Jhalawar School Collapse Live: मुआवजा, निलंबन और बयानबाजी… लेकिन सवाल अब भी जिंदा है, आखिर दोषी कौन?

Jhalawar School Collapse Live: राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के पीपलोदी गांव में घटित हुए दर्दनाक स्कूल हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत के बाद अब सियासी बयानबाज़ी और प्रशासनिक जिम्मेदारी का दौर शुरू हो गया है. शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने बयान देते हुए कहा कि पीपलोदी स्कूल उस सूची में शामिल ही नहीं था, जहां भवन मरम्मत की जरूरत चिन्हित की गई थी. स्थानीय स्तर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला था जिला कलेक्टर ने भी सचिव की बात दोहराई है. इस बीच शिक्षा सचिव ने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि विभाग को हादसे की स्थिति की जानकारी पहले से नहीं थी, और अब पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जा रही है.
सात मृतक बच्चों में से चार का पोस्टमार्टम मनोहरथाना और तीन का झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में किया गया. परिजन शवों को लेकर गांव लौटे तो गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों ने गुराड़ी चौराहे पर धरना शुरू कर दिया. इस बीच शिक्षा मंत्री मदन दिलावर खुद मौके पर पहुंचे. उन्होंने परिजनों को आश्वासन दिया कि सभी मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और एक नया स्कूल भवन मिलेगा, जिसमें कक्षाओं का नाम मृतक बच्चों के नाम पर रखा जाएगा.
बच्चों की सूचना पर शिक्षकों ने की अनदेखी
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने साफ कहा कि “शिक्षा मंत्री तो मैं ही हूं, और दूसरा कोई है नहीं, तो जिम्मेदारी भी मुझे ही लेनी पड़ेगी.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि पांच शिक्षकों को प्रथम दृष्टया निलंबित किया गया है, पर निलंबन का मतलब दोष सिद्ध होना नहीं है. उन्होंने बताया कि बच्चों ने कंकड़ गिरने की सूचना दी थी, पर शिक्षक नाश्ते में व्यस्त रहे, जो लापरवाही का स्पष्ट संकेत है.
इसी बीच टोंक-उनियारा और अलीगढ़ थाना क्षेत्र में नरेश मीणा की गिरफ्तारी को लेकर हंगामा मच गया. समर्थकों ने NH-116 और NH-90 पर टायर जलाकर हाईवे जाम कर दिया. परिजन और ग्रामीणों ने गुराड़ी चौराहे पर धरना दिया. शवों के साथ सड़क पर बैठे लोग सरकार से जवाब मांगते रहे. कई घंटे तक दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं. लोग जवाब मांगते रहे कि जब स्कूल की हालत खराब थी, तो मरम्मत क्यों नहीं हुई? जब बच्चों ने चेताया, तो शिक्षकों ने क्यों नजरअंदाज किया? सिर्फ निलंबन से क्या न्याय मिलेगा? हंगामे को शांत करने के लिए अलीगढ़ पुलिस व उनियारा सीओ रघुवीर सिंह भाटी मौके पर पहुंचे और समर्थकों को समझाया. अंततः मंत्री के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ.
वसुंधरा राजे ने भी साधा निशाना
हादसे की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सांसद दुष्यंत सिंह दिल्ली से तत्काल झालावाड़ के अस्पताल पहुंचे. घायल बच्चों और उनके परिवारों से मिले और उन्हें “हर संभव मदद” दिलाने का भरोसा दिया. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि “सरकार की लापरवाही से सात मासूम बच्चों की जान गई. ये केवल हादसा नहीं, यह प्रशासनिक अपराध है. दोषियों को सख़्त सजा मिलनी चाहिए.” वसुंधरा राजे ने कहा कि “पीपलोदी, मनोहर थाना के सरकारी स्कूल भवन में हुई यह त्रासदी अत्यंत दुखद व पीड़ादायक है.” उन्होंने दिवंगत मासूमों की आत्मा की शांति की कामना की और शोकाकुल परिवारों को इस असहनशील पीड़ा से उबरने की शक्ति देने की प्रार्थना की.
राजस्थान के सरकारी स्कूलों का हो सैफ्टी ऑडिट
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि “यदि विभाग ने इस जर्जर भवन को पहले चिन्हित कर लिया होता और बच्चों को किसी सुरक्षित इमारत में शिफ्ट कर दिया होता, तो यह घटना नहीं होती.” उन्होंने कहा कि बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती थी, लेकिन विभाग की अनदेखी ने मौत का रास्ता खुला छोड़ दिया. वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों का तत्काल सैफ़्टी ऑडिट करवाया जाए, जिनकी इमारतें पुराने या जर्जर हालत में हैं उन्हें तुरन्त खाली कर नया भवन बनाया जाए. उनका कहना था, “बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए” और ऐसे हादसे दुबारा न हों, इसके लिए संवेदनशील कदम उठाने होंगे. उन्होंने मीडिया से अपील की कि इस दर्दनाक घटना को राजनीति का मुद्दा न बनाया जाए. संवेदनशीलता और मानवता बनी रहे.



