खाटू श्याम पहुंची युवती होटल में गई टॉयलेट, 6 मिनट बाद निकली बाहर, बोली- ‘दो घंटे तक…’

सीकर. विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर में एक श्रद्धालु के साथ लूट का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां, बाबा श्याम के दर्शन करने आए श्रद्धालु से टॉयलेट करने के नाम पर 805 रुपए वसूले गए हैं. इसके बिल की फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. इसको लेकर श्याम श्याम भक्तों में भी आक्रोश है.
दरअसल, Megha Upadhyay ने लिंक्डइन पर हाल ही में एक पोस्ट की थी. इनका परिवार खाटूश्याम के एक होटल श्री राम पैलेस में टॉयलेट करने के लिए रुका, जिसके होटल वालों ने मात्र 6 मिनट के 805 रुपए वसूलने का आरोप लगाया है. इधर, होटल श्री राम पैलेस के संचालक का कहना है कि परिवार ने रुकने का रूम बुक किया था और आधा घंटा रुकने के बाद खाली करके गए थे, साथ ही उन्होंने जीएसटी बिल लेकर के पेमेंट किया था.
LinkedIn पर ये पोस्ट लिखी Megha Upadhyay ने Linkedin पर पोस्ट की और लिखा- मैं आज भी सोच रही हूं… कोई इंसान दर्द में तड़पती महिला को देखकर भी कैसे पैसे मांग सकता है? हम कहां जा रहे हैं? यह पोस्ट इंटरनेट पर वायरल हो गई है, जिसे पढ़कर यूजर्स में गुस्से की लहर दौड़ा दी है. 805 रुपये सिर्फ वॉशरूम के लिए! इंसानियत बची है कहीं? मैंने 805 रुपये चुकाए, सिर्फ एक वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए.
भैंस का बिजनेस कर युवक ने कमाए करोड़ों, घर-घर ऑडी कार से देने जाता है दूध, कमाई देख लोग ‘बेहोश’
मां की इच्छा पूरी करने के लिए गई थी खाटूहां, आपने सही पढ़ा, कल मैं अपने परिवार के साथ राजस्थान के खाटू श्याम जी गई थी, ये मेरी मां की बहुत पुरानी इच्छा थी कि एक बार मंदिर जाकर दर्शन करें. सुबह 6 बजे हम होटल से निकले और 7 बजे तक दर्शन की लाइन में लग गए. बिना किसी शिकायत के दो घंटे तक लाइन में खड़े रहे. हमने सामान्य दर्शन का रास्ता चुना, क्योंकि मां हमेशा कहती हैं, “भगवान के दरवाजे पर क्या VIP? सब बराबर हैं.
दर्शन के लिए लाइन में खड़ी मां की बिगड़ी तबियतलेकिन इस बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसने दिल दहला दिया. लाइन में खड़े-खड़े मां की तबीयत अचानक बहुत बिगड़ गई. पेट में तेज दर्द और उल्टी जैसा महसूस होने लगा. पापा इधर-उधर वॉशरूम ढूंढने लगे, जबकि हम मां को संभाल रहे थे. लेकिन एक किलोमीटर के दायरे में भी कोई सही वॉशरूम नहीं था, कुछ सार्वजनिक स्नानघर थे, पर हालत के हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं. मां दर्द में थीं, मुश्किल से खड़ी हो पा रही थीं. हम पास के एक होटल में भागे और रिसेप्शन पर विनती की- हमें कमरा नहीं चाहिए, बस वॉशरूम इस्तेमाल करना है, सिर्फ 5-10 मिनट के लिए. यह इमरजेंसी है, प्लीज मदद करिए.
टॉयलेट जाने के लिए दिए 800 रुपएरिसेप्शनिस्ट ने मां की हालत देखी… और कहा, वॉशरूम इस्तेमाल करने के 800 रुपये लगेंगे. हम सब सन्न रह गए. ना कोई हमदर्दी और ना कोई हिचकिचाहट. हमने उन्हें समझाने की कोशिश की और बताया कि हमारा होटल यहां से 7 किलोमीटर दूर है. ये बहुत जरूरी है, ये इंसानियत और सम्मान का सवाल है. लेकिन, वह टस से मस नहीं हुए और इसी बीच मां अब खड़ी भी नहीं रह पा रही थीं. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था और हमें पैसे देने पड़े.
मांगने पर नहीं दे रहे थे बिलजब पापा ने बिल मांगा, तो रिसेप्शनिस्ट चिल्लाने लगा. पहले बोला, ‘बिल छोड़िए, 100 रुपये कम दे दीजिए. ‘लेकिन पापा के जोर देने पर, आखिरकार 805 रुपये का बिल थमा दिया. सिर्फ… छह मिनट वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए और मैं ये सब सहानुभूति पाने के लिए नहीं लिख रही हूं. मैं ये लिख रही हूं क्योंकि आज भी ये सोच-समझ नहीं पा रही हूं कि कैसे कोई किसी दर्द से तड़पती महिला को देखकर भी इंसानियत की कीमत वसूल सकता है? हम आखिर बन क्या रहे हैं?
तड़पती मां को देख मांगे पैसेये सब कहीं अनजान जगह नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक स्थल के दरवाजे पर हुआ. वहां जहां हम शांति, दया और आस्था की तलाश में जाते हैं. लेकिन कल जो मैंने देखा, वो दिल तोड़ देने वाला था. दुख पैसे देने का नहीं था और दुख इस बात का था कि किसी ने सामने हो रही तकलीफ देखी… और सबसे पहले पैसे मांगे. यह तक कहा – ‘पहले आप पेमेंट कर दीजिए. ‘ क्या हम वाकई इंसान के तौर पर आगे बढ़ रहे हैं? या रास्ते में अपनी आत्मा ही खोते जा रहे हैं?