A T-55 tank kept in front of this soldier house know reason

Last Updated:May 20, 2025, 17:15 IST
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पूरे देश में गर्व का माहौल है. ऐसे में आज आपको 1971 के एक ऐसे लेफ्टिनेंट जनरल के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी वीरता ऐसी रही कि उनके घर के बाहर आज भी टैंक तैनात है.X
टैंक पर अपने साथियों के साथ हनुवंत सिंह
हाइलाइट्स
हनुवंत सिंह ने 1971 युद्ध में पाक के 48 टैंक नष्ट किए.हनुवंत सिंह के घर के आगे पूना रेजिमेंट ने टैंक रखा है.हनुवंत सिंह को महावीर चक्र और “फक्र-ए-हिंद” का सम्मान मिला.
बाड़मेर:- लेफ्टिनेंट जनरल हनुवंत सिंह, यह नाम भारतीय सेना में बड़े गर्व से लिया जाता है. हनुवंत सिंह उस गौरवशाली टैंक रेजिमेंट 17 पूना हॉर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर (सीओ) थे, जिसका सन 1971 की लड़ाई में अदम्य साहस देख पाकिस्तान की सेना ने ‘फ़क्र-ए-हिन्द’ का ख़िताब दिया था. उनकी बहादुरी की वजह से ही सेना ने उनके पैतृक गांव जसोल में टैंक टी 55 तैनात किया है.
आपने और हमने सैनिक के सीने पर मेडल, बंदूक या फिर इनाम में प्रमाण पत्र तो सुने हैं. लेकिन बालोतरा के जसोल गांव में लेफ्टिनेंट जनरल हनुवंत सिंह एक ऐसे फौजी अफसर रहे हैं, जिनके घर के आगे पूना रेजिमेंट ने एक टैंक रखा है. रखे भी क्यों नहीं, जब 1971 का युद्ध हुआ, तो पाकिस्तान के 48 टैंकों को नेस्तानाबूद करने का हौंसला इस अफसर ने किया था. जसोल के लोग भी आज भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में जोश से कहते हैं कि हम हनुवंत के गांव से हैं.
पाकिस्तान के 48 टैंकों को किया नेस्तनाबूदबसंतर की लड़ाई 1971 में लेफ्टिनेंट जनरल हनुवंत सिंह ने लड़ी थी. इस लड़ाई में पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट भारत के सामने थी. जम्मू पंजाब के शकरगढ़ सेक्टर में दोनों देशों के बीच टैंक युद्ध हुआ. एक-एक कर पाकिस्तान के 48 टैंक को नेस्तनाबूद कर दिया. इस युद्ध में लेफ्टिनेंट अरुण क्षेत्रपाल शहीद हुए, जिन्हें परम वीर चक्र से नवाजा गया था. जसोल के लाडले हनुवंत सिंह को भी इस जंग में अदम्य साहस दिखाने के लिए महावीर चक्र दिया गया.
1971 में टी 55 टैंक के जरिए ही फक्र-ए-हिन्द जनरल हनुवंत सिंह के नेतृत्व में पाकिस्तान को जबरदस्त मात दी गई थी. इस टैंक ने पाक सेना पर जमकर कहर ढाया था, जिससे पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था. बाड़मेर के जसोल गांव के लाडले जनरल हनुवंत सिंह ने इसके साथ मोर्चा संभाला था.
हनुवंत सिंह की जीवनीहनुवंत सिंह जसोल बाड़मेर जिले के जसोल गांव में महेचा राठौर राजपूत परिवार में पैदा हुए थे. उन्होंने 1949 में नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) में दाखिला लिया और सेना में शामिल हुए. उन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया, जिसमें पूना हॉर्स रेजीमेंट का नेतृत्व किया. 1971 की बसंतर लड़ाई में उनके नेतृत्व में पूना हॉर्स रेजीमेंट ने दुश्मन के 48 टैंकों को नष्ट कर दिया. उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया और पाकिस्तान की सेना ने उन्हें “फक्र-ए-हिंद” का सम्मान दिया.
जनरल हनुत सिंह, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान के 48 टैंक की पूरी रेजिमेंट को ही नेस्तनाबूद कर दिया. उसके बाद सेना की ओर से सम्मान स्वरूप धोरा धरती बाड़मेर के जसोल गांव में उनकी ढाणी में भारतीय सेना का टैंक रखा गया है. यह पहला उदाहरण है कि किसी भी सैनिक के सम्मान में उनके गांव में टैंक खड़ा गया हो.
भारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें India पर देखेंLocation :
Barmer,Rajasthan
homerajasthan
कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल हनुवंत सिंह? अकेले ही तबाह किए थे 48 पाकिस्तानी टैंक