Rajasthan

मानव-सेवा में कोटा अव्वल…4 साल में 126 लोगों ने दान की आंखें, 51 जिंदगियां हुईं रोशन

शक्ति सिंह/कोटा. कहा जाता है- जीते जी रक्तदान और मरणोपरांत नेत्रदान, सच्ची मानव सेवा है. राजस्थान के कोटा शहर ने मानव सेवा की ऐसी ही मिसाल कायम की है. नेत्रदान में यह शहर पूरे राजस्थान में दूसरे नंबर पर है. मृत्यु के बाद नेत्रदान को लेकर जागरूकता अभियान का कोटा में खूब असर दिख रहा है. लोग यहां नेत्रदान का संकल्प ले रहे हैं और आंखों का दान भी कर रहे हैं.

नेत्रदान सलाहकार भूपेंद्र सिंह हाडा ने लोकल18 को बताया कि राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण के तहत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. कॉर्निया से अंधता के शिकार लोगों की ज्योति वापस लाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. कोटा में यह प्रोजेक्ट साल 2020 में शुरू हुआ. अब तक 126 नेत्रदान और 51 प्रत्यारोपण हो चुके हैं. कॉर्निया लेने के बाद हम सीधे जयपुर आई बैंक में भेज देते हैं और आवश्यकता अनुसार प्रत्यारोपण के समय मंगवा लिया जाता है. आई डोनेशन और प्रत्यारोपण में पहले नंबर पर जयपुर आता है और कोटा दूसरे नंबर पर है.

कॉर्निया की आवश्यकता होतीहाडा ने बताया कि भारत में लगभग प्रतिवर्ष डेढ़ लाख कॉर्निया की आवश्यकता होती है. इसके मुकाबले लगभग 50,000 कॉर्निया दान ही होता है. उन्होंने बताया कि हमारी आंख में 576 मेगापिक्सल का कैमरा होता है. शरीर के सभी अंगों में सबसे ज्यादा जटिल संरचना आंख ही होती है. हम पूरे जीवन काल में जो भी सीखते हैं, उसका 85% आंख के माध्यम से ही सीखते हैं. इसलिए नेत्रदान मानव-सेवा के लिए महत्वपूर्ण है. अगर आप मेडिकल कॉलेज कोटा में नेत्रदान के लिए किसी से संपर्क करना चाहते हैं, तो भूपेंद्र सिंह हाडा से इस नंबर 9928258991 पर बात कर सकते हैं.

नेत्रदान के लिए ये एहतियात

मृत्यु के बाद शरीर के अंतिम संस्कार से बेहतर है, किसी दूसरे को नई जिंदगी देना. आंख समेत अन्य अंगों का दानकर दूसरों की मदद की जा सकती है. इसके लिए बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है.

मृत्यु के बाद शव के सिर को दो तकिए के ऊपर रखें, साथ ही आंख के ऊपर गीली रुई या कपड़ा रखते हुए पंखा बंद कर दें. इससे आंखें गीली रहेंगी.

शहर के आई बैंक से संपर्क कर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करें.

15-20 साल से कम उम्र के व्यक्ति की मृत्यु होने पर एक कॉर्निया से 5 अलग-अलग लोगों को रोशनी दी जा सकती है.

नेत्रदान एक रक्तहीन प्रक्रिया है और इसमें सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है, पूरी आंख नहीं. प्राप्त कॉर्निया को चार दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

कितनी ही कहानियां हैं हमारे आसपास, हमारे गांव में-हमारे शहर में. किसी की सफलता की कहानी, किसी के गिरने और उसके उठने की कहानी, किसान की कहानी, शहर की परंपरा या किसी मंदिर की कहानी, रोजगार देने वाले की कहानी, किसी का सहारा बनने वाले की कहानी…इन कहानियों को दुनिया के सामने लाना, यही तो है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें वॉट्सऐप करें हमारे नंबर पर, 08700866366.

Tags: Eye Donation, Kota news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 15:17 IST

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