Rajasthan

Karauli News: एक लाठी के दम पर फिट है यह शिक्षक, युवाओं के लिए हैं प्रेरणा

रिपोर्ट- मोहित शर्मा

करौली. आपने अक्सर एक कहावत सुनी होगी या कहीं पर लिखी देखी होगी. पहला सुख निरोगी काया. जिसके लिए लोग स्वस्थ रहने के लिए नए-नए तरीके आधुनिक संसाधनों पर निर्भर हैं, लेकिन यह कहानी है करौली के ऐसे युवा शिक्षक की जो आज के आधुनिक शारीरिक व्यायाम के संसाधनों को मात देकर एक लाठी के दम पर अपने शरीर को अंदर से मजबूत बाहर से बिल्कुल फिट रखे हुए है. साथ ही वह भारतीय संस्कृति के प्राचीन औरपरंपरागत दंड अभ्यास सहित कई अन्य तरीकों को अपने शारीरिक व्यायाम में शामिल कर उन्हें बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं.

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जानकारी के मुताबिक, दंड युद्ध भारतीय परंपरा और संस्कृति की अमूल्य देन है. जिसके जरिए अपनी शारीरिक क्षमताओं का भी आकलन लगाया जा सकता है. इसके नियमित अभ्यास से शरीर के स्टैमिना को बढ़ाने के साथ-साथ आंतरिक मजबूती भी दी जा सकती है. जिसके जीते जागते उदाहरण है करौली के युवा शिक्षक कपिल पाराशर, जो अपने नियमित दंड अभ्यास से एक लाठी के दम पर अपने शरीर को फिट रखे हुए है.

किसी भी मौसम नहीं छोड़ते व्यायाम

सबसे खास बात यह है कि शिक्षक प्रतिदिन 150 किलोमीटर का सफर करने के बावजूद भी अपने परंपरागत शारीरिक व्यायाम से नहीं चूकते हैं. युवा शिक्षक का कहना है कि यदि आपका शरीर स्वस्थ है तो आप अपने सभी कार्य बिना किसी तनाव के कर सकते हैं. इसीलिए मैं किसी भी मौसम में विद्यालय जाने से पहले अपना समय निकाल रोज 1 घंटे या 45 मिनट अपने परंपरागत व्यायाम को देता हूं.परंपरागत व्यायाम आज उनके जीवन की एक दैनिक दिनचर्या बन चुकी है.

जानिए कौन है कपिल

युवा शिक्षक कपिल पाराशर करौली के चटीकना मोहल्ले के निवासी हैं. पेशे से वह एक सरकारी शिक्षक है, जो कि राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय बारी धौलपुर में कार्यरत हैं.

 8 साल से कर रहे हैं अभ्यास

कपिल के मुताबिक, उन्हें प्राचीन मार्शल आर्ट दंड अभ्यास का शौक है. आज अपने इसी शौक से इस प्राचीन कला को संभालने के साथ-साथ इसे बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने शरीर को भी फिट रखे हुए हैं. उनका कहना है कि मैंने इस कला को हमारे कई पुराने और अनुभवी लोगों से शाखा में जाकर ग्रहण किया था. इसलिए मैंने दंड अभ्यास को अपने शारीरिक व्यायाम में शामिल कर रखा है. उन्होंने बताया कि दंड अभ्यास भारतीय संस्कृति की एक प्राचीन कला है, जो आदिमानव समय से चली आ रही है. जिन्हें आज हम सभी को सीखना चाहिए और ऐसी कलाओं को सहेजना चाहिए.

युवाओं के लिए यह हैं उनकी प्रेरणा

शारीरिक व्यायाम के लिए कपिल का युवा साथियों से कहना है कि यदि वह अपने शरीर को फिट रखने के लिए जिम जाते हैं. तो वह बहुत अच्छी बात है. इसके साथ ही उनको अपने परंपरागत व्यायाम और प्राचीन कलाओं पर भी ध्यान देना चाहिए. इससे हमारी पुरानी कलाएं भी बची रहेंगी. साथ ही शरीर भी मजबूत और स्वस्थ रहेगा. परंपरागत व्यायाम के तरीके शरीर को अंदर और बाहर से मजबूत रखने के लिए काफी कारगर होते हैं.

Tags: Karauli news, Latest hindi news, Rajasthan news

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