आंवला लगाने से पहले इन बातों को रखें ध्यान में, वरना होगा भारी नुकसान
समस्तीपुर जिले के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के अनुभवी वैज्ञानिक डॉक्टर संजय कुमार सिंह के अनुसार, आंवला (फिलांथस एम्ब्लिका) अपने पोषण तत्वों और औषधीय गुणों के कारण एक अत्यंत मूल्यवान फल फसल है. इसकी सफल खेती के लिए परागण, स्थान का चयन, मिट्टी की तैयारी, सिंचाई, कीट और रोग नियंत्रण, और रोपण के बाद देखभाल जैसे कारकों का सही प्रबंधन आवश्यक है.
आंवला की किस्मों का चयनवैज्ञानिक ने लोकल 18 को बताया कि उपयुक्त किस्मों का चयन करें, जैसे चकैया, कृष्णा, एनए-7, और बनारसी. ये किस्में स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल होती हैं और उच्च उपज देती हैं. चूंकि आंवला एक क्रॉस-परागण वाली फसल है, इसलिए पेड़ों के बीच 8-10 मीटर की दूरी रखें और कम से कम 2-3 संगत किस्में एक साथ लगाएं. परागणकर्ताओं की संख्या बनाए रखें और फूलों के मौसम में कीटनाशकों का प्रयोग न करें.
सिंचाई प्रबंधनप्रारंभिक वर्षों में नियमित सिंचाई आवश्यक है. गर्मियों में हर 7-10 दिनों में पानी दें और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें. जैविक और अकार्बनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें. प्रत्येक गड्ढे में 10-20 किलोग्राम खेत की खाद डालें और प्रति पेड़ 600:300:300 ग्राम नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम का प्रयोग करें.
खरपतवार और कीट प्रबंधननियमित निराई करें और कीटों की निगरानी करें. जैव-कीटनाशकों का उपयोग करें और रासायनिक कीटनाशकों से बचें. पेड़ की संरचना बनाए रखने और बीमारियों से बचाने के लिए छंटाई करें. फलों की कटाई तब करें जब वे हल्के हरे और चमकीले हों.
रोपण के बाद देखभालमल्चिंग करें, युवा पौधों को स्टेकिंग से सुरक्षित रखें, और समय पर कटाई करें. आंवला की सफल खेती परागण, साइट चयन, मिट्टी की तैयारी, और देखभाल पर निर्भर करती है. इन बातों का ध्यान रखकर, किसान स्वस्थ विकास और उच्च फल उपज सुनिश्चित कर सकते हैं.
Tags: Beauty Tips, Health, Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 22:20 IST