‘Kabira Khada Bazar Mein’ takes a jibe at socio-religious evils | सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों पर ‘कबीरा खड़ा बाजार में’ से कसा तंज
जयपुरPublished: Jul 02, 2023 09:25:09 pm
-लेखक भीष्म सााहनी के नाटक का रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में मंचन
सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों पर ‘कबीरा खड़ा बाजार में’ से कसा तंज
जयपुर। संत कबीरदास अपने समय के समाज सुधारक, कवि और निर्गुण उपासक थे। उस दौर में व्याप्त धार्मिक आडंबरों के बीच समाज को सच्चाई का मार्ग दिखाने के लिए उन्होंने अपनी ओर से भरसक प्रयास किए। रविवार शाम को रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में कबीर की वाणी पर लिखे भीष्म साहनी के प्रसिद्ध नाटक ‘कबीरा खड़ा बाजार में’ का मंचन किया गया। राम सहाय पारीक के निर्देशन में कलाकारों ने कबीर की ही तरह सीधे-सरल संवादों में अपने-अपने किरदारों को मंच पर जिया। डॉक्टर शंकर पारीक के संगीत से सजे ‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे’, ‘झीनी-झीनी चदरिया’ और ‘पत्ता टूटा डाल से’ जैसे गीतों के बीच नाटक के जरिए कबीर की शिक्षाओं और दर्शन पर प्रकाश डाला गया।