Jkk#play# – Theatre- पेड़ों को बचाने के लिए कटवा दिए सिर

जवाहर कला केंद्र में शनिवार शाम को जाने-माने रंगकर्मी अशोक राही के निर्देशन में नाटक ‘खेजड़ी की बेटी’ का मंचन हुआ। नाटक राजस्थान के उन 363 वृक्ष वीरों के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने पेड़ों को कटवाने से बचाने के लिए अपने सिर कटा कर खड़ाणा किया था।

जेकेके में नाटक ‘खेजड़ी की बेटी’ का मंचन
जयपुर। जवाहर कला केंद्र में शनिवार शाम को जाने-माने रंगकर्मी अशोक राही के निर्देशन में नाटक ‘खेजड़ी की बेटी’ का मंचन हुआ। नाटक राजस्थान के उन 363 वृक्ष वीरों के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने पेड़ों को कटवाने से बचाने के लिए अपने सिर कटा कर खड़ाणा किया था। संवत 1787 में एक छोटे से गांव खेजड़ली और आसपास के ग्राम वासियों ने एक बहादुर बिश्नोई नारी अमृता देवी के नेतृत्व में यह अहिंसक बलिदान किया गया था। नाटक की शुरुआत नाचते गाते बिश्नोई जनों के रंगारंग उत्सव से होती है। यह ग्रामीण अपनी जिंदगी में मस्त होते हैं, तभी एक दिन दीवान गिरधारदास भंडारी उनके पेड़ काटने का आदेश देता है। नाटक में उस समय की राजनीति पर भी गहरा तंज किया गया था।
संगीत नृत्यमय नाटक में पारंपरिक नृत्य और गीतों का बेहतरीन उपयोग किया गया। नाटक में अनिल भागवत,रुचि गोयल, नितिन सैनी,संजय महावर,हनी मिश्रा,अनिल बैरवा और योगेश जांगिड़ ने अभिनय किया। इसके अलावा रोनी सिंह, प्रतिमा पारीक,अमर सिंह,जय सोनी,भूपेंद्र नागर,मनोज गुर्जर,रजत शर्मा,राघव राजपूत,आधार कोठारी,अनिल खटाना, ऋषभ गौतम,विशाल बघेल,जितेश सहारण,गोविंद टेलर,चारुभाटिया और दीक्षांत शर्मा,झनक शर्मा ने विभिन्न किरदारों को निभाया। नाटक में दिलीप भट्ट ने सूत्रधार की भूमिका अदा की, संगीतकार मुकेश वर्मा सोनी थे।जबकि गोपाल खींची ने नगाड़ा और रुप सिंह ने ढोलक बजाया। कोरियोग्राफी सुप्रिया शर्मा की थी और प्रकाश संयोजक नरेंद्र अरोड़ा थे। रूप सज्जाकार रवि बांका ने पात्रों के अनुकूल मेकअप किया।