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Jaishankar Diplomacy: पाक‍िस्‍तान पर और पड़ेगी मार… जयशंकर ने पहली बार अफगान‍िस्‍तान के विदेशमंत्री से की बात

Last Updated:May 15, 2025, 22:08 IST

India Afghanistan Relations: एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के आमिर खान मुताकी से फोन पर बातचीत की, जिससे भारत-अफगानिस्तान के रिश्ते मजबूत हुए. इससे पाकिस्तान की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.पाक‍िस्‍तान पर और पड़ेगी मार, जयशंकर ने अफगान‍िस्‍तान के विदेशमंत्री से की बात

जयशंकर ने पहली बार अफगान‍िस्‍तान के विदेश मंत्री मुत्‍ताकी से बात की.

हाइलाइट्स

जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से बात की.भारत-अफगानिस्तान के रिश्ते मजबूत हुए.पाकिस्तान की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.

पाक‍िस्‍तान पर और मार पड़ने वाली है, इसके संकेत साफ-साफ मिलने लगे हैं.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहली बार अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुताकी से फोन पर बातचीत की है. इस बातचीत में जयशंकर ने दोनों देशों के बीच पुरानी दोस्‍ती का जिक्र क‍िया और पाक‍िस्‍तान की ओर से फैलाए गए भ्रम को खार‍िज करने के ल‍िए अफगान‍िस्‍तान की सरकार को धन्‍यवाद द‍िया. जयशंकर ने आश्वासन द‍िया क‍ि अफगान‍िस्‍तान के डेवलपमेंट में भारत कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा. यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं. एक्‍सपर्ट के मुताबिक, भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी पाकिस्तान की मुसीबत बढ़ा सकती है.

यह पहली बार है जब जयशंकर ने तालिबान शासन के एक वरिष्ठ मंत्री से सीधे बात की है. इससे भारत के विदेश सच‍िव और उनके नीचे के स्‍तर के अध‍िकारी ही अफगान‍िस्‍तान की सरकार के मंत्र‍ियों से मिलते रहे हैं. पहलगाम अटैक के बाद भी भारत के एक अध‍िकारी ने मुत्‍ताकी से बात की थी. लेकिन पहली बार विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद फोन क‍िया. भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान के साथ मजबूत रिश्ते बनाए रखे हैं. भारत ने अफगान‍िस्‍तान को 3 बिलियन डॉलर से भी ज्‍यादा की आर्थिक मदद की है. चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की कोशिशें की है. जयशंकर ने इस बातचीत में साफ किया कि भारत अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा है और उनकी जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए हर कदम उठाएगा.

अब तक कैसे संपर्क में रहता था भारतपहलगाम आतंकी हमले के महज एक दिन बाद ही 23 अप्रैल को ही अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी और भारत के राजनयिक आनंद प्रकाश के बीच काबुल में द्विपक्षीय मसलों पर बातचीत हुई थी. राजनयिक आनंद प्रकाश विदेश मंत्रालय में PAI यानी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान विभाग में संयुक्त सचिव हैं. इसी साल की शुरुआत में 8 जनवरी को अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के साथ उच्चतम स्तरीय संपर्क स्थापित करते हुए विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने यूएई में तालिबान के ‘विदेश मंत्री’ मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. दोनों के बीच ये मुलाकात अफगानिस्तान 24/25 दिसंबर को अफगानिस्तान में पाकिस्तान की बमबारी की भारतीय निंदा के तुरंत बाद हुई थी.

**EDS: THIRD PARTY IMAGE** Image released by @MEAIndia via X on Wednesday, Jan. 8, 2025, Foreign Secretary Vikram Misri during a meeting with Acting Foreign Minister of Afghanistan Mawlawi Amir Khan Muttaqi, in Dubai. (@MEAIndia on X via PTI Photo)(PTI01_08_2025_000309B)
पहले विदेश सच‍िव विक्रम मिसरी मुत्‍ताकी से मिल चुके हैं. (File Photo)

पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान का तनावदूसरी ओर, पाकिस्तान के साथ अफगान‍िस्‍तान के रिश्ते रसातल में पहुंच गए हैं. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच जंग के हालात बने हुए हैं. आए द‍िन फायरिंग होती है. एयर स्‍ट्राइक होती है. पाक‍िस्‍तान आरोप लगाता है क‍ि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकी पाक‍िस्‍तान में अटैक करने के बाद अफगान‍िस्‍तान में भाग जाते हैं. वहीं, अफगानिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान उसकी संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है. हाल ही में, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हवाई हमले किए, जिसके जवाब में तालिबान ने भी सीमा पर जवाबी कार्रवाई की. इसके अलावा पाकिस्तान ने 2023 से अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजना शुरू किया, जिससे रिश्ते और बिगड़ गए.

पाकिस्तान के लिए बढ़ती मुसीबतें1. भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते रिश्ते पाकिस्तान के ल‍िए मुसीबत हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी स्टडीज के निदेशक डॉ. अजय मल्होत्रा कहते हैं क‍ि भारत का अफगानिस्तान के साथ गहरा रिश्ता बनाना पाकिस्तान के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से बड़ा झटका है. यह दोनों देशों के बीच सहयोग से क्षेत्र में पाकिस्तान की स्थिति कमजोर होगी.2. भारत पहले से ही अफगानिस्तान में चाबहार पोर्ट और अन्य प्रोजेक्ट्स के जरिए मध्य एशिया तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे वह पाकिस्तान को बायपास कर सके. अगर अफगानिस्तान भारत का करीबी सहयोगी बनता है तो पाकिस्तान की जियोग्राफ‍िकल कंडीशन कमजोर हो जाएगी.3. भारत और अफगानिस्तान अगर आतंकवाद के खिलाफ साथ काम करते हैं, तो पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा कि वह अपनी जमीन से संचालित होने वाले आतंकी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, पर कार्रवाई करे. अगर भारत और अफगानिस्तान खुफिया जानकारी साझा करते हैं तो पाकिस्तान की दोहरी नीति उजागर हो सकती है.4. अफगानिस्तान अगर भारत के साथ खड़ा होता है तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ सकता है. तालिबान शासन को मान्यता देने में पाकिस्तान की कोशिशें नाकाम हो सकती हैं, क्योंकि भारत की साख और प्रभाव का इस्तेमाल तालिबान को वैश्विक समुदाय के करीब लाने में हो सकता है. इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति कमजोर होगी.

काबुल के ल‍िए भारत क्‍यों जरूरीभारत ने काबुल में तालिबान प्रशासन को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है, लेकिन पिछले साल उसने काबुल में तालिबान प्रशासन को मुंबई में अफ़गानिस्तान के वाणिज्य दूतावास में एक नया महावाणिज्यदूत नियुक्त करने की अनुमति दी है. भारत ने अगस्त 2021 में काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था और दावा किया है कि तालिबान के साथ संबंध काबुल में भारतीय दूतावास से बाहर स्थित एक ‘तकनीकी टीम’ के स्तर पर बनाए रखे गए हैं. दरअसल साल 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान ने तत्कालीन सरकार का तख्ता पलट कर दिया था. तालिबान की सरकार को आधिकारिक तौर पर भारत और दुनिया के ज्यादातर देशों से भले ही अब तक मान्यता मिली हो लेकिन दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संपर्क ये बताने को काफी है कि भारत और अफगानिस्तान किस तरह का संबंध एक दूसरे के साथ चाहते है. पाकिस्तान सावधान रहे.

authorimgGyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi..com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi..com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group… और पढ़ें

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