले कोर्ट तक भी पहुंच जाते हैं. और वो भी इसके नाम की वजह से. लोगों का तर्क होता है कि जब उनके इलाके में नगर निगम या निकाय को विकास के कार्य करवाने का अधिकार ही नहीं होता तो वे नगरीय विकास कर दे ही क्यों ?
नगरीय विकास कर का नाम बदलने का प्रस्ताव
अब जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने नगरीय विकास कर का नाम बदलकर सम्पत्ति कर करने के लिए कवायद शुरू की हैं. इसको लेकर ग्रेटर नगर निगम के राजस्व शाखा के उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने एक प्रस्ताव तैयार किया हैं. जिसे आयुक्त यज्ञमित्र सिंह की मंजूरी मिलते ही राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा.
नाम के चलते कई बार कोर्ट में पहुंचे मामले
राजस्व उपायुक्त नवीन भारद्वाज बताते हैं कि नगरीय विकास कर एक सम्पत्ति कर है. कई बार ये मसले कोर्ट में भी पहुंच जाते हैं. जहां निगम को अपना पक्ष रखना पडता हैं. इसके चलते नगर विकास कर वसूली में अनावश्यक देरी भी होती है. इसे दूर करने के लिए नाम बदलने का प्रस्ताव है.
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