Laal Maans Recipe: कभी यहां चाव से खाया जाता था हिरण, डाली जाती थी खास मिर्च, ऐसे बनाया जाता था लाल मांस
भारत में राजा-महाराजों का दौर एक समय में खूब था. अंग्रेजों के आने से पहले हर तरफ राजाओं का ही शासन चला करता था. राजा अपनी प्रजा को खुश रखने के लिए काम करते थे. धीरे-धीरे जब अंग्रेज आ गए, तब इनके शासन का पतन होने लगा. आज भी कुछ जगहों पर राजा के वंशज मौजूद है. कुछ अपने राजमहल में रहते हैं तो कुछ अब एक आम आदमी की जिंदगी बिताने लगे हैं.
राजाओं के शौक भी खूब हुआ करते थे. कई नौकर-चाकर होने के अलावा इनके खान-पान का ध्यान रखने के लिए कई रसोइये भी होते थे. राजा खाने के भी शौक़ीन हुआ करते थे. इनके एक वक्त के खाने के लिए कई-कई पकवान तैयार किए जाते थे. कई बार राजा शिकार पर जाने के बाद हिरण मार कर लाते थे और उसे पकाया जाता था, जिसे राजा के साथ-साथ राजपरिवार के लोग शान से खाते थे. हालांकि, अब भारत में हिरण के मांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हिरण के मांस को लाल मांस भी कहा जाता है, जो एक समय में राजस्थान के खान-पान का प्रमुख हिस्सा था.
डाली जाती थी खास मिर्चराजस्थान कुजीन में आज भी लाल मांस को काफी अहमियत दी जाती है. हालांकि, अब इसे हिरण के मांस से नहीं बल्कि बकरी के गोश्त से बनाया जाता है. लाल मांस का नाम सुनकर ऐसा लगता है कई इसमें खूब सारी लाल मिर्च डाली जाती होगी, जिससे ये काफी तीखा बनता है. लेकिन असल में इसमें ख़ास तरह की लाल मिर्च डाली जाती है. एक ऐसी मिर्च जो सिर्फ जोधपुर में उगाई जाती है. इस मिर्च की खासियत ये है कि इसे डालने से खाना तो लाल रंग का हो जाता है लेकिन उसमें एक अलग तरह की मिठास आ जाती है.
ऐसे बनता था लाल मांसइस खास मिर्च का नाम मथानिया मिर्च है. लाल मांस में इसी का इस्तेमाल किया जाता था. लाल मांस की खासियत ये थी कि इसे कुछ ही चीजों से बनाया जाता था. लाल मांस में लाल मिर्च के अलावा घी, लहसुन और प्याज का ही इस्तेमाल किया जाता था. चूंकि राजस्थान का ज्यादातर हिस्सा पानी की कमी से जूझता था. इस कारण लाल मांस में पानी नहीं डाला जाता था. शिकार से लाए हिरण को कैंप में पकाया जाता था, जिसे बाद में राजा के सामने परोसा जाता था.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 13:40 IST