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Jammu Kashmir News | Additional Bunkers Jammu Kashmir- अब सुरक्षित रहेगा सरहद का हर परिवार, मोदी सरकार बनवाएगी अतिरिक्त बंकर, पाकिस्तान की हर हिमाकत का मिलेगा जवाब

Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रही गोलाबारी और हालिया आतंकी घटनाओं के बाद अब सरहद पर बसे हर परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है. इसी कड़ी में गृह मंत्रालय (MHA) ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अतिरिक्त बंकरों की जरूरत का पूरा ब्यौरा मांगा है.

सरकार का यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ और उसके दौरान पाकिस्तान की ओर से नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं के मद्देनजर बेहद अहम माना जा रहा है. सीमावर्ती जिलों में जिला मजिस्ट्रेटों ने जमीनी स्तर पर आकलन शुरू कर दिया है, ताकि बंकरों की वास्तविक जरूरत और उनकी स्थिति का स्पष्ट आकलन किया जा सके.

क्यों बढ़ी अतिरिक्त बंकरों की जरूरत?

सूत्रों के मुताबिक अगस्त–सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण LOC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बने कई बंकरों में पानी भर गया था. इससे उनकी हालत काफी खराब हो गई. इसके बाद ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान राजौरी, पुंछ और जम्मू जिलों में हुई भारी गोलाबारी ने यह साफ कर दिया कि मौजूदा बंकर पर्याप्त नहीं हैं और नए बंकरों की तत्काल जरूरत है.

कैसे हो रहा है जमीनी आकलन?

गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर के संभागीय आयुक्तों ने सभी सीमावर्ती जिलों के डीएम को जमीनी स्तर पर सर्वे शुरू करने को कहा है. डीएम सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर यह तय कर रहे हैं कि किन इलाकों में नए बंकरों की जरूरत है और किन पुराने बंकरों की मरम्मत जरूरी है. इसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को सौंपी जाएगी.

क्या है सीमावर्ती जिलों की स्थिति?

जम्मू-कश्मीर में कुल सात सीमावर्ती जिले हैं. जम्मू, सांबा और कठुआ अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे हैं. जबकि राजौरी और पुंछ नियंत्रण रेखा (LoC) पर स्थित हैं. कश्मीर घाटी में बारामूला और कुपवाड़ा ऐसे जिले हैं, जो सीमा के बेहद करीब हैं और अक्सर गोलाबारी की चपेट में आते हैं.

स्थानीय लोगों ने क्या कहा?

जम्मू के आरएस पुरा इंटरनेशनल बॉर्डर पर रहने वाले जय सिंह ने न्यूज18 से बातचीत में कहा, ‘केंद्र सरकार का तहे दिल से धन्यवाद. पहले कई सरकारों ने बंकर बनाने के वादे किए, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अगर अब बंकर बनते हैं तो हम और हमारे बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे. 1965 और 1971 की लड़ाइयों का दर्द आज भी याद है.’

प्रशासन का क्या कहना है?

एसडीएम अनुराधा ठाकुर ने बताया, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी बंकर निर्माण किया गया था. अब जहां कमी रह गई है या बंकर जर्जर हो चुके हैं, उनकी लिस्ट तैयार की जा रही है. हमारी टीमें गांव-गांव जाकर आकलन कर रही हैं.’

आगे क्या होगा?

जमीनी आकलन पूरा होने के बाद गृह मंत्रालय के सामने अतिरिक्त बंकरों के निर्माण और पुराने बंकरों की मरम्मत के लिए फंड की मांग रखी जाएगी. माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा, जिससे सरहद पर रहने वाले लोगों को स्थायी सुरक्षा मिल सके.

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