Kota News: जैन मुनियों की प्रेरणा से कैदी अब सुधारेंगे अपने भविष्य की राह, लिया यह संकल्प
रिपोर्ट: शक्ति सिंह
कोटा. कोटा शहर में स्थित हाड़ौती संभाग की सबसे बड़ी जेल में बुधवार को जैन मुनि संत कमल व जैन मुनि संत घनश्याम के सान्निध्य में बंदियों के लिए एक विशेष कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में जैन मुनियों ने बंदियों को क्षमा का महत्व समझाकर संयमपूर्वक जीवन जीने के लिएि प्रेरित. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जैन मुनि संत कमल ने कहा कि इंसान का पूरा जीवन गलतियों से भरा होता है. दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जिसने कभी गलती नहीं की. गलतियां करना मानव का स्वभाव है, कई बार कुछ लोग आपराधिक गलती कर समाज से दूर हो जाते हैं और वापस समाज की मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाते. ऐसे व्यक्ति निश्चल होकर प्रभु स्मरण कर पश्चाताप करें और वापस उन गलतियों को दोहराने का संकल्प न लें. कार्यक्रम में जैन मुनियों ने प्रवचन देकर बंदियों को अपराध व नशे से दूर रहने की शिक्षा दी एवं हिंसा रोकने के लिए क्षमा के महत्त्व को समझाया.
आपके शहर से (कोटा)
जैन मुनि घनश्याम ने कहा कि कि भाषा से इंसान (व्यक्ति) के चरित्र व व्यवहार की पहचान होती है. कौन व्यक्ति किस प्रकार भाषा का प्रयोग करता है तथा व्यक्ति के मनोभाव क्या है, यह जानने का माध्यम भाषा ही होती है. ऐसे में मनुष्य को अपनी भाषा पर नियत्रंण रखना चाहिए. यदि बोलने में चूक होती है तो न केवल विवाद पैदा होती है बल्कि समाज पर बहुत बुरा असर पडता है.
मुनि ने बताया कि व्यक्ति को थोडा धीमें, कम और मधुर भाषा का प्रयोग करना चाहिए. जहां ज्यादा शोरगुल होता है, वहां के लोगों में अनुशासनहीनता, मानसिक असंतुलन एवं हदय रोग जैसी बीमाीरयां पाई जा सकती हैं. मौन रखने वाले को ऊंचा स्थान प्राप्त होता हैं. वहीं ज्यादा बोलने वाले को नीचा देखना पडता है. उन्होंने बंदियो को समाज से जुडने के लिए अन्य कई बाते बतायी एवं कार्यक्रम के अंत में मंगल वंदना की गयी. इस कार्यक्रम का सभी जेल बेरिकों में लाइव टेलीकास्ट किया गया.
कार्यक्रम के समापन पर बंदियों ने जैन मुनियों की प्रेरणा से भविष्य में अच्छे मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और समाज हित में कार्य करने की बात कही. जेल अधीक्षक परमजीत सिंह सिद्धू ने बंदियों से अपने आपको सुधारकर पुनः अपराध की पुनरावृत्ति न करके समाज की मुख्यधारा से जुडने के लिए प्रेरित किया.
संत कमल ने बताया कि भाषा से इंसान (व्यक्ति) के चरित्र व व्यवहार की पहचान होती है. कौन व्यक्ति किस प्रकार भाषा का प्रयोग करता है तथा व्यक्ति के मनोभाव क्या है, यह जानने का माध्यम भाषा ही होती है. ऐसे में मनुष्य को अपनी भाषा पर नियत्रंण रखना चाहिए. यदि बोलने में चूक होती है तो न केवल विवाद पैदा होती है बल्कि समाज पर बहुत बुरा असर पडता है.
मुनि ने बताया कि व्यक्ति को थोडा धीमें, कम और मधुर भाषा का प्रयोग करना चाहिए. जहां ज्यादा शोरगृल होता है, वहां के लोगों में अनुशासनहीनता, मानसिक असंतुलन एवं हदय रोग जैसी बीमाीरयां पाई जा सकती है. मौन रखने वाले को ऊंचा स्थान प्राप्त होता हैं वही ज्यादा बोलने वाले को नीचा देखना पडता है. उन्होंने बंदियो को समाज से जुडने के लिए अन्य कई बाते बतायी एवं कार्यक्रम के अंत में मंगल वंदना की गयी. इस कार्यक्रम का सभी जेल बेरिकों में लाईव टेलीकास्ट किया गया.
जेल में बंद कैदियों को प्रवीण जैन, अति. पुलिस अधीक्षक कोटा ने बंदियो से होनी या अनहोनी में हुऐ अपराध को भुलकर अपने आप को आपराधिक कृत्त्यों से दूर रहने के लिए समझाया वहीं पारस जैन अति. पुलिस अधीक्षक कोटा ने अपराधों से हो रहे दुषप्रभाव एव दुष्परिणाम के बारे में बताते हुए इनसे दूर रहने के लिए समझाया.
जेल अधीक्षक परमजीत सिंह सिद्धू ने बंदियो से अपने आपको सुधारकर पुनः अपराध की पुनरावृति न करके समाज की मुख्यधारा से जुडने के लिए प्रेरित किया एवं सभी आगन्तुकों का धन्यवाद देकर आभार जताया. इस दौरान अन्य जैन शिष्य एवं जेल कर्मचारी मौजुद रहे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Kota news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : April 13, 2023, 12:15 IST