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इंडियन आर्मी ने भारत-पाक बॉर्डर पर किन चीजों को परखा? जानें सबकुछ

Last Updated:November 12, 2025, 12:26 IST

Operation Trishul Latest News : भारत-पाक बॉर्डर पर इंडियन आर्मी की तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ चल रहा है. मंगलवार को जैसलमेर जिले में सेना के तीनों अंगों ने युद्ध कौशल दिखाया. इनमें सेना ने अपनी कई खास तैयारियों को पुख्ता किया. इस ऑपरेशन का एक ही मकसद है ‘कोई गलती नहीं, सिर्फ मिशन सफलता.’

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ऑपरेशन त्रिशूल : इंडियन आर्मी ने भारत-पाक बॉर्डर पर किन चीजों को परखा?ऑपरेशन त्रिशूल के अंतिम चरण में जैसलमेर की रेतीली धरती पर सेना ने अपना आक्रामक रूप दिखाया.

जैसलमेर. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रेगिस्तान की तपती रेत पर गरजते सेना के टैंक और उड़ते सुखोई विमान ने जो दृश्य दिखाया उससे साफ है कि भारत युद्ध के हर मोर्चे पर लड़ने के लिए तैयार है. जैसलमेर की धरती पर इंडियन आर्मी की त्रिशक्ति थल, नभ और जल ने जो अपना पराक्रम दिखाया उसे नाम दिया गया है ‘ ऑपरेशन त्रिशूल’. यह तीनों सेनाओं अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास है. ऑपरेशन त्रिशूल एक्सरसाइज के तहत सेनाओं के तीनों अंगों की ओर से अलग अलग बॉर्डर्स पर अभ्यास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में जैसलमेर में ‘मरू ज्वाला’ एक्सरसाइज की गई.

जैसलमेर की सरहदी रेत पर थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त शक्ति ने अपना जो दमखम दिखाया वो देश दुश्मनों के लिए चेतावनी है. 31 अक्टूबर से शुरू हुआ ‘त्रिशूल’ अभ्यास तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमता का परीक्षण है. इसमें दक्षिणी कमान, पश्चिमी एयर कमांड और नौसेना के चुनिंदा युद्धक यूनिट्स शामिल हैं. अभ्यास का उद्देश्य युद्ध की हर संभावित स्थिति में कोऑर्डिनेशन और कम्युनिकेशन को परखना है.

अपाचे और एमआई 17 हेलिकॉप्टरों ने ने दिया हवाई सपोर्टमरू ज्वाला यानी रेगिस्तान की आग. त्रिशूल एक्सरसाइज के इस अंतिम चरण में जैसलमेर की रेतीली धरती पर सेना ने अपना आक्रामक रूप दिखाया. थलसेना की मैकेनाइज्ड और आर्मर्ड कोर ने टैंक युद्धक रणनीति का प्रदर्शन किया. अपाचे और एमआई 17 हेलिकॉप्टरों ने उनको हवाई सपोर्ट दिया. इस अभ्यास के तहत हुए मरू ज्वाला की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. ड्रोन्स से लेकर रोबोटिक म्यूल्स तक हर तकनीक ने रेगिस्तान में युद्ध का भविष्य दिखाया. ड्रोन्स ने हवाई निगरानी रखी. जबकि AI-आधारित मशीनें सैनिकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चली.

‘कोई गलती नहीं, सिर्फ मिशन सफलता’मरू ज्वाला अभ्यास का सबसे अहम पहलू ये रहा कि इसमें सिर्फ जमीन या हवा नहीं बल्कि समूचे इंटीग्रेशन सिस्टम पर फोकस रहा. त्रिशूल ने दिखाया कि कैसे तीनों सेनाएं एक ही मिशन पर एक साथ प्रतिक्रिया देती है. यही सटीकता और आधुनिक युद्ध की असली ताकत है. मरू ज्वाला में हर हमला, हर मूवमेंट और हर जवाबी कार्रवाई टाइमलाइन पर तय की गई. लक्ष्य था ‘कोई गलती नहीं, सिर्फ मिशन सफलता’.

भारत की सेनाएं हर परिस्थिति में हर सीमा पर जवाब देने में सक्षम हैंमंगलवार को सेना के दक्षिणी कमान के वरिष्ठ अधिकारियों ने युद्धाभ्यास का निरीक्षण किया. उन्होंने सेनाओं की तैयारी, तालमेल और संसाधन उपयोग का विस्तृत मूल्यांकन किया. इस मौके पर कहा गया की भारत की सेनाएं हर परिस्थिति में हर सीमा पर जवाब देने में सक्षम हैं. राजस्थान का ये मरू क्षेत्र पाकिस्तान से सटी सीमा का अहम हिस्सा है. रेगिस्तानी इलाका युद्ध की परिस्थितियों में टैंकों और आर्मर्ड यूनिट्स के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

मरू भूमि सिर्फ रेत नहीं ये देश की शान हैयही कारण है कि बीकानेर का महाजन और जैसलमेर का ये इलाका देश की रणनीतिक दृष्टि से सबसे संवेदनशील क्षेत्र है. लिहाजा टैंक से युद्ध का यहां काफी महत्व है. इसीलिए टी-90 भीष्म टैंक काफी अहम योगदान निभा रहे हैं. त्रिशूल सिर्फ एक युद्धाभ्यास नहीं है ये भारत की सुरक्षा नीति का वो संकेत है जो दुश्मनों को साफ संदेश देता है कि भारत शांति चाहता है लेकिन वह अपनी रक्षा के लिए हमेशा तैयार है. जैसलमेर की रेत पर फहराता तिरंगा ये बताता है कि मरू भूमि सिर्फ रेत नहीं ये देश की शान है.

Sandeep Rathore

संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर…और पढ़ें

संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर… और पढ़ें

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Jaisalmer,Jaisalmer,Rajasthan

First Published :

November 12, 2025, 12:26 IST

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