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‘मूंछ’ न हटाने पर डायरेक्टर से पड़ी डांट, फिर निभाया वो अमर किरदार, चांदी में तौल दिए गए थे पंकज धीर

Last Updated:November 08, 2025, 23:43 IST

टेलीविजन शो ‘महाभारत’ में कर्ण की भूमिका निभाकर पंकज धीर स्टार बन गए थे. उनकी 9 नवंबर को जयंती है. दिवंगत एक्टर के अमर किरदार कर्ण से जुड़े कई किस्से हैं. कहते हैं कि कर्ण की मौत वाले एपिसोड से आदिवासी इतना दुखी हुए थे कि उन्होंने सिर मुंडवा लिया था. 'मूंछ' न हटाने पर डायरेक्टर से पड़ी डांट, फिर निभाया अमर किरदार...पंकज धीर का जन्म 9 नवंबर 1956 को पंजाब में हुआ था.

नई दिल्ली: बीआर चोपड़ा के टेलीविजन शो ‘महाभारत’ में कर्ण की भूमिका निभाने वाले एक्टर पंकज धीर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर अपने किरदार के जरिए वो दर्शकों और फैंस के बीच हमेशा मौजूद रहेंगे. क्या आप जानते हैं कि टीवी के इस कर्ण को साकार करने वाले अभिनेता पंकज धीर को अपने ही किरदार के बारे में शुरू में कुछ नहीं पता था? संस्कृत शब्दों का उच्चारण वह नहीं कर पाते थे, जिस वजह से सेट पर डायलॉग बोलने में गलती कर बैठते थे. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि दो किताबों ने उन्हें कर्ण के किरदार में ढलने में काफी मदद की थी.

पंकज धीर का जन्म 9 नवंबर 1956 को पंजाब में हुआ था. उन्होंने 1980 के दशक में मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में छोटे-मोटे रोल्स से शुरुआत की थी. अभिनेता को बीआर चोपड़ा के धारावाहिक ‘महाभारत’ के लिए ऑडिशन में पहले अर्जुन का रोल ऑफर हुआ था. उनकी कद-काठी और चेहरे की तेजस्विता ने निर्माताओं को प्रभावित किया. तीन-चार महीने तक वे मुंबई की सड़कों पर ‘अर्जुन’ बनकर घूमे, लेकिन एक शर्त ने सबकुछ उलट दिया. निर्देशक ने मूंछें हटाने को कहा. पंकज ने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मूंछों को नहीं हटा सकता.’

बीआर चोपड़ा ने जब दोबारा लगाया फोनइस बात से तिलमिलाए बीआर चोपड़ा ने उन्हें स्टूडियो से बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा था कि दोबारा कभी यहां दिखाई मत देना. कुछ महीनों बाद फोन आया और इस बार उन्हें ऑफर हुआ कर्ण का रोल. पंकज ने हामी भर दी, लेकिन चुनौतियां कम नहीं हुईं. उन्होंने एक पुराने इंटरव्यू में स्वीकार किया कि उनकी इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई हुई थी. इस वजह से वह न तो कर्ण के बारे में ज्यादा जानते थे और उन्हें संस्कृत का एक भी शब्द समझ नहीं आता था. सेट पर डायलॉग बोलते वक्त उच्चारण अशुद्ध हो जाता और वह घबरा जाते थे.

दो रचनाओं की मदद से सुधारा उच्चारणपंकज धीर को टीम के एक सदस्य ने कमाल की सलाह दी और कहा कि हिंदी अखबार पढ़ो, हिंदी किताबें पढ़ो, उच्चारण सुधारो, जिससे जुबान खुलेगी. लेकिन, असली जादू हुआ दो रचनाओं से. शिवाजी सावंत की ‘मृत्युंजय’ और रामधारी सिंह दिनकर की ‘रश्मिरथी’ ने धीर की काफी मदद की. वह ‘मृत्युंजय’ से दानवीर की आंतरिक पीड़ा, समाज की उपेक्षा और युद्ध के द्वंद्व को समझ पाए. वहीं, ‘रश्मिरथी’ ने उनके उच्चारण को सुधारा और किरदार को गहराई दी.

आदिवासी गांव ने शोक में मुंडवाया सिरफिर क्या था पंकज को कर्ण की भूमिका से इतनी लोकप्रियता मिली कि वह पॉपुलैरिटी पोल में तीसरे नंबर पर पहुंच गए. एक इंटरव्यू में पंकज धीर ने कर्ण की मौत वाले एपिसोड से जुड़ा किस्सा भी सुनाया था. जब बस्तर के एक आदिवासी गांव में हजारों लोगों ने शोक में सिर मुंडवा लिए थे. मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम के कहने पर पंकज वहां पहुंचे, तो लोगों ने उन्हें चांदी में तौला. पंकज वह सीन देखकर स्तब्ध थे. पंकज धीर का इसी साल 15 अक्टूबर को कैंसर की वजह से निधन हो गया.

Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

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First Published :

November 08, 2025, 23:43 IST

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