Rajasthan

भारत में जातिगत जनगणना का फैसला, जानें जाट समुदाय की स्थिति | caste census UP Haryana Rajasthan Jat community in which category OBC or General

लखनऊ/जयपुर/चंडीगढ़ : भारत सरकार ने जातिगण जनगणना (Caste Census) कराने का फैसला लिया है. अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किए जाने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. यूं तो भारत में हर 10 साल में होने वाली जनगणना 2020, अप्रैल में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई. लिहाजा राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इसे अब कराने का अहम निर्णय लिया. इस जनगणना में देश की आबादी की जातिगत गणना की जाएगी और उसके आंकड़ें सबके सामने रखे जाएंगे. इससे लंबे समय के बाद भारत में जातिगत बहुलता की स्थिति साफ होगी. विपक्ष भी इसकी पुरजोर मांग कर रहा था. ऐसे में लगातार ओबीसी आरक्षण की मांग करता रहा जाट समुदाय इस गणना में किस राज्‍य में कौन सी कैटेगरी में आता है.. चलिए जानते हैं…

दरअसल, जाट समुदाय भारत के कई राज्यों में है और वक्‍त-वक्‍त पर उन्होंने ओबीसी यानि अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण की मांग की है. यानि वे ओबीसी में शामिल होना चाहते हैं. अब प्रदेशों में उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति अलग-अलग है, जिस कारण उनकी कैटेगरी भी इसी अनुरूप है.

राजस्थान की बात करें तो यहां जाटों की अनुमानित जनसंख्या 53 लाख से ज्‍यादा है और यह कुल पॉपुलेशन में 9 से 10 प्रतिशत की हिस्‍सेदारी रखते हैं. राजस्‍थान में जाट समुदाय OBC कैटेगरी में आते हैं. साल 1998 में ही उन्‍हें ओबीसी आरक्षण का लाभ दे दिया था. ओबीसी में सबसे बड़ा तबका यही है. भरतपुर, धौलपुर, अलवर, जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर में इनकी अच्‍छी आबादी है. यहां भी जाट समुदाय की ओर से जातिगत जनगणना की जोरदार वकालत की गई है, ताकि असल सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आंकड़े सामने आ सकें. यहां जाट समुदाय एक प्रभावी वोट बैंक होने के साथ ही सियासी गलियारों में भी अच्‍छी पैठ रखता है.

वहीं, हरियाणा की बात करें तो यहां जाट सामान्य वर्ग में आते हैं. साल 2016 में इसी के चलते जाट आरक्षण आंदोलन हुआ था और जाटों ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण की मांग की थी. हालांकि, इससे पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने जाटों को ओबीसी आरक्षण कोटे में शामिल किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने यह फैसला रद्द कर दिया था. राष्‍ट्रीय राजधानी के इस पड़ोसी राज्‍य में जाट समुदाय सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली वर्ग है. राज्य के इतिहास, पॉलिटिक्‍स, एडमिनिस्‍ट्रेशन से लेकर आंदोलनों में इनकी सक्रिय भूमिका रही है. अनुमानित जनसंख्या के तहत इनकी आबादी लगभग 35 से 40 लाख है और कुल जनसंख्या में इनका हिस्सा लगभग 25 से 29 प्रतिशत के बीच है. रोहतक, झज्जर, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, करनाल, फतेहाबाद, पानीपत, रेवाड़ी जैसे जिलों में इनका प्रभाव अच्‍छा है. हरियाणा में भी जाट समुदाय ने जातिगत जनगणना की बार-बार मांग की है.

वहीं, उत्तर प्रदेश की ओर देखा जाए तो यहां भी जाट समुदाय सोशल और पॉलिटिकल रूप से अहमियत रखता है, खासकर वेस्‍टर्न यूपी में. इस क्षेत्र में जाट समुदाय सियासी समीकरणों में निर्णायक भूमिका निभाता है. इनकी अनुमानित जनसंख्या की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में जाटों की जनसंख्या लगभग 35 से 40 लाख मानी जाती है, जोकि राज्य की कुल आबादी में लगभग डेढ से दो प्रतिशत है, लेकिन पश्चिमी यूपी में यह 10 से 15 प्रतिशत वाली है. यूपी में मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, शामली, हापुड़, बुलंदशहर, बिजनौर, सहारनपुर, अलीगढ़ और मथुरा मुख्य जाट बहुल जिले हैं. विधानसभा की 50 से अधिक सीटों पर जाट वोट निर्णायक है. यूपी में जाट समुदाय को OBC में शामिल नहीं किया गया है, यानि वह सामान्‍य वर्ग में ही है. राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जाटों को OBC में शामिल करने की कोशिशें की गई थीं, लेकिन यह कोशिश सफल न हो सकी. जाट समुदाय भी वक्‍त-वक्‍त पर जातिगत जनगणना की मांग करता रहा है, ताकि उनकी संख्या और सामाजिक-आर्थिक हालत का सही से मूल्यांकन हो सके.

ऐसे में इन राज्‍यों में जातिगत जनगणना होने पर इन्‍हें निश्चित रूप से उसी कैटेगरी में गिना जाएगा.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj