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Jalore Mobile Ban | Panchayat Mobile Restriction | Cyber Crime Awareness | Smartphone Ban in Villages | Mobile Phone Ban Rajasthan

Last Updated:December 25, 2025, 10:53 IST

Jalore Mobile Ban: जालोर जिले में पंचायत द्वारा 26 जनवरी से मोबाइल उपयोग पर लगाए गए प्रतिबंध ने नई बहस छेड़ दी है. पंचायत का तर्क है कि मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है और साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं. इसी चिंता को देखते हुए गांव स्तर पर मोबाइल बैन का फैसला लिया गया. हालांकि, इस आदेश को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है. कुछ इसे बच्चों और समाज की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक मान रहे हैं. सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर इस फैसले पर लगातार चर्चा जारी है.कैमरा फोन बैन से लेकर की-पैड मोबाइल तक, जालोर पंचायत का नया नियम...

राजस्थान के जालोर जिले में चौधरी समाज की पंचायत द्वारा लिया गया एक सामाजिक फैसला इन दिनों खासा चर्चा में है. सुंधामाता पट्टी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 15 गांवों की पंचायत ने महिलाओं और बच्चियों के स्मार्टफोन उपयोग को लेकर सख्त निर्णय लिया है. इस फैसले को लेकर जहां एक ओर समाज के भीतर समर्थन की आवाज़ें हैं, वहीं दूसरी ओर यह निर्णय सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बहस का विषय भी बन गया है.

कैमरा फोन बैन से लेकर की-पैड मोबाइल तक, जालोर पंचायत का नया नियम...

पंचायत के निर्णय के अनुसार अब समाज की महिलाएं कैमरे वाला स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी. इसके साथ ही सार्वजनिक कार्यक्रमों, शादी-विवाह, सामाजिक समारोहों या पड़ोसी के घर जाते समय मोबाइल ले जाना भी प्रतिबंधित किया गया है. पंचायत ने महिलाओं को केवल साधारण की-पैड मोबाइल रखने की अनुमति दी है, ताकि सीमित और आवश्यक संपर्क बना रहे.

कैमरा फोन बैन से लेकर की-पैड मोबाइल तक, जालोर पंचायत का नया नियम...

जब की पंचायत ने पढ़ाई करने वाली छात्राओं को लेकर कुछ राहत भी दी है. निर्णय के मुताबिक छात्राएं आवश्यकता पड़ने पर घर के भीतर मोबाइल का उपयोग पढ़ाई के लिए कर सकेंगी, लेकिन उन्हें भी बाहर मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी. यह फैसला गाजीपुर गांव में आयोजित समाज की बैठक में लिया गया, जिसे 26 जनवरी से लागू करने की घोषणा की गई है.

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कैमरा फोन बैन से लेकर की-पैड मोबाइल तक, जालोर पंचायत का नया नियम...

इस फैसले के सामने आने के बाद जालोर जिले में यह मुद्दा सामाजिक चर्चाओं के केंद्र में आ गया है. कुछ लोग इसे महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं कुछ वर्ग इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के नजरिए से सवालों के घेरे में रख रहे हैं. गांवों में इस विषय को लेकर बैठकों और चर्चाओं का दौर भी जारी है.

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पंचायत के इस निर्णय पर समाज के पंच हिमताराम चौधरी का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और सोशल मीडिया पर सक्रिय गैंग का शिकार अक्सर महिलाएं, बच्चियां और ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ़े-लिखे लोग बनते हैं. इसी खतरे को देखते हुए पंचायत ने यह कदम उठाया है.

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पंच हिमताराम ने यह भी तर्क दिया कि महिलाओं के पास स्मार्टफोन होने से बच्चे उसका अधिक उपयोग करने लगते हैं, जिससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है और पढ़ाई भी प्रभावित होती है. उन्होंने साफ किया कि यह फैसला समाज की भलाई और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, लेकिन इसे मानना या न मानना पूरी तरह स्वैच्छिक है और किसी पर कोई दबाव नहीं डाला जा रहा है.

First Published :

December 25, 2025, 10:53 IST

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बच्चों की आंखें बचाने के नाम पर मोबाइल बंद! जालोर पंचायत के फैसले ने उठाए सवाल

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