शेखावाटी का गिंदड़…गुजराती गरबा और डांडिया जैसा अनोखा उत्सव, जानें इसकी खासियत

Last Updated:March 15, 2025, 14:56 IST
राजस्थान के शेखावाटी में होली पर गिंदड़ का आयोजन होता है. यह परंपरा झुंझुनूं के सुलताना कस्बे में भी धूमधाम से मनाई जाती है. गिंदड़ सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक एकता का प्रतीक है.X
गुजराती गरबा और डांडिया जैसा ही शेखावाटी का गिंदड़,होली को लेकर गांवों में जमने
हाइलाइट्स
शेखावाटी में होली पर गिंदड़ का आयोजन होता है.गिंदड़ सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक एकता का प्रतीक है.गिंदड़ में बुजुर्गों और युवाओं की भागीदारी होती है.
रविन्द्र कुमार/झुंझुनूं. राजस्थान में मौसम के अनुसार विभिन्न त्यौहार और समारोह आयोजित होते हैं. फाल्गुन माह में भी लोग अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से उत्सव मनाते हैं. ऐसा ही एक मशहूर आयोजन शेखावाटी का है. जैसे नवरात्रों में गुजराती गरबा और डांडिया पूरे देश और दुनिया में मशहूर हैं, वैसे ही होली के दिनों में राजस्थान के शेखावाटी में गिंदड़ का आयोजन होता है.
गिंदड़ लकड़ी के डंडों के साथ होली के मदमस्त गीतों के साथ हल्की सर्द रातों में खेला जाता है. होली में गिंदड़ का अपना अलग ही रंग और मजा होता है. इसी क्रम में होली के त्यौहार को लेकर ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक उत्सवों की धूम शुरू हो गई है.
कई साल पुरानी परंपरा झुंझुनूं जिले के गांवों में इन दिनों गिंदड़ देर रात तक खेला जा रहा है. गिंदड़ में बुजुर्गों के साथ युवा भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं. झुंझुनूं के सुलताना कस्बे में भवानी पार्क पर होली के अवसर पर गिंदड़ का आयोजन किया जा रहा है. रात के समय बड़ी संख्या में युवा और बुजुर्ग गिंदड़ खेल रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई साल से होली पर गिंदड़ की परंपरा चली आ रही है.
झगड़ों को सुलझाने और एकजुटता का माध्यम गिंदड़ शब्द की उत्पत्ति ‘गंधर्व’ से मानी जाती है, जो सुरीले संगीत और कला के प्रतीक हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गिंदड़ में शेखावाटी की सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखती है. यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि ग्रामीणों के बीच आपसी झगड़ों को सुलझाने और एकजुटता बनाए रखने का माध्यम भी है. गिंदड़ परंपरा गांव के युवाओं और बुजुर्गों को एक साथ लाती है और लोकगीतों, नृत्य के बीच सामुदायिक एकता का संदेश फैलाती है.
पारंपरिक उत्सवों की जड़ों को मजबूतीग्रामीणों ने कहा कि आधुनिकता के इस दौर में भी सुल्ताना में गिंदड़ की धूम कायम है. गिंदड़ परंपरा की पहचान को बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी संजोने में जुटे हैं. रंगों और संगीत के इस त्योहार ने न केवल सुल्ताना, बल्कि पूरे शेखावाटी क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को उजागर किया है. गिंदड़ जैसी लोक परंपराएं आधुनिकता के बीच भी पारंपरिक उत्सवों की जड़ों को मजबूती दे रही हैं.
Location :
Jhunjhunu,Rajasthan
First Published :
March 15, 2025, 14:56 IST
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गरबा-डांडिया जैसा शेखावाटी का गिंदड़, जानें इसकी खासियत और परंपरा की शुरुआत!