Khoda Bhoot Story : एक पेड़… और हर रात आता था लंगड़ा भूत! चौहटन मठ की वो कथा, जिसे सुनकर बड़े-बड़े घबरा जाते हैं!

Last Updated:November 14, 2025, 18:54 IST
Barmer Khoda Bhoot Story : बचपन में दादी-नानी से आपने और हमने भूतों की कहानी तो बहुत सुनी होगी. लेकिन भूत भी अपाहिज होते हैं, ऐसा नहीं सुना होगा. बाड़मेर जिले के चौहटन के वैर माता रास्ते पर एक खेजड़ी का पेड़ आज भी लोगों को रुकने पर मजबूर कर देता है. यहाँ की मान्यता कि रात होते ही इस जगह पर खोड़ा भूत यानी लंगड़ा भूत हाजिरी लगाने आता था.
बाड़मेर. सरहदी बाड़मेर के चौहटन क्षेत्र में एक ऐसी अनोखी कथा प्रचलित है, जिसे सुनकर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं. कहते हैं कि यहाँ भूत डराते नहीं, बल्कि रोज रात को हाजिरी लगाने आते थे. वैर माता के रास्ते में पहाड़ी के पास स्थित एक खेजड़ी के पेड़ को लोग आज भी ‘खोड़ा भूत की खेजड़ी’ के नाम से जानते हैं. इस मान्यता ने इस स्थान को रहस्य और आस्था का एक अनोखा संगम बना दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस खेजड़ी पर एक समय खोड़ा भूत यानी लंगड़ा भूत रात होते ही उपस्थित होता था और यहां उसकी हाजिरी लगती थी. इसी वजह से यह खेजड़ी आज भी लोगों को रुककर कहानी जानने पर मजबूर कर देती है.
कहा जाता है कि चौहटन मठ के मठाधीश भावपुरी उन भूतों को रात में भोजन कराते थे. यह कार्य वे गुप्त रूप से करते थे ताकि किसी को भनक न लगे. कई वर्षों तक यह रहस्य लोगों से छिपा रहा लेकिन एक दिन भावपुरी के शिष्य डूंगरपुरी चौहटन मठ पहुंचे और उन्होंने गौर किया कि रात में उनके गुरू कहीं गायब हो जाते हैं. इसके पीछे की सच्चाई जानने के लिए उन्होंने एक रात भावपुरी का पीछा किया और जो उन्होंने देखा, उसे देख वे दंग रह गए. भावपुरी सचमुच भूतों को भोजन करा रहे थे.
खोड़ा भूत की खेजड़ी का रहस्यडूंगरपुरी ने जैसे ही उन भूतों को देखा, वे सब तुरंत गायब हो गए. लेकिन उनमें एक भूत वहीं रह गया, जो विकलांग था और भाग नहीं पाया. वही खोड़ा भूत. कुछ दिन बाद जब भावपुरी आए और उन्होंने भूतों को आवाज लगाई तो केवल वही लंगड़ा भूत सामने आया. उसने बताया कि डूंगरपुरी को देखकर सभी भूत डर गए और भाग गए. इस पर भावपुरी ने उसे खेजड़ी के पेड़ के पास ही रहने का निर्देश दिया. इसके बाद भावपुरी सीधे डूंगरपुरी के पास पहुंचे और उनके पैरों में गिर पड़े. डूंगरपुरी ने आश्चर्य से कहा कि एक गुरु शिष्य के पैर कैसे पकड़ सकता है. तब भावपुरी ने कहा कि वे उनका शिष्य बनना चाहते हैं. इस पर डूंगरपुरी ने बताया कि इस जन्म में यह संभव नहीं होगा और इसके लिए उन्हें दूसरा जन्म लेना पड़ेगा. इस बात ने पूरी कथा को और भी रहस्यमय बना दिया.
भावपुरी का दूसरा जन्म और मठ की परंपरामठ के पास ही एक सेठ रहता था जिसकी कोई संतान नहीं थी. भावपुरी ने उसे आशीर्वाद दिया कि उसे संतान होगी, लेकिन वचन लिया कि जन्म लेने वाला बच्चा मठ को समर्पित करना होगा. कहते हैं कि भावपुरी ने उसी सेठ के घर जन्म लिया और बाद में डूंगरपुरी के शिष्य बने. इस प्रकार पिछले जन्म की अधूरी इच्छा पूरी हुई. मान्यता यह भी है कि जब भावपुरी डूंगरपुरी के पास जा रहे थे, तब वे खोड़ा भूत को खेजड़ी के पेड़ से एक संकरे बंधन में बांध गए थे ताकि वह कहीं भाग न सके. लोगों का विश्वास है कि आज भी वह खोड़ा भूत वहीं उसी खेजड़ी के पास उपस्थित रहता है और रात में उसकी हाजिरी लगती है. यह खेजड़ी आज भी चौहटन की धरोहर और रहस्य की निशानी बनी हुई है.
(नोट- इस लेख का उद्देश्य अंधविश्वास को बढ़ाना देना कतई नहीं है. यह ग्रामीण लोगों द्वारा बताई गई एक कहानी पर आधारित है.)
Anand Pandey
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
November 14, 2025, 18:54 IST
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एक पेड़… और हर रात आता था लंगड़ा भूत! चौहटन मठ की वो कथा, सुनकर कांपने लगेंगे



