बच्चों को झाग वाली ड्रिंक्स पिलाकर तो नहीं कर रहे गलती? क्यों है ये सेहत के लिए नुकसानदायक?

कोल्ड ड्रिंक हो या एनर्जी ड्रिंक, हर कार्बोनेट ड्रिंक की बोतल खुलते ही झाग उठने लगते हैं जो फिज कहलाते हैं. इन फिज्जी ड्रिंक को पीने और पिलाने का सिलसिला बचपन से ही शुरू हो जाता है. गर्मी हो या सर्दी, शादी हो या बर्थडे पार्टी, पिज्जा हो या बर्गर, यह सब मौके ड्रिंक्स के बिना अधूरे लगते हैं. कुछ लोग एनर्जी ड्रिंक्स को कोल्ड ड्रिंक से बेहतर मानते हैं लेकिन हर फिज्जी ड्रिंक एक जैसा ही असर करती है.
बबल्स वाली ड्रिंकदुनिया की पहली फिज्जी ड्रिंक 1767 में यूनाइटेड किंगडम के इंग्लिश केमिस्ट जोसफ प्रिस्टले ने बनाई. यह पहली बबल वाली कार्बोनेट ड्रिंक यानी सोडा थी. तब लोगों को लगता था यह कार्बोनेट पानी बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होता है इसलिए इसकी मेडिकल स्टोर पर खूब बिक्री होती थी. दरअसल एनर्जी ड्रिंक्स, शैंपेन, कोल्ड ड्रिंक्स और बियर में फिज यानी झाग कार्बन डाइऑक्साइड के कारण बनते हैं. इस गैस को ड्रिंक्स के साथ इतने प्रेशर से मिलाया जाता है कि बोतल खुलते ही झाग उठने लगते हैं. यह फिज ड्रिंक्स के फ्लेवर को भी बरकरार रखते हैं लेकिन एक बार जब ड्रिंक्स से यह झाग निकल जाते हैं तो इनका टेस्ट भी बदल जाता है.
फील गुड ड्रिंक सेहत के लिए सही नहींफिज्जी ड्रिंक्स पीने के बाद अच्छा लगता है क्योंकि इस आर्टिफिशियल कार्बोनेट ड्रिंक में बबल्स कुछ इस तरह से उठते हैं कि इसे पीना एडवेंचर जैसा लगता है और यह दिखने भी सुंदर लगते हैं. लेकिन यह फील गुड कराने वाली ड्रिंक्स सेहत के लिए अच्छी नहीं है. इनमें चीनी, आर्टिफिशियल स्वीटनर, प्रीटर्वेटिव्ज और कैफीन होता है. इन ड्रिंक्स को हर रोज पीना बीमारियों को न्योता देना है.
झाग डोपामाइन नाम के हैप्पी हार्मोन बढ़ाते हैं जिससे मूड अच्छा रहता है (Image-Canva)
टाइप 2 डायबिटीज का खतराफिज्जी ड्रिंक्स एसिडिक होती हैं जिसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है. शरीर में जाते ही यह ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में बदलती है. ग्लूकोज जल्दी बॉडी में एब्जॉर्ब होता है जो पैंक्रियाज के काम को प्रभावित करता है. इससे ब्लड में शुगर लेवल गड़बड़ाने लगते हैं. जब यह लगातार गड़बड़ाते हैं तो सेल्स में इंसुलिन बनना कम हो जाता है. एक स्टडी में यह सामने आ चुका है कि जो व्यक्ति हर रोज फिज्जी ड्रिंक पीते हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
लिवर होता फैटीयह झाग वाली ड्रिंक्स वजन को तेजी से बढ़ाती हैं. इसमें फ्रक्टोज होता है जिससे हमारे शरीर में मौजूद हंगर हार्मोन घ्रेलिन प्रभावित होता है. ड्रिंक पीकर शरीर में कैलोरी तो जाती हैं लेकिन यह दिमाग को पेट भरने का सिग्नल नहीं दे पाता जिससे भूख खत्म ही नहीं होती और व्यक्ति ओवर इटिंग का शिकार हो जाता है. इससे लिवर के काम पर भी असर पड़ता है और लिवर फैटी होने लगता है.
