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सुबह 3 बजे ही मीटिंग बुला लेती हैं जापानी पीएम ताकाइची, कहती हैं – काम से बड़ा कुछ नहीं, वर्क हॉर्स होने से टूटी शादी

जापानी की प्रधानमंत्री साने ताकाइची रोज 18 घंटे काम के लिए जापान में फेमस हैं. वह वर्क-लाइफ बैलेंस को मानती ही नहीं. सुबह तीन बजे मीटिंग शुरू देती हैं. अभी उनकी एक मीटिंग जब 3 बजे मीटिंग शुरू हुई तो इसकी पूरे जापान में चर्चा शुरू हो गई. जापान उनके समर्थक जहां इसकी तारीफ कर रहे हैं तो आलोचक बहुत खराब मान रहे हैं. जापान ऐसा देश है, जहां करोशी यानि ज्यादा काम करना लोगों की मृत्यु की वजह बनता रहा है. वह महिला प्रधानमंत्री जरूर हैं लेकिन वर्क हॉर्स कही जाती हैं. इसी वजह से उनकी शादी भी नहीं चल पाई.

दरअसल प्रधानमंत्री ताकाइची ने संसद में बजट समिति के सत्र से पहले सुबह तीन बजे ब्रीफिंग सेशन किया. ये सेशन कोई पांच दस मिनट नहीं बल्कि तीन घंटे तक चलता रहा है. इसमें उन्होंने अपने सारे सहायक अधिकारियों को बुलाया. वो अक्सर ऐसा करती रही हैं. और आगे भी कर सकती हैं. वो ऐसे भी आमतौर पर सुबह पांच बजे अपने आफिस पहुंच जाती हैं. इस तरह इतनी जल्दी मीटिंग बुलाना जापान की राजनीति व प्रशासन में असामान्य माना जा रहा है लेकिन ताकाइची को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

क्यों 3 बजे मीटिंग बुलाई

सुबह उन्होंने तीन बजे मीटिंग क्यों बुलाई, इस पर टीका­इची ने बताया कि ये बैठक इसलिए जरूरी थी, क्योंकि उन्हें संसद में पूछे जाने वाले सवाल के जवाब तैयार करने थे और समय कम था. वह खुद कहती हैं कि वह वर्क लाइफ बैलेंस को नहीं मानतीं. उन्हें बहुत बहुत काम करना है. वैसे उनके इस जरूरत से ज्यादा काम करने की प्रवृत्ति की आलोचना करने वाले भी कम नहीं है. क्योंकि अपनी इस प्रवृत्ति से वो पूरे देश के युवाओं को खतरे में धकेल रही हैं.

जापान में केरोशी यानि ज्यादा काम से मौत बड़ा मुद्दा

उनका यह रवैया जापान के लंबे समय से चले आ रहे “बहुत काम करना है” अपसंस्कृति से मेल खाता है, जिसमें “करोशी” जैसी चिंताएं भी बनी हुई हैं. जापान में “करोशी” यानी अतिरिक्त काम के कारण होने वाली मृत्यु एक सामाजिक मुद्दा बनी हुई है.

उनसे जुड़ा वर्क हॉर्स का टैग

साने ताकाइची का “वर्क हॉर्स” या “आयरन लेडी” जैसा टैग अचानक नहीं आया. वह तीन दशकों से राजनीति में है और उनकी इमेज कड़े अनुशासन और जमकर काम से जुड़ी हुई है. ताकाइची का जन्म 1961 में नारा प्रिफेक्चर में हुआ. बचपन से ही वह बहुत अनुशासित और महत्वाकांक्षी रहीं. उनके पिता कारोबारी थे. घर में “कड़ी मेहनत” को नैतिक मूल्य माना जाता था.

शुरुआती दौर में उन्होंने अमेरिका का दौरा किया, जहां उन्होंने अमेरिकी कंज़र्वेटिव राजनीति से गहरा प्रभाव लिया. वहां से लौटने पर उन्होंने तय कर लिया कि जापान को कठोर अनुशासन और आत्म-त्याग की जरूरत है. उनकी “वर्क हॉर्स” प्रवृत्ति केवल पेशेवर नहीं, आदर्शवादी भी थी. वह मेहनत को राष्ट्र-निर्माण की नैतिक जिम्मेदारी मानने लगीं.

