दौसा का खोर्रा मुल्ला गांव है पर्यावरण संरक्षण का एक आदर्श उदाहरण, यहां अब तक लगा चुके 3 लाख पेड़
दौसा: जिले के महुआ उपखंड क्षेत्र स्थित खोर्रा मुल्ला गांव में पर्यावरण की हिफाजत का अनोखा उदाहरण पेश है. इस गांव में हर दिशा में पेड़-पौधे हरियाली का अद्भुत दृश्य देखने को मिलते है. सड़क किनारे और पहाड़ी क्षेत्रों में फैले हुए इन पेड़ों ने गांव को एक हरा-भरा स्वरूप दे दिया है. यहां तक कि किसी बाहरी व्यक्ति को केवल पेड़ों की छांव देखकर ही गांव का नाम समझ में आ जाता है.
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की पर्यावरणीय पहलराजस्थान के प्रमुख नेता, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, जो आमतौर पर जन समस्याओं और राजनीतिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, अपने खाली समय में गांव खोर्रा मुल्ला की पेड़-पौधों की देखभाल में जुट जाते हैं. पिछले 30 वर्षों से, उन्होंने गांव में निरंतर वृक्षारोपण का काम जारी रखा है और कई दिन तक पेड़-पौधों की देखभाल, पानी देने और अन्य संबंधित कार्यों में लगे रहते हैं.
वृक्षारोपण का लंबा सफरडॉ. मीणा ने 30 साल पहले पेड़-पौधों की देखरेख का कार्य शुरू किया था. अब, उनकी पहल के कारण खोर्रा मुल्ला और आसपास के गांवों में करीब 3 लाख से अधिक पेड़-पौधे लगाए जा चुके हैं. उन्होंने प्रतिवर्ष 10,000 से अधिक पौधे लगाने की प्रक्रिया जारी रखी है. गांव के पहाड़ी क्षेत्र, समतल क्षेत्र और सड़क किनारे सभी जगह वृक्षारोपण का कार्य किया गया है.
पेड़-पौधों का महत्व और भगवान का आशीर्वादडॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, मुझे पूरी दुनिया की चिंता है और भगवान ने मुझे पेड़ लगाने का आशीर्वाद दिया है. इस आशीर्वाद के चलते हमने गांव में एक हरा-भरा वन क्षेत्र खड़ा कर दिया है. पेड़-पौधे जीवन का आधार हैं और हमें 80 प्रतिशत ऑक्सीजन पेड़ों से ही मिलती है. यही उद्देश्य लेकर हमने यह कार्य किया है.
पर्यावरणीय लाभ और अपीलडॉ. मीणा ने बताया कि पेड़ लगाने से बारिश होती है, ऑक्सीजन मिलती है, और फल-फूल भी प्राप्त होते हैं. गांव में लगाए गए 110 विभिन्न प्रकार के पेड़ों में जामुन और अन्य आयुर्वेदिक पौधे शामिल हैं. उन्होंने आम लोगों से भी अपील की है कि वे अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं. स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में नियमित सफाई कार्य भी किया जाता है, जिसमें भाजपा नेता और उनके कार्यकर्ता सक्रिय रहते हैं.
इस प्रकार, खोर्रा मुल्ला गांव न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की समर्पण और प्रयासों का भी प्रतीक है.
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FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 20:34 IST