हड्डियां होती कमजोरफिज्जी ड्रिंक में फोसफोरिट एसिड को प्रिजर्वेटिव के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसका बोन डेंसिटी पर असर पड़ता है और शरीर से कैल्शियम का लेवल घटने लगता है. इससे हड्डियां समय से पहले कमजोर होने लगती हैं. एक स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं हर रोज 1 से ज्यादा फिज्जी ड्रिंक्स पीती हैं, उनमें मेनोपॉज के बाद हिप फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है.
फिज्जी ड्रिंक्स पीने से दांत जल्दी सड़ते हैं (Image-Canva)
महिला-पुरुषों में बढ़ती इनफर्टिलिटीमेडिकल न्यूज टुडे में छपी बॉस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च में फिज्जी ड्रिंक को इनफर्टिलिटी का कारण माना गया. इस तरह की कार्बोनेटेड ड्रिंक्स रिप्रोडक्टिव सिस्टम को कमजोर बनाते हैं. स्टडी में कहा गया कि जो महिलाएं हर दिन सोडा पीती हैं, उनमें 25% और पुरुषों में 33% फर्टिलिटी घट जाती हैं और महिलाएं बच्चा कंसीव नहीं कर पातीं. एक स्टडी में यह भी कहा गया कि इस तरह की ड्रिंक्स से पुरुषों में स्पर्म की क्वालिटी खराब होती है और उनके काउंट घटते हैं.
बच्चे बड़े होकर बन सकते हैं अल्कोहलिककोल्ड ड्रिंक और एनर्जी ड्रिंक में बस एक ही फर्क होता है, वह होता है कैफेन का. दोनों ही फिज्जी ड्रिंक्स होती हैं लेकिन कैफेन की मात्रा होने से एनर्जी ड्रिंक को पीने के बाद ऊर्जा महसूस होती है. अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी स्टडी के अनुसार जो लोग एनर्जी ड्रिंक पीते हैं, वह अल्कोहलिक बन सकते हैं. दरअसल इन नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स में कैफेन का लेवल बहुत ज्यादा होता है और ग्लूकूरोनोलैक्टोन नाम का केमिकल भी होता है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. इस तरह की ड्रिंक्स बैचेनी को बढ़ाती है जिससे कई बार लोग शराब पीने के आदी भी हो जाते हैं. इसके अलावा कई पब और बार में एनर्जी ड्रिंक्स से कॉकटेल बनाई जाती हैं. इस तरह की कॉकटेल भी अक्सर लोगों को जल्दी अल्कोहलिक बना देती हैं.
फिज्जी ड्रिंक्स की लत ऐसे छोड़ेयूके सरकार की मेडिकल गाइडलाइन के हिसाब से एक व्यस्क के लिए एक दिन में 30 ग्राम और 11 साल तक के बच्चों के लिए 24 ग्राम फिज्जी ड्रिंक्स पीना सेफ है. डायटीशियन सतनाम कौर कहती हैं कि इन कार्बोनेटेड ड्रिंक का हर रोज इस्तेमाल एक लत की तरह है. इस तरह की ड्रिंक्स को नैचुरल ड्रिंक्स से बदला जा सकता है. सादा पानी भी आपको कुछ-कुछ चीजों को मिक्स करके टेस्टी लग सकता है. नींबू का रस या फलों का जूस डालकर या संतरे के छिलकों को पानी में भिगोकर, पानी को टेस्टी और रिफ्रेशिंग बनाया जा सकता है. इसके अलावा कोम्बुचा भी बना सकते हैं. यह फर्मेंटेड ड्रिंक होती है जिसे पानी, ब्लैक या ग्रीन टी और स्कूबी से बनाया जाता है. स्कूबी बैक्टीरिया और यीस्ट से बनता है. इसे खमीर कहा जा सकता है. इस ड्रिंक में कुछ मसाले और फल भी फ्लेवर के लिए डाले जा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 16:27 IST