Jaipur News: कर्मचारी को नौकरी से निकालना पड़ा महंगा, बैंक ऑफ बड़ौदा को हाईकोर्ट का करारा जवाब, लेबर कोर्ट का फैसला रद्द

Last Updated:April 01, 2025, 14:09 IST
Jaipur News: बैंक ऑफ बड़ौदा ने लालचंद जिंदल नाम के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया था. उन्हें अंतिम कार्य वर्ष में सिर्फ 227 दिन की सेवा देने का हवाला देते हुए निकाला गया था. जिसे लेबर कोर्ट ने सह…और पढ़ें
राजस्थान हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
बैंक ऑफ बड़ौदा ने लालचंद जिंदल को नौकरी से निकाला.पीड़ित ने हाईकोर्ट में अपील की थी.हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया.
जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी को नौकरी से निकालने के मामले में लेबर कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया. बैंक ऑफ बड़ौदा को अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नौकरी से निकला महंगा पड़ गया. पहले तो पीड़ित ने लेबर कोर्ट में केस कराया, लेकिन वहां उसके खिलाफ फैसला आया, तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के फैसले को ही रद्द कर दिया. विस्तार से जानिए क्या है मामला…
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता के एडवोकेट सुरेश कश्यप ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने लालचंद जिंदल नाम के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया था. उन्हें अंतिम कार्य वर्ष में सिर्फ 227 दिन की सेवा देने का हवाला देते हुए निकाला गया था. जिसे लेबर कोर्ट ने सही ठहराया था. पीड़ित ने हाईकोर्ट में अपील की थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा- किसी भी कर्मचारी के सर्विस पीरियड में रविवार और सवेतन छुट्टी (लीव विद पे) को शामिल करते हुए उसके वर्किंग डे की गणना की जाएगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.
हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने लालचंद जिंदल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. एडवोकेट सुरेश कश्यप ने बताया कि याचिकाकर्ता बैंक ऑफ बड़ौदा में दैनिक वेतनभोगी के रूप में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर थे. बैंक ने उनके रिटायरमेंट के साल में काम के दिनों की गिनती 227 दिन की थी. जबकि नियम के तहत काम के दिनों की गिनती 240 दिन होनी चाहिए. ऐसे में बैंक ने उन्हें नौकरी से हटा दिया. लेबर कोर्ट ने भी 14 नवंबर 2014 को उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के कार्य की गणना में रविवार और सवेतन अवकाश को शामिल नहीं किया गया. लेबर कोर्ट ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.लेबर कोर्ट का आदेश कानून की नजर में चलने योग्य नहीं है. इसलिए इसे रद्द किया जाता है. साथ ही मामला फिर से लेबर कोर्ट को भेजते हुए उसे दोनों पार्टियों को सुनने के बाद एक साल की अवधि में आदेश पारित करने के लिए कहा है.
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
April 01, 2025, 14:09 IST
homerajasthan
कर्मचारी को नौकरी से निकालना पड़ा महंगा, बैंक ऑफ बड़ौदा को हाईकोर्ट का जवाब