1980-90 के दशक में ताकाइची ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से राजनीति शुरू की. जब उन्होंने संसद में पहली बार कदम रखा, तब जापान की राजनीति लगभग पूरी तरह पुरुष-प्रधान थी. ताकाइची ने शुरुआत से ही खुद को “महिला लेकिन लोहे की तरह सख्त” जैसा पेश किया. उनकी दिनचर्या काफी सख्त रहती है. कोई भावनात्मक दिखावा नहीं. निजी जीवन कभी उनके सार्वजनिक काम में बाधा नहीं बन सका. वह मार्गरेट थैचर की बड़ी प्रशंसक रहीं हैं.

छुट्टी नहीं लेतीं

वह अक्सर कहती थीं कि “राजनीति कोई पार्ट-टाइम काम नहीं है.” यही कारण था कि शुरू से ही पार्टी में उनके साथी उन्हें “वर्क-हॉर्स” या “आयरन-वुमन” कहते थे. क्योंकि वह 16-18 घंटे काम करती थीं, बिना छुट्टी लिए. 2000 के दशक में जब ताकाइची ने संचार मंत्री, विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री और आर्थिक सुरक्षा मंत्री के रूप में काम किया, तब उनका वर्क कल्चर एक सख्त प्रशासनिक मशीन की तरह था. वे सुबह 5 बजे से दफ्तर आ जाती थीं. रात 10 बजे तक वहीं रहती थीं.

एक बार उन्होंने अपने सचिव से कहा, “अगर आप थक रहे हैं तो घर जाइए, लेकिन मैं रुकूंगी क्योंकि डेटा मुझे सटीक चाहिए.” वे हर रिपोर्ट में हाथ से नोट्स जोड़ती थीं. खुद सांख्यिकीय आंकड़े दोबारा गिनती थीं.गलतियों पर नाराज़ हो जाती थीं.

इसी वजह से शादी नहीं चली

काम …काम और काम की ही वजह से उनकी शादी नहीं चल सकी. उनका वैवाहिक जीवन बहुत छोटा रहा. उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्हें “परिवार से ज्यादा जापान के लिए समर्पण” की जरूरत है. उनका यह बयान 2006 में काफी चर्चित हुआ था, “मैंने परिवार नहीं चुना, क्योंकि मेरा परिवार अब मेरा देश है.” इस बयान ने उन्हें जापानी कंजरवेटिव हलकों में त्याग की देवी बना दिया, लेकिन नारीवादी संगठनों ने इसे “वर्कहोलिक राजनीति का खतरनाक उदाहरण” कहा.

अब सुबह तीन बजे मीटिंग करती हैं

2025 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका रूटीन और सख्त हो गया. वह अक्सर सुबह 3 बजे मीटिंग बुला लेती हैं. रात में खुद रिपोर्ट सही करती हैं. सप्ताहांत में भी सरकारी फाइलें देखती हैं. वह सार्वजनिक रूप से कहती हैं, “अगर मेरे अधिकारी थकते हैं, तो उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं थक सकता.”

जापान में आलोचना

उनके इस रवैये से जापान में दो विरोधी धाराएं उभर आई हैं. समर्थकों के लिए वो “कड़ी मेहनत करने वाली हैं. आलोचकों के लिए वह “करोशी संस्कृति” की नई चैंपियन हैं, जो कर्मचारियों के लिए खतरा है.

साइंस इस पर क्या कहता रहा है

जापान केरोशी कल्चर के खिलाफ विज्ञान और शोध का कहना है कि वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता देना सार्वजनिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए जरूरी है.

वैज्ञानिक शोध स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि लंबे कार्य घंटे, तनाव और खराब वर्क-लाइफ बैलेंस न केवल मानसिक बीमारियों बल्कि स्ट्रोक, दिल के दौरे और आत्महत्या के बढ़ते मामलों का कारण बनते हैं.​ जापान सरकार ने 2014 के बाद से ओवरवर्क की रोकथाम के लिए कानून बनाए हैं, जैसे अधिकतम ओवरटाइम घंटों की सीमा और अत्यधिक ओवरटाइम वालों का मेडिकल चेकअप जरूरी कर दिया है.

वैज्ञानिकों का दावा है कि काम के घंटों में कटौती, नौकरी तनाव को कम करना और मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देने से ओवरवर्क से जुड़ी बीमारियों को घटाया जा सकता है.

काम और निजी जीवन के बीच संतुलन से कर्मचारियों की उत्पादकता, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, व परिवार-समाज में सहभागिता बढ़ती है. शोध बताते हैं कि लचीले कार्य घंटे, चार दिवसीय सप्ताह और छुट्टियों को प्रोत्साहन देने से वर्क-लाइफ बैलेंस सुधरता है. ओवरवर्क की वजह से होने वाली मौतें (केरोशी) कम होती हैं.

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