जानिए राजस्थानी चंपाकली आभूषण का इतिहास, डिज़ाइन और फैशन में महत्व

Last Updated:December 10, 2025, 19:17 IST
चंपाकली हार—राजस्थान की पारंपरिक शिल्पकला और नारी सौंदर्य का अद्भुत संगम. सदियों से यह हार केवल आभूषण नहीं, बल्कि संस्कृति, गरिमा और परंपरा का प्रतीक रहा है. अब यह आधुनिक फैशन के साथ भी अपनी जादुई खूबसूरती बिखेर रहा है चंपाकली हार—राजस्थान की पारंपरिक शिल्पकला और नारी सौंदर्य का अद्भुत संगम. सदियों से यह हार केवल आभूषण नहीं, बल्कि संस्कृति, गरिमा और परंपरा का प्रतीक रहा है. अब यह आधुनिक फैशन के साथ भी अपनी जादुई खूबसूरती बिखेर रहा है.
राजस्थानी आभूषणों में चंपाकली आभूषण का एक अलग ही स्थान है, यह एक पारंपरिक हार है, जिसे मुख्य रूप से गले या गर्दन में पहना जाता है. चंपाकली नाम चंपा के फूल की कोमल कलियों से प्रेरित है, जिसके कारण इसका डिज़ाइन बेहद नाज़ुक, आकर्षक और सौम्य दिखाई देता है. यह आभूषण राजस्थानी संस्कृति, स्त्री-सौंदर्य और पारंपरिक शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है.

चंपाकली आभूषण खासतौर पर राजस्थान में प्रचलित रहा है, इन क्षेत्रों में इसे पारंपरिक वेशभूषा के साथ पहना जाता है. राजस्थानी परिधानों के साथ चंपाकली हार स्त्रियों की गरिमा और शान को और भी बढ़ा देता है. पहले के समय में यह आभूषण सामाजिक स्थिति और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता था.

चंपाकली हार का डिज़ाइन चंपा की कली के आकार जैसा होता है, इसमें बारीक नक्काशी, फूल-पत्ती के पैटर्न और मोती, कुंदन या मीनाकारी का सुंदर प्रयोग किया जाता है. इसकी कारीगरी इतनी सूक्ष्म होती है कि हर कली एक फूल का एहसास कराती है. यह पारंपरिक कारीगरों की मेहनत और कला का जीवंत रूप है. स्थानीय कारीगर बताते हैं कि चंपाकली हार का डिज़ाइन बेहद ही आकर्षक होता है. यह दिखने में जितना साधारण लगता है, उतना ही यह मन को मोह लेता है. चंपाकली हार कई अलग-अलग डिज़ाइनों में बनाया जा रहा है. इसे आज की आधुनिकता और मॉडर्न फैशन से जोड़कर बनाया जा रहा है, जिससे यह बहुत अधिक लोकप्रिय हो रहा है.
Add as Preferred Source on Google

आमतौर पर चंपाकली आभूषण चांदी, सोने या सोने की परत चढ़ी धातु से बनाए जाते हैं. कुछ डिज़ाइनों में रंगीन पत्थरों और मोतियों का भी उपयोग किया जाता है, जिससे यह और अधिक आकर्षक बन जाता है. इसकी मजबूत बनावट इसे लंबे समय तक उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती है. चंपाकली आभूषण राजस्थानी परंपरा की एक खूबसूरत धरोहर है. यह न केवल महिलाओं की शोभा बढ़ाता है, बल्कि संस्कृति की गहराई, सौंदर्य और कारीगरी को भी दर्शाता है. यही कारण है कि सदियों बाद भी इसका आकर्षण आज तक बना हुआ है.

चंपाकली हार अपने आप में एक विशेष महत्व रखता है, चंपाकली हार को शादी-विवाह, तीज-त्योहार, गणगौर और अन्य मांगलिक अवसरों पर पहना जाता है. यह केवल एक गहना नहीं, बल्कि राजस्थानी संस्कृति, परंपरा और नारी सौंदर्य का प्रतीक है. आज भी गाँवों में परिवारों में चंपाकली आभूषण पीढ़ी दर पीढ़ी संभालकर रखा जाता है. चंपाकली हार को तोहफे में देने के लिए सबसे अच्छा गहना माना जाता है.

आज के समय में चंपाकली आभूषण ने आधुनिक फैशन के साथ भी तालमेल बिठा लिया है. अब इसे हल्के डिज़ाइन और फ्यूज़न लुक में भी बनाया जा रहा है, जिसे महिलाएं साड़ी के साथ-साथ सूट और लहंगे पर भी आसानी से पहन सकती हैं. चंपाकली हार का साधारण लुक ने इसे अधिक लोकप्रिय किया है. महिलाओं से लेकर अभिनेत्रियों तक इसे सिंपल प्लाज़ो, इंडो-वेस्टर्न, गाउन जैसी ड्रेस के साथ पहनती हैं. चंपाकली हार की झलक अब फैशन शो में भी दिखने लगी है, जिससे इसकी मांग बढ़ने लगी है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।First Published :
December 10, 2025, 19:17 IST
homelifestyle
राजस्थानी चंपाकली आभूषण का इतिहास, डिज़ाइन और आधुनिक फैशन में महत्व



