किन्नर नैना ने निभाया बेटे का कर्तव्य, मां की अर्थी को कंधा देकर किया अंतिम संस्कार
रिपोर्ट- शक्ति सिंह
कोटा: मंगलमुखी किन्नर नैना देवी की माताजी के निधन पर समस्त अंतिम क्रियाएं सम्पन्न की गईं. पूरा विधि विधान बड़ी पुत्री मंगलमुखी किन्नर नैना देवी के द्वारा संपन्न किया गया. उन्होंने अर्थी को कंधा दिया और किशोरपुरा स्थित मुक्तिधाम पर शव को मुखाग्नि दी. नैना देवी की मां लंबे समय से बीमार चल रही थी. नैना देवी के पिता स्कूल में टीचर हैं और मां हाउस वाइफ का दायित्व निभाते हुए परिवार का पालन कर रही थीं. इनके दो पुत्रियां हैं. एक का विवाह कर दिया गया.
नैना देवी का जन्म कोटा में हुआ. नैना देवी को किन्नर योनि में जन्म लेने के कारण उनका अलग ही संसार हो गया. दसवीं क्लास तक पढ़ाई करने वाली नैना 14 वर्ष की आयु से ही किन्नर समूह में अपने नियमों का पालन करते हुए परिवार से अलग रहकर जीवन यापन करने लगी.
नैना देवी ने बताया कि अपनी मां के साथ उनका बहुत लगाव था. मां पिछले 4 वर्षों से बीमार चल रही थी और मां की सेवा में उन्होंने कोई कमी नहीं रखी. उन्होंने किन्नर नियमों का पालन करने के साथ-साथ अपनी मां को बेटा नहीं होने की कमी महसूस नहीं होने दी. एक ओर जहां माता-पिता, भाई-बहन और परिजन, नाते-रिश्तेदार किन्नर के रूप में जन्म लेने वाली औलाद को परिवार से दूर कर देते हैं और समाज के लोग भी कई बार उन्हें शर्मिंदगी महसूस कराते हैं. जबकि इसमें उनका कोई दोष नहीं होता. ऐसे में, परिवार से दूर होकर भी परिवार के उत्तरदायित्व का पालन करके मंगलामुखी किन्नर नैना देवी ने एक मिसाल कायम की है.
नैना देवी ने बताया कि प्रकृति ने हमारे साथ भले ही न्याय नहीं किया हो, लेकिन हमें इसका मलाल नहीं है. उन्होंने कहा कि हम किन्नर के रूप में भी सामाजिक सरोकारों को निभाते रहेंगे. सभी धर्मों व जातियों के घरों में उनका आना जाना है. कईं तीर्थ स्थलों की यात्रा के साथ अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अमृतसर गुरुद्वारा तक भी यात्रा कर चुके हैं. गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग के साथ-साथ कितने ही स्कूल में गरीब बच्चों की कॉपी किताब ड्रेस के लिए भी सहयोग प्रदान करते हुए वाटर कूलर भी डोनेट किए हैं.
अभी हाल ही उन्होंने सभी किन्नर समाज के साथ मिलकर देश प्रदेश में पहली बार कोटा में कावड़ यात्रा का भी आयोजन किया. नैना देवी द्वारा ही उच्च स्तरीय प्रयास करते हुए किन्नर समाज को देश में मंगलमुखी नाम से करने की मांग की थी. जिसको भी सरकार द्वारा मंजूरी मिल गई. भविष्य में भी सांप्रदायिक एकता एवं सर्वधर्म समभाव की भावना के साथ सभी मंगलमुखी किन्नर समाज को साथ लेकर कोटा शहर में सेवा कार्य करने की इच्छा रखती है.
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FIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 15:49 IST