Rajasthan

Jalore’s special ‘Mahal Maliya’ Batashe: Symbol of sweetness and prosperity in Diwali puja

जालोर. जालोर की दिवाली परंपराओं में मिठास और समृद्धि का अनोखा प्रतीक हैं यहां के ‘महल मालिया’ बताशे. ये बड़े आकार के, महल की आकृति वाले बताशे विशेष रूप से जालोर की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं. दिवाली के पावन पर्व पर लक्ष्मी और गणेश जी को चढ़ाए जाने वाले इन बताशों का विशेष महत्व है, क्योंकि इन्हें शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.

दिवाली से पहले जालोर के बाजारों में महल मालिया बताशों की मांग तेजी से बढ़ जाती है. ये अनोखे बताशे आकार और बनावट में विशिष्ट होते हैं, जो इन्हें अन्य बताशों से अलग बनाते हैं. माना जाता है कि इनका भोग चढ़ाने से लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है, जो परिवार में सुख, समृद्धि और मिठास का संचार करती है. जालौर की विशेष मिठास के रूप में ये बताशे न केवल स्वाद में उत्कृष्ट हैं, बल्कि यह यहां की धार्मिक परंपराओं में भी गहराई से जुड़े हुए हैं.

समृद्धि, सुख-शांति का माना जाता है प्रतीकजालौर के लोग इन महल मालिया बताशों को विशेष भक्ति भाव से बनाते और सजाते हैं. चीनी से बने इन बताशों का सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और महल की आकृति जीवन में राजसी सुख-सुविधा का प्रतीक होती है. दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन में जब इन बताशों को चढ़ाया जाता है, तो इसे समृद्धि, सुख-शांति और मिठास के आगमन का प्रतीक माना जाता है. हर साल दिवाली के समय, जालौर के कारीगर इन महल मालिया बताशों को बड़े जतन से तैयार करते हैं, और इन्हें बाजारों में सजाते हैं. इनकी अनूठी बनावट और जालौर की पारंपरिक शैली इन्हें स्थानीय समुदाय और भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बनाती है. जालौर के प्रसिद्ध महल मालिया बताशे दिवाली की पूजा में उपयोग के लिए एक आदर्श भोग माने जाते हैं, जो न केवल लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा में शुद्धता का प्रतीक बनते हैं, बल्कि समृद्धि और मिठास का संदेश भी देते हैं.

Tags: Diwali Food, Food, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 19:59 IST

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