यहां एक ही जगह हो जाते है चार धाम के दर्शन, नहीं करनी पड़ती कठिन यात्रा, लगी रहती है लोगों की भीड़

Last Updated:April 30, 2025, 15:26 IST
आज से चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई है. इसी के साथ कई श्रद्धालु इस कठिन यात्रा को करने के लिए निकल पड़े हैं. लेकिन अगर किसी कारणवश आप इस यात्रा को नहीं कर पाते हैं तो जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां दर्शन करने …और पढ़ें
एक ही छत के नीचे करें चार धाम के दर्शन (इमेज- फाइल फोटो)
भारत में लोगों की आस्था काफी अटूट है. इसी आस्था में वो कठिन और दुर्गम रास्तों से गुजरकर मंदिरों में अपने देवी-देवताओं के दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं. आज से देश में चार धाम की यात्रा शुरू हो गई. कई महीनों तक विश्राम करने के बाद अब इन मंदिरों के पट खुल गए हैं. ऐसे में श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के लिए निकल पड़े हैं.
हालांकि, अगर आप भी चार धाम यात्रा पर जाना चाहते थे लेकिन किसी कारण से ऐसा नहीं कर पाए तो ये खबर आपके लिए है. कई श्रद्धालु कठिन रास्तों की वजह से इस यात्रा के लिए जाने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं. ऐसे में आज हम आपको जयपुर के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के दर्शन कर लेने पर भक्तों को चार धाम की यात्रा का फल मिल जाता है. हम बात कर रहे हैं आमेर रोड के पास मौजूद एक अनूठे मंदिर की.
एक मंदिर में चार धामआमेर रोड स्थित बद्रीनाराणजी मंदिर की काफी मान्यता है. यहां आने वाले भक्तों को एक साथ चार धाम का फल मिल जाता है. इसके अलावा भगवान तुंगनाथ के भी दर्शन हो जाते हैं. हर साल इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं. ये मंदिर भक्तों के बीच अपने धार्मिक महत्व के कारण जगह बना चुका है. इस मंदिर में चरों धाम की मूर्तियां स्थापित है. इस कारण इसे चार धाम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि अगर आप चार धाम नहीं कर पाए तो इस मंदिर में आकर आप उसका फल पा सकते हैं.
साल में एक ही दिन खुलता था पटधार्मिक आस्था की बात करें तो इस मंदिर को पहले साल में सिर्फ एक ही दिन खोला जाता था. अक्षय तृतीया के दिन मंदिर के पट खुलते थे. उस दौर में आमेर रोड से लेकर जोरावर सिंह गेट पर मेला लगता था. सुबह से ही श्रद्धालु कतार में लग जाते थे. लेकिन अब समय के साथ मंदिर हर दिन खुलने लगा है. लेकिन अक्षय तृतीया के दिन इस मंदिर में दर्शन का अलग ही महत्व है. बात मंदिर के सेवादार की करें तो महंत की बारवीं पीढ़ी अभी यहां पूजा-पाठ करते हैं.
First Published :
April 30, 2025, 15:26 IST
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यहां एक ही जगह हो जाते है चार धाम के दर्शन, नहीं करनी पड़ती कठिन यात्रा