KhatuShyam Ji: Know what was Shyam’s age when he donated his head to Lord Krishna, you will be surprised

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 15, 2025, 22:53 IST
Mahabharat Katha: महाभारत युद्ध के समय के सबसे बड़े योद्धा कहे जाने वाले बर्बरीक को कलयुग में बाबा खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हो जब बर्बरीक ने श्री कृष्ण को शीश दान में दिया था, तब उ…और पढ़ेंX
बाबा खाटू श्याम.
सीकर. देश के कोने-कोने में हारे के सहारे कलयुग के अवतार बाबा के अनन्य भक्त हैं. लखदातार के भक्त दिन की शुरुआत श्याम के नाम से करते हैं. बाबा श्याम के भक्त हर नए काम की शुरुआत खाटूश्याम जी के मंदिर में दर्शन करके करते हैं. भक्त बाबा श्याम के जीवनी और कथा के बारे में तो जानते हैं. लेकिन, बहुत कम भक्त होंगे जिनको पता होगा कि जिस समय बाबा श्याम ने शीश दान दिया तो उनकी उम्र क्या थी.
भक्तों और श्याम कथावाचको में असमंजस्य है कि भगवान श्री कृष्ण को शीश दान के समय बर्बरीक की उम्र क्या थी. कुछ कथा वाचक बाबा की उम्र 12 साल बताते हैं तो कुछ 13 से 14 साल के बीच में बताते हैं. लेकिन, जब AI से बाबा श्याम की उम्र पूछते हैं तो वह सबसे अलग 16 साल बताता है. ऐसे में खाटूश्याम जी मंदिर के मुख्य पुजारी से बात कर और स्कंद पुराण के अध्ययन के बाद हमने बाबा श्याम की सही उम्र का पता लगाया है. आपको बता दें बाबा श्याम (महाभारत के बर्बरीक) भीम पौत्र थे. उनकी माता केआ नाम हिडिम्बा था. बाबा श्याम महाभारत में पांचवी पीढ़ी थे.
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शीश दान के समय ये थी बाबा श्याम की उम्र स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि बर्बरीक (बाबा श्याम) अभिमन्यु के भतीजे थे. महाभारत में जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंसे थे उनकी उम्र 16 साल थी. और जब बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण को शीश दान में दिया था तब उनकी उम्र 14 साल की थी. स्कंद पुराण के अनुसार भीष्म पितामह पहली पीढ़ी, पांडु दूसरी, भीम तीसरी, घटोत्कच चौथी पीढ़ी और बर्बरीक पांचवी पीढ़ी के थे. ऐसे में सबसे नीचे के क्रम में बर्बरीक थे. लेकिन, इनके अंदर शक्ति पुरे कुल में सबसे ज्यादा थी. कुल में सबसे शक्तिशाली होने के कारण ही भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से शीश दान में मागा था.
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बर्बरीक से बाबा श्याम बनने की कहानी जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तब बर्बरीक ने अपनी मां से बोला कि मैं युद्ध लड़ने जा रहा हूं. बर्बरीक की मां हिडिम्बा को पता था जिस तरफ उनका बेटा लड़ेगा उनकी जीत निश्चित है. हिडिम्बा ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी तो वे हार रहे होंगे, तो उन्होंने बर्बरीक से कहा कि जो हारे उसकी तरफ से लड़ना. ये प्राण लेकर बर्बरीक आगे बढ़ रहे थे, तो एक पीपल के पेड़ के नीचे वे आराम करने के लिए रुके. वह जगह थी चुलकाना.
क्यों दान में बर्बरीक से श्री कृष्ण ने मांगा था शीश? ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि अगर बर्बरीक महाभारत युद्ध में आते हैं तो हारने वाले कौरवों की तरफ से लड़ेंगे, तो वे ब्राह्मण का रूप लेकर बर्बरीक के पास पहुंचे और उनके उनका धड़ दान में मांग लिया. तो बिना किसी संकोच के बर्बरीक ने ब्राह्मण रूपी भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश दान में दे दिया. इसके बाद श्री कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम्हें मैं मेरा नाम देता हूं, कलयुग में तुम मेरे नाम श्याम के नाम से जाने जाओगे और लोगों के हारे के सहारे बनोगे, अगर कोई कलयुग में तुम्हारे दरबार में जाएगा तो उसकी सारी मनोकामना पूरी होंगी.
Location :
Sikar,Sikar,Rajasthan
First Published :
February 15, 2025, 22:53 IST
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जानिए जब श्याम ने भगवान श्री कृष्ण को शीश दिया था दान तो क्या थी उनकी उम्र