Kaal Bhairav Jayanti 2024: राजस्थान के इस मंदिर में कभी नहीं लगता ताला, दर्शन करने आधी रात शमशान पहुंचते हैं भक्त
रवि पायक /भीलवाड़ा: श्मशान घाट में जाने से अक्सर लोग दिन में भी कतराते हैं, लेकिन भीलवाड़ा के पंचमुखी मोक्षधाम में स्थिति कुछ अलग है. यहां का प्राचीन मसाणिया भैरव मंदिर ऐसा स्थल है जहां दिन-रात भक्तों की भीड़ लगी रहती है. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं बिना किसी डर के यहां आते हैं.
प्राचीन मंदिर की अद्भुत मान्यतामसाणिया भैरव मंदिर की स्थापना भीलवाड़ा नगर के प्रारंभ के साथ ही मानी जाती है. इस मंदिर में कभी ताले नहीं लगते और न ही पट बंद किए जाते हैं. भक्त 24 घंटे यहां आकर दर्शन कर सकते हैं. राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं.
मंदिर में मध्यरात्रि की आरती और अनुष्ठानयह मंदिर अन्य मंदिरों से अलग है. यहां मध्यरात्रि में भी विशेष आरती और अनुष्ठान किए जाते हैं. शनिवार, रविवार और मंगलवार को भैरव बाबा की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया जाता है.
भक्तों की मदिरा पान की लत छुड़ाने का स्थानमंदिर की अनोखी मान्यता यह भी है कि यहां आकर भक्त अपनी मदिरा पान की लत छोड़ने का प्रण लेते हैं. भैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाकर उसे वहीं छोड़ दिया जाता है. मंदिर के पुजारी रवि कुमार खटीक ने बताया कि इसके बाद भक्तों की शराब की लत छूट जाती है.
कालसर्प दोष और मनोकामना की पूर्तिभक्तों का मानना है कि मसाणिया भैरव बाबा के दर्शन से कालसर्प दोष का निवारण होता है और उनकी तमाम इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.
प्रतिमा का आकार हर साल बढ़ता हैमंदिर के पुजारी के अनुसार, भैरव बाबा की स्वयंभू प्रतिमा जमीन से प्रकट हुई थी. मान्यता है कि यह प्रतिमा हर साल थोड़ा-थोड़ा बढ़ती रहती है.
श्मशान में भी सकारात्मक माहौलपंचमुखी मोक्षधाम, जहां यह मंदिर स्थित है, न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है बल्कि यह अपने आप में अद्वितीय है. यहां श्मशान में भी दिन-रात का सकारात्मक माहौल देखने को मिलता है. मसाणिया भैरव बाबा का यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है और हर साल यहां आने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2024, 18:26 IST