अशोक गहलोत के पिटारे से निकला 3 तोहफा, क्या राजस्थान चुनाव से पहले होगा गेमचेंजर?

जयपुर. राजस्थान में चुनाव से पहले आरक्षण का पिटारा फिर खुल गया है. इस पिटारे में तीन गिफ्ट हैं और एक दूर की उम्मीद. पहला गिफ्ट है ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया जाएगा, दूसरा ओबीसी का वर्गीकरण कर मूल ओबीसी के लिए अलग से 6 फीसदी आरक्षण किया जाएगा और पिटारे का तीसरा गिफ्ट है जातीय जनगणना करवाएगी जाएगी. एक अन्य वायदा भी है अनसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण बढ़ाने पर विचार का. सवाल ये है कि क्या ये तीन गिफ्ट इस बार राजस्थान के विधासनभा चुनाव में गेमचेंजर साबित होंगे.
राजस्थान की सियासत में हलचल लाने वाले इस फैसले से क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओबीसी जातियों की गोलबंदी कांग्रेस के पक्ष में कर पाएंगे, यह बड़ा सवाल है. अगर ऐसा मुमकिन हुआ तो फिर विधानसभा चुनाव में यह बीजेपी के लिए राजस्थान में खतरे की बड़ी घंटी हो सकती है. राजस्थान में ओबीसी की आबादी 45 फीसदी है. ऐसे में चुनाव में ये फैसला गेमचेंजर होगा या गेम बजाने वाला, इसका जवाब आरक्षण पाने वाली और मांग करने वाली जातियों की राय में छिपा है.
जाट महासभा ने दो फैसलों का किया स्वागत
राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने और जातीय जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया. उनका कहना था कि महासभा की लंबे समय से ये मांग थी. लेकिन राजाराम मील ने मूल ओबीसी के लिए 6 फीसदी अलग से आरक्षण देने के फैसले का विरोध किया. मील ने कहा कि इससे चुनाव में कांग्रेस को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है. मील ने सवाल उठाया कि बिना जातिगत जनगणना के कैसे सरकार तय कर सकती है कि ओबीसी में कौनसी जाति की आबादी कितनी है. जाट ने मूल ओबीसी के नाम पर फूट डालने का भी आरोप लगाया. मील ने मांग की कि 6 फीसदी आरक्षण बढ़ाने का लाभ ओबीसी की सभी जातियों को मिलना चाहिए न कि कुछ को.
ओबीसी के वर्गीकरण से दिक्कत
राजस्थान में जाट समुदाय लंबे समय से ओबीसी के वर्गीकरण की मुखालफत करता आया. जाट समुदाय कांग्रेस का परपंरागत वोट बैंक माना जाता है. ऐसे में क्या गहलोत चुनाव से पहले इस समुदाय को नाराज कर ओबीसी का बंटवारा कर पाएंगे, यह सवाल भी उठ रहा है. माना जा रहा है कि अगर गहलोत इस मुहिम में सफल हुए तो बीजेपी का परंपरागत वोट माने जाने वाली मूल ओबीसी की जातियों को वे कांग्रेस के पाले में ला सकते हैं. क्योंकि मूल ओबीसी को इन जातियों को ओबीसी के 21 फीसदी आरक्षण के साथ 6 फीसदी खुद का अलग से आरक्षण का कोटा मिलेगा. मूल ओबीसी की इन जातियों में माली, कुमावत जैसी बड़ी आबादी वाली जातियां भी शामिल हैं.
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हालांकि अभी तक तस्वीर साफ नहीं है कि आरक्षण के बंटवारे का ये फार्मूला क्या होगा. छह फीसदी अलग से आरक्षण के बाद मूल ओबीसी को 21 फीसदी आरक्षण में भागीदारी मिलेगी या नहीं. अगर ये फार्मूला लागू किया जाता है तो राजस्थान जाट महसभा ने अभी से चेतावनी दे डाली कांग्रेस को चुनावी नुकसान की. चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि अगर वर्गीकरण के सवाल को छोड़ दिया तो ओबीसी आरक्षण बढ़ाने का चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है. इस फैसले के बाद अब आरक्षण का पिटारा खुल गया. अगड़ी जातियां भी अब आर्थिक पिछड़ा वर्ग यानी ईडब्लूएस का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 14 फीसदी करने की मांग कर रही हैं.
ब्राह्मण महासभा की मांग- EWS आरक्षण बढ़े
राजस्थान सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुरेश मिश्रा का कहना है कि अगड़ी जातियों की 14 फीसदी आरक्षण की मांग काफी पुरानी है. लेकिन ईडब्लूएस को 10 फीसदी आरक्षण ही दिया गया. मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही सबसे पहले केंद्र सरकार को 14 फीसदी आरक्षण की चिट्ठी केंद्र सरकार को लिखी थी. उसके बाद बीजेपी सरकार ने भी विधानसभा में 14 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया था. मिश्रा ने कहा कि आर्थिक पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर 3 सितंबर को जयपुर में विराट ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. अगड़ी जातियों में राजपूत, ब्राह्मण समेत 9 जातियां शामिल हैं.
विश्लेषकों की क्या है राय
जाहिर है कि अगड़ी जातियों की मांग पूरी नहीं की गई तो इनका चुनाव में कांग्रेस का साथ देने के बजाय बीजेपी के पाले में जाने का खतरा है. अगर मांग पूरी की जाती है तो आरक्षण की सीमा बढ़कर 74 फीसदी हो जाएगी. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए ओबीसी आरक्षण के दांव के बाद कहा कि अनूसूचित जाति व जनजाति का आरक्षण कैसे बढ़ा सकते हैं, इस पर भी विचार कर रहे हैं. हालांकि जानकारों का कहना है कि एससी-एसटी आरक्षण बढ़ाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. आखिरी सवाल कि क्या जातीय जनगणना का दांव काम करेगा? जानकारों का कहना है कि चुनाव में महज चार महीने बाकी है. सितंबर के आखिर तक चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है. ऐसे में जातीय जनगणना चुनावी वादा हो सकती है. हकीकत में अमली जामा पहनाना इतने कम वक्त में आसान नहीं.
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Tags: Ashok Gehlot Government, Caste Census, Jaipur news, OBC Reservation
FIRST PUBLISHED : August 11, 2023, 17:15 IST